मां महालक्ष्मी मंत्र

Shri Laxmi Mata
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दया निधे ।।
पद्मालये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्व भूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ।।
माता महालक्ष्मी धन और वैभव की अधिष्टात्री देवी हैं. ऊपर दिए गए मंत्र का श्रद्धापूर्वक जप करने से मनुष्य मात्र की सभी अभिलाषाएं पूरी हो जाती हैं.
माँ महालक्ष्मी की व्रत कथा इस प्रकार से है. एक गाँव में एक बहुत ही गरीब ब्राहमण रहता था. वह गरीब ब्राह्मण भगवान श्री विष्णु का सच्चा भक्त था. वह बिना भगवान को भोग लगाये कभी भी भोजन नहीं करता था. रुप से श्री विष्णु का पूजन किया करता था. उसकी सच्ची भक्ति और निष्ठा को देख भगवान विष्णु ने उस ब्राह्मण को दर्शन दिया. उन्होंने उससे अपनी इच्छानुसार वरदान मांगने को कहा. ब्राहमण ने भगवान विष्णु को हाथ जोड़ते हुए अपने घर में माँ लक्ष्मी के निवास करने का वरदान माँगा. भगवान ने तथास्तु कहते हुए उस ब्राह्मण से कहा – “मंदिर के सामने प्रतिदिन एक औरत आती हैं और वहां आकर उपले थापती हैं. कल जब वो आयें तो तुम उनको अपने घर आने को कहना. वह स्त्री कोई और नहीं देवी लक्ष्मी हैं.” इतना कहकर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए.
अगले दिन वह गरीब ब्राह्मण निश्चित समय पर उस मंदिर के पास आकर बैठ गया. माँ लक्ष्मी जब उपले थापने आयीं तो उस ब्राह्मण ने उनको अपने घर आने का न्योता दिया. उसके निम्तार्ण की बात को सुन देवी लक्ष्मी को यह समझते देर नहीं लगी कि स्वयं भगवान श्री विष्णु ने इसको यह रास्ता बताया है. माता लक्ष्मी ने उस ब्राह्मण को 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत करने को कहा. सोलहवे दिन चन्द्रमा को अर्ध्य देने के साथ ही तुम्हारा व्रत पूरा हो जाएगा.
उस ब्राह्मण ने वैसा ही किया और कुछही दिनों बाद उसकी सारी मनोकामना पूरी हो गयी. माँ लक्ष्मी बहुत दयालु हैं. जिनपर उनकी कृपा हो जाती है उसक बेड़ा पार हो जाता है.
Read this mantra in Roman Hindi:
Mahaalakshmee namastubhyan , namastubhyan sureshvari
Hari priye namastubhyan , namastubhyan daya nidhe
Padmaalaye namastubhyan namastubhyan cha sarvade .
sarv bhoot hitaarthaay , vasu srshtin sada kurun.
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