खुशामदियों का अन्त
एक जमाने में लागोस प्रदेश में बतावा जाति का कबीला रहता था. उस कबीले के सरदार का नाम ओकापी था. वह अत्यंत वीर और बलशाली था. उसने आस – पास के जितने कबीले थे, अपने कबीले में मिला लिए. इस प्रकार वह पूरे लागोस प्रदेश का राजा बन गया.
उसने बाकायदा सेना का गठन किया और कबीलों की देख – रेख के लिए कई कर्मचारी नियुक्त किए.
धीरे – धीरे ओकापी के चारों ओर खुशामदी लोगों की भीड़ एकत्र होने लगी. वे बात – बात पर राजा की तारीफ करते ओकापी को यह सब बुरा लगता था. वह वीर प्रकृति का था उसे इस प्रकार की चाटुकारिता तथा खुशामद से सख्त नफरत थी. लेकिन मना करने के बावजूद वे लोग अपनी करनी से बाज नहीं आते थे.
Read More: लोमड़ी और मोर हिंदी कहानी
राजा जब अधिक परेशान हो गया तो वह एक दिन अपने गुरू के पास गया. उसका गुरू दूर एक जंगल में कुटिया बनाकर रहता था. ओकापी ने उसके पास जाकर अपनी मनोव्यथा कह सुनाई. गुरू बोला – “सुनो ,मैं तुम्हें एक नुस्खा बताता हूँ.”
यह कहकर गुरू ने उसके कान में कुछ कहा.
ओकापी गुरू की बात सुन अत्यंत प्रसन्न हुआ, उसने गुरू को प्रणाम किया और अपने किले में लौट आया.
दुसरे दिन सबेरे उसने नाश्ते में बैंगन का भुरता बनाने की आज्ञा दी रसोईयों ने बड़ी लग्न से बैंगन का भुरता बनाया और राजा के सम्मुख रख दिया. सचमुच भुरता स्वादिष्ट था. राजा चाव से खाने लगे और बीच – बीच में तारीफ करने लगे.
दरवार में कई खुशामदी लोग बैठे थे. उन्होंने ओकापी को जब भुर्ते की तारीफ करते देखा तो भला वे क्यों चुप रहते. वे भी सब हाँ – में – हाँ मिलाने लगे. कहने लगे – “हाँ, वीर सरदार! बैंगन का भुरता बड़ा स्वादिष्ट होता है. इसके खाने से शरीर अधिक बलशाली होता है.”
ओकापी ने सुना तो उसके होठों पर मुस्कान थिरक आई. वह जोर – जोर से खिलखिलाने लगा.राजा को खिलखिलाते देखा तो खुशामदियों से भी न रहा गया. वे भी जोर -जोर से खिलखिलाने लगे.ओकापी ने नाश्ता खत्म कर लिया और आराम से बैठ गया.
Read More: एक बूढ़े घोड़े की कहानी
थोड़ी देर के बाद वे पेट पर हाथ फेरने लगे और दर्द से कराहने लगे. खुशामदियों ने अवसर अनुकूल पाया. वे जरा पास खिसक आए और सहानुभूतिपूर्वक कहने लगे – “हे वीर सरदार ! आपको अचानक क्या हो गया ?”
ओकापी बोला – “लगता है, बैगन का भुरता खाने से पेट में दर्द हो गया है. “
खुशामदी कहने लगे – “बैगन का भुरता कभी नहीं खाना चाहिए. यह बड़ी करता है.”
एक और बोला – “ मैं तो वीर सरदार को सुझाव दूंगा कि बैगन की खेती पर ही पाबंदी लगा देनी चाहिए “
एक और ने कहा – “ हाँ, बैगन एक निकुष्ट सब्जी है.”
ओकापी का क्रोध से चेहरा लाल हो गया. वह चीखकर बोला –“ अभी थोड़ी देर पहले तो तुम बैगन की तारीफ करते थकते नहीं थे, अब बुराई शुरू कर दी !”
खुशामदियों का चेहरा उतर आया वे आंख चुराने लगे, एक ने साहस करके कहा – “हे वीर सरदार ! हम तो आपके मन को देखकर बातें करते थे.”
ओकापी बोला – “ दुसरे के मन को देखकर नहीं, हमेशा अपने विवेक को सामने रखकर बात करनी चाहिए. तुम लोग छोटे – छोटे स्वार्थी के लिए खुशामद करते हो, यह ठीक नहीं “
खुशामदी इधर – उधर ताकने लगे.
ओकापी ने अपने सिपाहियों को आदेश दिया कि इन खुशामदियों को लागोस की सीमा से बाहर खदेड़ दिया जाए.
इसे भी पढ़ें: जीत का रहस्य
नोट: आपको यह पोस्ट Khushamdiyon ka ant Hindi स्टोरी कैसा लगा, अपने विचार कमेंट द्वारा दें.
Soniya says
Very good story
Ansaar says
Very nice story