1. सबसे पहले तो अपने में विश्वास रखकर यह सोचना चाहिए कि इस काम को किया जा सकता है. जब आप विश्वास रखते हैं कि आप इस काम को कर सकते हैं, तो आपका मन उस कार्य को करने के तरीके ढूंढने लगता है. उसके समाधान को लेकर आपके मन की सारी शंकाएं दूर हो जाती है. नकारत्मक शब्दों जैसे “नहीं होगा“, “नहीं कर सकते हैं” जैसे शब्दों को अपनी सोच और वाणी से निकाल दें.
2. परंपरा को अपने मन पर हावी होने न दें. यह पंगु बना देता है. नया करने के लिए नए विचारों को ग्रहण करें. प्रयोगात्मक रहें. नए दृष्टिकोण को अपनाएं. प्रगतिशील बनें. जो काम आज तक नहीं हो पाया, जरुरी नहीं कि आगे भी नहीं हो सकता.
3. रोज अपने आप से पूछो, “मैं बेहतर कैसे कर सकता हूँ?” जब आप खुद से पूछते हैं, “मैं कैसे बेहतर कर सकता हूँ? “ जवाब मिलेगा – यह कोशिश करो और करके देखो.
4. अपने आप से पूछो, “मैं कैसे कर सकता हूँ?” क्षमता मन की एक दशा है.
5. पूछने और सुनने का अभ्यास करें. पूछो और सुनो, और आप को वह सामग्री मिलेगी जो आपको चाहिए. याद रखें: बड़े लोग अच्छे श्रोता होते हैं जबकि छोटे लोग सिर्फ वक्ता होते हैं.
6. अपने मन और विचार को विस्तार दो. किसी काम को लेकर उत्साहित और उर्जावान बने रहना चाहिए. लोगों के साथ जुड़े रहो जो आपको नए विचारों के बारे में सोचने में मदद कर सकते हैं, काम करने के नए नए तरीके बताते हैं. विभिन्न व्यावसायिक और सामाजिक लोगों के साथ मिलते रहो. पता नहीं किसकी मन में नए विचार आ जाए, जो आपको एक रास्ता दिखा दे.
डॉ. मोनिका शर्मा says
विचारणीय हैं सारे बिंदु…..
Kamini sharma says
Iam in depression please help me
Neeraj Sahare says
Kis tarah ka depression hain
Kamini sharma says
Iam kamini sharma iam in depression
Neeraj Sahare says
Kis tarah ka depression hian
Deepak says
Nice post