जीनियस डॉक्टर

लेकिन यह क्या? उसकी मुंह को क्या हो गया. मुंह तो खुली की खुली है, वह तो बंद ही नहीं हो रहा. कोई कहता – जबड़ा जाम हो गया. कोई कहता शॉक लग गया है, इसलिए बंद नहीं हो रहा है. लोकल डॉक्टर को बुलाया गया. उसने इंजेक्शन दिया लेकिन कोई फायदा नहीं. फिर दो तीन और डॉक्टर को दिखाया गया लेकिन मुंह बंद ही नहीं हो पा रहा था.
फिर उसे एक बड़े ही नामी डॉक्टर शिवनारायण जी के पास लाया गया. उन्होंने मरीज को देखा और बोला इसे ठीक करने का 100 रूपये लूँगा. (उन दिनों 100 रूपये का बहुत महत्व होता था) मरता क्या न करता, 100 रूपये दे दिए गए. डॉक्टर साहब ने अपने स्टाफ को 25 पैसे दिए और कहा – जाओ माचिस की डिब्बी ले आओ. माचिस की डिब्बी आ गया. उसमें से डॉक्टर ने दो तीलियाँ निकाली, उसे जलाया और तेजी से उस आदमी के खुले मुंह में फेंकने की चेष्टा की. अपने खुले मुंह की तरफ जलती तीली को आता देख उस आदमी ने झट से अपना मुंह बंद कर लिया. डॉक्टर ने कहा – ले जाओ! इसका इलाज हो गया.
सारे लोग उस जीनियस डॉक्टर की प्रतिभा की दाद देने लगे. आज भी उस डॉक्टर की चर्चा यदा कदा सुनने को मिल ही जाती है.
यह कहानी सत्तर के दशक की है. उन दिनों गांवों में आगजनी की घटना ज्यादातर होती रहती थी विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में. एक दिन एक गाँव में एक घर में आग लग गई. मकान खपरैल था. घर के मालिक ने जब अपने घर से धुआं ऊपर उठते देखा तो वह जोर -जोर से चिल्लाने लगा. वह चिल्ला चिल्ला कर लोगों को इकट्ठा करना चाह रहा था. लेकिन उसके मुंह से तो आवाज ही नहीं निकल रही थी. फिर भी वह जोर जोर से चिल्लाये जा रहा था. चिल्लाते चिल्लाते वह बेहोश होकर गिर पड़ा. खैर, पडोसी दौड़ कर आये आग पर काबू पा लिया गया. कुछ लोग दौड़कर उस आदमी के पास गए. मुंह पर पानी के छींटे मारकर उसे होश में लाया.

लेकिन यह क्या? उसकी मुंह को क्या हो गया. मुंह तो खुली की खुली है, वह तो बंद ही नहीं हो रहा. कोई कहता – जबड़ा जाम हो गया. कोई कहता शॉक लग गया है, इसलिए बंद नहीं हो रहा है. लोकल डॉक्टर को बुलाया गया. उसने इंजेक्शन दिया लेकिन कोई फायदा नहीं. फिर दो तीन और डॉक्टर को दिखाया गया लेकिन मुंह बंद ही नहीं हो पा रहा था.
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फिर उसे एक बड़े ही नामी डॉक्टर शिवनारायण जी के पास लाया गया. उन्होंने मरीज को देखा और बोला इसे ठीक करने का 100 रूपये लूँगा. (उन दिनों 100 रूपये का बहुत महत्व होता था) मरता क्या न करता, 100 रूपये दे दिए गए. डॉक्टर साहब ने अपने स्टाफ को 25 पैसे दिए और कहा – जाओ माचिस की डिब्बी ले आओ. माचिस की डिब्बी आ गया. उसमें से डॉक्टर ने दो तीलियाँ निकाली, उसे जलाया और तेजी से उस आदमी के खुले मुंह में फेंकने की चेष्टा की. अपने खुले मुंह की तरफ जलती तीली को आता देख उस आदमी ने झट से अपना मुंह बंद कर लिया. डॉक्टर ने कहा – ले जाओ! इसका इलाज हो गया.
सारे लोग उस जीनियस डॉक्टर की प्रतिभा की दाद देने लगे. आज भी उस डॉक्टर की चर्चा यदा कदा सुनने को मिल ही जाती है.
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