Hard work and Sleep Story / मेहनत करो और खूब सोओ
सेठ पीरामल राजनगर के धनी मानी लोगों में गिने जाते थे. धन धान्य की कोई कमी नहीं थी. महल जैसा घर था और कई नौकर चाकर थे. परिवार भरा- पूरा और परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ और सुशील थे.
यों तो हर प्रकार का सुख था लेकिन एक भारी तकलीफ थी. सेठ जी को रात में नींद ही नहीं आती थी. कभी कभार आँख लग भी जाती तो बुरे सपने देखने लगते थे सेठ जी, इससे वे घबरा जाते. मन में तरह तरह की शकाएँ उठने लगते. बहुत इलाज कराया लेकिन रोग घटने की जगह बढ़ता ही चला गया.
एक दिन एक सिद्ध महात्मा का उस नगर में आगमन हुआ. वे लोगों से मिलते और उनकी समस्याओं का उपचार बताते चलते. सेठ पीरामल को भी उनके बारे में पता चला. वे भी उस महात्मा के पास गए और अपनी समस्या बताई.
महात्मा गंभीर होकर उनकी बातें सुनते रहे. सेठ जी बोले – ‘हे महात्मन! किसी भी तरह से मेरा संकट दूर कीजिये.’
महात्मा ने कहा – ‘सेठ जी, आपके दुखों का एक ही कारण है कि आप विकलांग हैं?’ सेठ ने आश्चर्य से कहा – ‘क्या कहते है महाराज! मैं तो पूरी तरह से स्वस्थ हूँ फिर आप मुझे विकलांग कैसे कह सकते हैं.’
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सेठ जी बातें सुन महात्मा ने मुस्कुराते हुए कहा – ‘विकलांग वह नहीं होता जिनके हाथ पैर नहीं होते बल्कि वास्तव में विकलांग वे होते हैं जो इनके होते हुए भी इनका इस्तेमाल नहीं करते हैं.’
महात्मा ने आगे पूछा – ‘क्या आप बताएँगे कि आप अपने हाथ- पैर का प्रयोग कर कितना काम करते हैं.’ सेठ जी तो निरुत्तर, उनका तो सारा काम उनके एक आदेश पर उनके नौकर चाकर दौड़ – दौड़ कर देते हैं.
महात्मा ने कहा – ‘सेठ जी यदि आप रात को अच्छी नींद में सोना चाहते हैं तो मेहनत कीजिये और जी भरके सोइये. मेहनत करने से शरीर थक जाता है और नींद तो अपने आप ही जाती है.’
सेठ जी ने उस दिन पूरा काम किया. नौकरों की बजाय खुद ही सारे काम किये. रात को सेठ जी खूब अच्छी नींद में सोये. अब उन्हें अपनी बीमारी का इलाज पता चल गया.
उस दिन से सेठजी स्वयं मेहनत करने लगे. मन ही मन सेठ जी उस महात्मा के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते रहते.
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vinod gore says
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