बचत! हम में से बहुत लोग यह सोचते हैं कि काश अगर मुझ में बचत करने की आदत होती तो कितना अच्छा होता. कहा गया है अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत. हाँ यह ठीक है कि बचपन से बचत शुरू करने में आपको बहुत देर हो चुकी है, हम अतीत में नहीं लौट सकते. लेकिन आप बेशक अपने बच्चों को इस सिधांत का महत्व सिखा सकते हैं. इसका यह कतई मतलब नहीं कि बचत करने के लिए गरीबों की तरह जिएँ. बचत तो स्वाभाविक रूप से होनी चाहिए. मुझे लगता है कि अगर आप सेल्फ-एम्प्लायड हैं, तो यह बात जल्दी सीख लें, अगर आप नहीं सीखेंगे, तो मुश्किल में फँस जाएँगे.
आदत डालें
हर बार जब आपके पास कहीं से पैसा आता है, तो उसका कुछ हिस्सा वैट और टैक्स के लिए अलग रखना होता है, अगर ऐसा नहीं किया जाए, तो टैक्स भरने की तारिख आने पर आप पैसे के लिए छटपटाते हैं और जुगाड़ करते हैं, इसलिए सेल्फ- एम्प्लायड लोग पैसा अलग रखने की आदत सीख लेते हैं. अगर टैक्स की आवश्यकता से ज्यादा पैसा अलग रख दिया जाए, तो बचा पैसा आपकी बचत बन जाता है, स्पष्ट रूप से एक-दो बार असफल होने के बाद इसकी आदत डालना बहुत आसान हो जाता है.
मुझे लगता है कि इसके लिए कोई ‘आकड़ा’ याद रखना ज्यादा आसान काम है, ताकि आपको उसके बारे में ज्यादा न सोचना पड़े. मिस्टर महाजन मेरे पडोसी का आकड़ा 50 प्रतिशत है, वे अपनी आमदनी का आधा सेविंग अकाउंट में डाल देते हैं. इसमें से कुछ टैक्स के लिए है, कुछ वैट के लिए है और बाकी का पैसा बचत के लिए है. कभी-कभार वे बचे पैसे को दूसरे सेविंग अकाउंट में डाल देते हैं – एक तरह का सुपर सेविंग अकाउंट. इसके बाद वे सुपर सेविंग अकाउंट से निकलकर अपने मनचाहे अकाउंट में या इन्वेस्टमेंट में लगा देते हैं.
इसको बचत करने का एक आसान तरीका मान सकते हैं. यह आदत बच्चों को भी बचपन से ही सिखाना चाहिये. ज्यादातर देखने में यह आता है कि एक व्यक्ति बहुत पढ़ा लिखा है लेकिन जब फाइनेंसियल एजुकेशन की बात आती है तो वह बंगले झाकने लगता है. बच्चे को यह सिखाया जन चाहिए कि जेबखर्च में से आधा खर्च करो और आधा बचा लो. इससे बचत करना उनकी आदत बन जाएगी और जब वे कॉलेज या कहीं और जाएँगे तो आगे आनेवाले वक्त के लिए उनके पास पैसा होगा.
बचपन से सिखाएँ बचत के बारे में
कई लोग ऐसा सोचते हैं कि काश उन्हें बचपन में बचत शुरू करने की शिक्षा दी गयी होती और दूसरा यदि उन्हें बचत करना सिखाया गया होता. बहुत से अमीर लोगों का कहना है कि बहुत छोटी उम्र से ही उन्हें दौलत का प्रबंधन सिखाया गया था, यह समृधि हासिल करने का अनिवार्य हिस्सा लगता है. मैं अपने बच्चों को पैसे के बारे में सीखता देखकर बहुत खुश हूँ. एक ही माँ बाप के तीन बच्चों में से एक बच्चे को बचत करना आसान लगता है, जबकि दूसरा बहुत फिजूलखर्च करता है तथा कुछ भी नहीं बचा पता. और तीसरा तो दोनों ही तरह से पैसे पर ध्यान नहीं देता है.
इसलिए बच्चों के लालन-पालन में उनके मूलभूत दोषों को सुधारा जाना चाहिए. दूसरों को दोष देने से कोई फायदा नहीं है, आपको ही इसे बदलना होगा, जिम्मेदारी लेनी होगी और खुद को प्रशिक्षित करना होगा. आइये खुद भी बचत करें और अपने बच्चों को भी इसकी आदत डालने में मदद करें.
इसे भी पढ़ें :
- दौलत को दुश्मन नहीं, दोस्त मानें
- पैसे खर्च करें लेकिन बुद्धिमानी से
- अपने शरीर की घड़ी को सेट करें
- बुरी लतों से बचें और अपना समय बचाएं!
- नियम का पालन कितना अच्छा
- सफलता की सीढ़ी कैसे चढ़े?
Join the Discussion!