वसंतपंचमी –माँ सरस्वती विद्या और ज्ञान की देवी Goddess of Music, Knowledge and Wisdom
माँ सरस्वती विद्या और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी हैं. दुनिया पर उसी ने राज किया है जो ज्ञान और तकनीक में श्रेष्ठ और अव्वल रहा है. चाहे हम Digital India की बात करें या फिर Skill India की बात करें, ज्ञान सर्वत्र जरुरी है. माता सरस्वती की आराधना से मानव शीघ्र ही ज्ञान को प्राप्त कर जीवन में तरक्की का लेता है.
संगीत की उत्पत्ति भी माँ सरस्वती के वीणा की झंकार से हुआ है. इसके सातों स्वर सा, रे, ग, म, प, ध, नी से ही सभी तरह के सुरों का निर्माण संभव है. यूँ तो सरस्वती पूजा सबको करनी चाहिए, परन्तु जो भी ज्ञान प्राप्ति हेतु साधना रत हैं उनके लिये सरस्वती पूजन बहुत आवश्यक है. छात्रों, अध्यापकों, रिसर्च स्कॉलर, संगीत साधक, आदि को तो विशेष रूप से सरस्वती माता की आराधना करनी चाहिए.
कब मनाते हैं वसंत पंचमी?
वसंत पंचमी को साधक माँ सरस्वती की आराधना पूरे हर्षोल्लास के साथ करते है. यह माघ महीने के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को मनाया जाता है. वसंत पंचमी ऋतुराज वसंत के आगमन को भी इंगित करता है. पेड के पुराने और पीले हो चुके पत्ते झर चुके होते हैं और उसकी जगह मन को मोहने वाली नव पल्लव निकल आते हैं. आम के पेड़ में आम की मौलियाँ निकल आती है. कोयल की कूक भी सुनाई पड़ने लगती है. किसान अपने खेत में जब जाता है और सरसों की पीले पीले फूल को देखता है तो उसका मन मयूर नाचने लगता है. वसंत ऋतु में प्राकृतिक सौदर्य अपने उच्चतम शिखर पर होता है.
साधक वसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा आराधना करते है. विविध प्रकार के फल यथा वेर, गाजर, मिश्रीकन्द; मिठाइयों से माँ सरस्वती का भोग लगते हैं. रात्रि में bhajan कीर्तन का आयोजन किया जाता है. प्रसाद वितरण कर लोग माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और माँ से ज्ञान का वरदान मागते हैं.
या देवी सर्वभुतेषु विद्यारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
लोग प्रायः इन श्लोकों द्वारा माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं:
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदंडमंडितकरा, या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभितिभिर्देवैः सदा वंदिता
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
हिंदी अर्थ: जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुंद के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा शोभायमान है, जिनका आसन श्वेत कमल है और ब्रह्मा, विष्णु और शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी सदा रक्षा करें।
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥
हिंदी अर्थ: शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत् में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान् बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, माँ सरस्वती की मैं वंदना करता हूँ।
Goddess of Music, Knowledge and Wisdom के अलावे इसे भी पढ़ें:
- Gangaur Festival गनगौर व्रत
- Samarth Guru Ramdas Birthady Hindi Article
- Lord Rama Birthday Ram Navami Festival
- Holi Festival Brings Happiness रंग बरसे
- Goddess of Music, Knowledge and Wisdom वसंतपंचमी
- Happy Republic Day
- Happy-New-Year 2016
- Shri Laxmi Puja Mantra
- प्रकाश का पर्व – दीपावली
वसंत ऋतू में प्राकृतिक सौदर्य अपने उच्चतम शिखर पर होता है.बहुत खूब ! बढ़िया जानकारी लिखी है पंकज जी आपने
aapka bahut bahut dhanyavaad Yogi Saraswat Ji!