Yashpal Quotes in Hindi/यशपाल के अनमोल वचन
हिन्दी कथा-साहित्य को यथार्थवादी दृष्टि और बदली हुई आधुनिक संवेदना से समृद्ध करनेवाले शीर्ष कथाकार यशपाल जी आर्यसमाजी वातावरण में रहे, इन्हीं दिनों वह भगतसिंह जी से भी मिले थे. वे लाहौर षड्यंत्र केस के अभियुक्तों में से एक थे. इस सिलसिले में वह जेलयात्रा भी कर चुके थे. जेल से मुक्त होने के पश्चात् वह लखनऊ में ही बस गए और पूर्ण रूप से लिखते रहे.
यशपाल जी का जन्म 3 दिसम्बर 1903 को हुआ और निधन 26 दिसम्बर 1976 को. इन्होने विप्लव नामक क्रांतिकारी पत्रिका भी निकाली, बाद में इसी नाम का एक प्रकाशन भी खोला. इनका सम्पूर्ण लेखन यथार्थ से परिपूर्ण है.
यशपाल जी का साहित्यिक योगदान :
व्यंग्य संग्रह : चक्कर क्लब, बात बात में बात आदि
उपन्यास : झूठा सच, दिव्या, दादा कामरेड, देशद्रोही आदि
कहानी संग्रह: तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ, पिंजरे की उड़ान, आदि
संपादन : विप्लव (एक क्रांतिकारी पत्रिका)
Yashpal Quotes in Hindi / यशपाल के अनमोल वचन
1. कंचन की खान से लौह उत्पन्न नहीं हो सकता.
Yashpal यशपाल
2. जीवन के आनन्द से जीवन की रक्षा की चिंता अधिक प्रबल हो जाती है.
Yashpal यशपाल
3. पराजित होने वाला कभी पूज्य नहीं हो सकता.
Yashpal यशपाल
4. मृत्यु क्या है? अस्तित्व का अंत.
Yashpal यशपाल
5. जिसे कर्म के भोग से सेवा ही करना है, वह सभी की सेवा करता है.
Yashpal यशपाल
6. सभी प्रसंगों के लिए काल का अवसर होता है.
Yashpal यशपाल
7. आवेग एक वस्तु है, और जीवन दूसरी.
Yashpal यशपाल
8. जीवन की सार्थकता अधिकार और सामर्थ्य में ही है.
Yashpal यशपाल
9. सामर्थ्य से ही मनुष्य भोग और कामना का अधिकारी होता है.
Yashpal यशपाल
10. प्रतिज्ञा बदल जाने से प्रतिज्ञा का आधार नहीं रहता.
Yashpal यशपाल
11. माणिक पर धूल रहने से क्या वह माणिक नहीं रहता?
Yashpal यशपाल
12. कर्म और जीवन दुःख की श्रृंखला है.
Yashpal यशपाल
13. संसार में बल ही प्रधान है, जैसे धन-बल और जन-बल.
Yashpal यशपाल
14. सुख केवल अस्थायी अनुभूति है.
Yashpal यशपाल
15. संसार केवल शक्तिशालियों के लिए है.
Yashpal यशपाल
16. कुल नारी के लिए स्वतन्त्रता कहाँ ? केवल वेश्या स्वतंत्र होती है.
Yashpal यशपाल
17. दुखियों के लिए वैराग्य ही सुख है.
Yashpal यशपाल
18. न्याय व्यक्ति की इच्छा का अनुसरण नहीं करता.
Yashpal यशपाल
19. सेवा ग्रहण करना स्वामी का अधिकार है, प्राण को ग्रहण करना नहीं.
Yashpal यशपाल
20. देवता जीवों को प्राणदान देते हैं, सिर्फ वही इसे ग्रहण भी कर सकते हैं.
Yashpal यशपाल
21. परलोक में अधिक भोग का अवसर पाने की कामना से किया गया त्याग, त्याग नहीं रहता.
Yashpal यशपाल
22. मनुष्य के विचार और अनुभव की शक्ति इस स्थूल शरीर के ही सूक्ष्म गुण हैं.
Yashpal यशपाल
23. मृत्यु तो एक दिन आएगी ही.
Yashpal यशपाल
24. अनुराग आदर का क्रियात्मक रूप है.
Yashpal यशपाल
25. भाग्य का अर्थ है, मनुष्य की विवशता.
Yashpal यशपाल
26. अमरता का अर्थ है परिवर्तन.
Yashpal यशपाल
27. जीवित रहते मृतवत व्यवहार करने से क्या लाभ?
Yashpal यशपाल
28. कर्मफल का अर्थ है कष्ट और विवशता के कारण अज्ञान.
Yashpal यशपाल
29. प्रयत्न और चेष्टा जीवन का स्वभाव एवं गुण है. जब तक जीवन है,प्रयत्न और चेष्टा रहना स्वाभाविक है.
Yashpal यशपाल
30. जीवन में एक समय प्रयत्न की असफलता मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन नहीं है.
Yashpal यशपाल
31. प्रयोजन से हीन कला, मोहक रूप रंग लिए मिट्टी के फल के समान है.
Yashpal यशपाल
32. मरना-जीना मनुष्य के जीवन में लगा ही रहता है.
Yashpal यशपाल
33. सजीव गतिमान है निर्जीव गतिहीन.
Yashpal यशपाल
34. कला केवल उपकरण मात्र है.
Yashpal यशपाल
35. अनेक विरोधी तत्वों का समुच्चय ही जीवन है.
Yashpal यशपाल
36. शत्रु के दैव्य स्वीकार कर लेने पर युद्ध का अंत हो जाता है.
Yashpal यशपाल
37. पाये बिना किसी वस्तु का त्याग नहीं किया जा सकता.
Yashpal यशपाल
38. निरंतर प्रयत्न ही जीवन का लक्षण है.
Yashpal यशपाल
39. जीवन का कोई अनुभव स्थायी और चिरन्तन नहीं.
Yashpal यशपाल
40. भय है जीवित रहकर पीड़ा और पराभव सहने में.
Yashpal यशपाल
41. संसार में केवल एक ही सत्य है, शक्ति केवल एक वस्तु काम्य है, शक्ति सामर्थ्य.
Yashpal यशपाल
42. संघर्ष से विरक्त होकर व्यक्तिगत आत्मरक्षा में संतोष खो जाना आत्महत्या है.
Yashpal यशपाल
43. शत्रु तो मन की भावना से होता है.
Yashpal यशपाल
44. आसक्ति और साधना का योग असंभव है.
Yashpal यशपाल
45. आपदकाल में भित्तियों के भी कान होते हैं.
Yashpal यशपाल
46. कला व्यवस्थित चित्त की वस्तु है.
Yashpal यशपाल
47. जागती हुई चींटी की शक्ति सोते हुए हाथी से अधिक होती है.
Yashpal यशपाल
48. कायरता और निरुत्साह वीर पुरूष को शोभा नहीं देते.
Yashpal यशपाल
49. मनुष्य के शत्रु कौन है? कितने हैं? आजतक कोई नहीं जान सका.
Yashpal यशपाल
50. शत्रुता मन का एक विषय होता है.
Yashpal यशपाल
51. जल का विशेष उपयोग तृषा अनुभव होने पर होता है.
Yashpal यशपाल
52. शांति ना तो वैभव में है, न ही प्रभुता में और ना ही तृप्ति में, शांति तो केवल अनासक्ति में है.
Yashpal यशपाल
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Yogi Saraswat says
सभी प्रसंगों के लिए काल का अवसर होता है.सही ! बढ़िया संकलन पंकज जी
Durga Prasad Dash says
Inspiring compilation
Ramanand MEhta says
quotes बेहतरीन हैं सभी