Gobar Badshah kaa Kamaal Hindi Story गोबर बादशाह का कमाल हिंदी कहानी
एक औरत का छोटा और मासूम बच्चा कई दिनों से बीमार चला आ रहा था. कई डॉक्टर को दिखा चुकी थी. जिसने भी जिस डॉक्टर या वैद्य का नाम बताया, बच्चे को लेकर उधर ही दौड़ पड़ती. कोई दवा काम नहीं कर रही थी. जो भी जान-पहचान का मिलता, तो यह पूछता था, “अभी ठीक नहीं हुआ तुम्हारा बच्चा?”
वह उसको सीधा-सादा जबाब देती, “किसी की दवा नहीं लग रही है. कई वैद्यों को दिखा चुके हैं.” एक दिन वह कहीं से बच्चे की दवा लेकर आ रही थी. रास्ते में उसे मोहल्ले का एक व्यक्ति मिला. मोहल्ले के नाते से वह उसे भाभी कहता था. बोला, “भाभी क्या हाल है तुम्हारे बच्चे का ?”
उसने उत्तर दिया, “अभी तो कोई दवा नहीं लगी है. बहुतों का इलाज करा लिया है. तुम्हीं बता दो कोई डॉक्टर हो तो ?”
वहीं गली के किनारे एक छोटा मैदान-सा था. वहाँ एक पीपल का पेड़ खड़ा था. वहाँ घुमतु गाएँ आकर बैठ जाती थीं. वहाँ गोबर हमेशा पड़ा ही रहता था. उसने उसी गोबर की ओर इशारा करते हुए मजाक किया, “देखो, वो गोबर बादशाह हैं. वहाँ पीपल के नीचे जाकर मत्था टेको और दो अगरबत्ती जलाओ. ठीक हो जाएगा. लेकिन दवाएं खिलाना बंद मत करना.”
उसने कहा, “अच्छा देवर जी. मैं यह भी करके देखती हूँ,” और आगे बढ़ गई. एक दिन सुबह स्नान करके वह महिला वहां आई. वहाँ उसे कुछ नजर नहीं आया. फिर उसे याद आया कि उसने गोबर बादशाह कहा था. गोबर तो पड़ा था. उसने वहीं मत्था टेका. दो अगरबत्ती जलाकर गोबर में लगाई और चली गई. इधर वह दवा भी खिलाती रही और उधर वह मत्था टेकती, अगरबत्ती जलाती और जय गोबर बादशाह कह कर चल देती. एक दिन उसे वही आदमी फिर मिला. वह बोला “भाभी, अब तुम्हारे बच्चे की तबीयत कैसी है?”
Gobar Badshah kaa Kamaal Hindi Story गोबर बादशाह का कमाल हिंदी कहानी के अलावे इसे भी पढ़ें: सड़े आलू हिंदी कहानी
महिला बोली, “देवर जी, भगवान तुम्हारा भला करे. गोबर बादशाह को मत्था टेकने से मेरा बेटा बिलकुल ठीक हो गया है.” यह सुन उस आदमी को बड़ा आश्चर्य हुआ. फिर वह बोला, “अच्छा, बिलकुल ठीक हो गया ?” महिला ने हंसते हुए कहा, “हां देवर जी.”
वह आदमी बोला, “सब ऊपर वाले की मेहरबानी है.” इतना कहकर वह सोचने लगा, “मैंने तो ऐसे ही मजाक में कह दिया था. यानि डॉक्टर की दवा ने काम किया और इस महिला को गोबर पर विश्वास हो गया.”
बच्चे के ठीक होने की खुशी में उस महिला ने वहां पीपल के पेड़ के नीचे एक आयताकार जगह में किनारे-किनारे ईंटे गडवा दीं और छ: इंच उंचा चबूतरा बना दिया. रास्ते में जब उसे कोई दूसरी महिला मिलती तो वह पूछती कि तुम्हारा बच्चा किसकी दया से ठीक हुआ. मेरे बच्चे को भी किसी की दवा नहीं लग रही है, तो वह महिला कहती, “बहन, मैंने तो गोबर बादशाह को मत्था टेका था और दो अगरबत्तियां जलाई थीं.”
दूसरी महिला बोली, “बहन यह गोबर बादशाह हैं कहाँ?” उसने बताते हुए कहा, “डेयरी के सामने वाली गली में पीपल का पेड़ है. उसके नीचे मैदान-सा है. वहाँ गोबर पड़ा रहता है.” वह बोली, “अच्छा बहन! मैं भी जाउंगी मत्था टेकने,” उस महिला ने यह भी बताया कि जिस डॉक्टर की दवा दे रही हो, दवा करते रहना है. दवा बंद नहीं करना है. महिला ने ‘अच्छा बहन’ कहा और चली गई. इस प्रकार जो भी उस महिला के पास आता, वह उसे गोबर बादशाह का स्थान बता देती और साथ में हिदायत देती कि दवा खिलाना बंद मत करना.
Gobar Badshah kaa Kamaal Hindi Story गोबर बादशाह का कमाल हिंदी कहानी के अलावे इसे भी पढ़ें: स्वदेश सबसे प्यारा
कुछ दिन बाद किसी को किसी डॉक्टर की दवा सटीक बैठ गई और वह ठीक हो गया. लेकिन उसने समझा कि गोबर बादशाह की कृपा से ठीक हुआ है. वह महिला थोडा अधिक खाते-पीते घराने की थी. उसने उस छ: इंच उंची जगह पर तीन फुट उंचा चबूतरा बनवा दिया. इसी प्रकार जब तीसरे का बच्चा ठीक हुआ, उसने उस चबूतरे पर संगमरमर के पत्थर बिछवा दिए. इसी प्रकार कुछ दिन बाद एक ने पक्का कमरा बनवा दिया. अब वहाँ मत्था टेकने वालों की भीड़ होने लगी.
उधर से एक भिखारी निकला करता था. उसने देखा कि यहाँ पर तो कुछ नहीं था. धीरे-धीरे यहाँ कमरा बन गया और कोई देखभाल करने वाला भी नहीं है. उसने वहाँ अपना डेरा जमा लिया. अब वह सुबह-शाम उसको पानी से धोकर साफ रखता और अगरबत्ती लगा देता. आने वाले लोग जो श्रद्धा से देते, ले लेता था. कुछ समय बाद वहां शहर तथा आस-पास के गांव के लोग मत्था टेकने आने लगे. जब किसी की मनौती पूरी हो जाती तो कुछ न कुछ उस जगह की बढ़ोत्तरी हो जाती. अब वह स्थान गोबर बादशाह के नाम से प्रसिद्ध हो गया.
कुछ दिन बाद उस पुजारी ने साल में दो-तीन तारीखें निश्चित कर दीं. उन तारीखों में मेले लगने शुरू हो गए. मन्दिर के आस-पास फूल वाले, धुप-अगरबत्ती वाले, प्रसाद वाले, चाट वाले आदि रास्ते के एक लाइन में बैठने लगे. आस-पडोस वालों को तो गोबर बादशाह की जन्म-कुंडली मालूम ही थी. इसलिए वे मत्था टेकने नहीं जाते थे.
Gobar Badshah kaa Kamaal Hindi Story गोबर बादशाह का कमाल हिंदी कहानी के अलावे इसे भी पढ़ें: मैं कहाँ जा रहा हूँ …
जब कभी उस गली के लोग आपस में बैठकर बातें करते तो एक बुजुर्ग उस आदमी की ओर हाथ उठाकर कहता, “असली तो गोबर बादशाह ही हैं. इन्होने वहाँ पड़े गाय के गोबर को मजाक में गोबर बादशाह कह दिया था. आज सचमुच ‘गोबर बादशाह’ का कमाल है.”
यदि आप ध्यान से देखें तो आपको अपने आस-पास इस तरह के गोबर बादशाह किसी और अन्य नाम से अवश्य मिल जायेंगे. जय हो गोबर बादशाह!
Join the Discussion!