Fenugreek Health Benefits in Hindi मेथी दाना खाएं स्वास्थ्य बनाएं
मेथी दाना या मेथी का बीज आपको भारत के लगभग सभी रसोई घरों में मिल जाएगा. यह Indian kitchen में हर दिन प्रयोग में लाया जानेवाला एक मुख्य मसाला है. हमारे घरों में मेथी दाना का प्रयोग कई तरह से किया जाता है. चाहे दाल में छौंक लगाना हो या सब्जी में डालना हो या फिर अचार बनाने में एक मसाले के रूप में डालना हो.
इसका उपयोग कई औषधियों के निर्माण में भी किया जाता है. मेथी दाना का सेवन पूरे वर्ष किया जा सकता है. प्रतिदिन सुबह पानी के साथ एक चम्मच मेथी दाना खाते रहने से घुटने और शरीर के जोड़ मजबूत रहते हैं, इनमें दर्द नहीं होता और पूरे जीवन भर आमवात, गठिया, diabetes, blood pressure आदि रोग नहीं होते हैं. मेथी का नियमित प्रयोग शरीर को स्वच्छ और स्वस्थ रखता है.
मेथी सर्दियों के मौसम की बड़ी लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण पत्तेदार हरी सब्जी है। आधुनिक विज्ञान के मतानुसार पत्तेदार हरी सब्जियों में chlorophyll नामक तत्व पाया जाता है, जो कीटाणुओं का नाशक होता है। मेथी एक अद्भुत गुणों वाली सब्जी है जिसका वैज्ञानिक नाम ट्राइगोनिला फोएनम ग्रेकम (Trigonella foenum-graecum) है। यह फाबासी ( Fabaceae,) कुल का प्रमुख साग है।
एक मेथी के कितने नाम
मेथी का अलग -अलग भाषाओँ में अलग -अलग नाम है. इसे संस्कृत में मेथिका, हिन्दी, मराठी, बंगाली, पंजाबी तथा गुजराती भाषा में मेथी, तेलुगु में मेंतुलु, तमिल में वेंडयम, कन्नड़ में मेथयक या मेन्तिया, मलयालम में वेन्तियम तथा अंग्रेजी में इसे फेनुग्रीक (fenugreek ) कहते है। मेथी के बीजों को मेथी दाना के नाम से जाना जाता है।
मेथी में पाए जानेवाले तत्व
मेथी के 100 ग्राम साग में नमी 86.1 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 6.0 प्रतिशत, प्रोटीन 4.4 प्रतिशत, वसा 0.9 प्रतिशत, खनिज लवण 1.5 प्रतिशत, रेशे 1.1 प्रतिशत और ऊर्जा लगभग 49 किलो कैलोरी मिलते हैं. खनिज और विटामिन की उपलब्धता देखी जाय तो इसमें कैल्शियम 395 मि.ग्रा., फाॅस्फोरस 51 मि.ग्रा., आयरन 1.93 मि.ग्रा., केरोटिन 2340 माइक्रोग्राम, थायमिन 0.04 मि.ग्रा., राइबोफ्लेविन 0.31 मि.ग्रा., नायसिन 0.8 मि.ग्रा. और विटामिन सी 52 मि.ग्रा. पाया जाता है.
दूसरी तरफ मेथी दाना के प्रति 100 ग्राम भार में नमी 13.7 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 44.1 प्रतिशत, प्रोटीन 0.7 प्रतिशत, वसा 5.8 प्रतिशत, खनिज लवण 7.2 प्रतिशत, रेशे 0.8 प्रतिशत और ऊर्जा 333 किलो कैलोरी मिलता है. इसमें खनिज एवं विटामिन को लिया जाय तो कैल्शियम 160 मि.ग्रा., फॉस्फोरस 370 मि.ग्रा., आयरन 6.5 मि.ग्रा., केरोटिन 96 माइक्रोग्राम, थायमिन 0.34 मि.ग्रा., राइबोफ्लेविन 0.29 मि.ग्रा., नायसिन 1.1 मि.ग्रा. और फोलिक अम्ल 84 माइक्रोग्राम पाया जाता है.
मेथी की उपलब्धता
यदि मेथी के उपलब्धता की बात करें तो यह लगभग पूरे साल उगायी जा सकती है लेकिन मार्गषीर्ष से फाल्गुन महीने तक ज्यादा उगायी जाती है। मेथी की भाजी का प्रयोग भारत के सभी भागों में बहुलता से किया जाता है। मेथी का सबसे ज्यादा उपयोग इसके पत्तों की सब्जी बनाने में किया जाता है। गरीब-अमीर सभी वर्ग के लोग इसकी सब्जी बड़े चाव से खाते हैं।
यूं तो कोमल पत्ते वाली मेथी कड़वी होती है लेकिन जब आलू आदि सब्जियों के साथ इसको बनाया जाता है तो मेथी की सब्जी बड़ी सुगंधित और स्वादिष्ट हो जाती है। मूंग की दाल के साथ इसके पत्ते मिलाकर बनाई गई दाल भाजी पौष्टिक और ज्यादा सुपाच्य होती है। मेथी के पत्तों को आटे में मिलाकर मेथी के पराठे भी बनाए जाते हैं जो बहुत स्वादिष्ट लगते हैं।
मेथी को सुखाकर भी उपयोग में लाया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार मेथी चटपटी, गरम, रक्त पित्त कुपित करने वाली, कड़वी, दीपन, मलरोधक, हलकी, रुखी, पौष्टिक, हृदय के लिए हितकारी और ज्वर, अरुचि, वमन, कफ, खांसी, बादी, कृमि तथा बवासीर को नष्ट करने वाली होती है। इसके बीज (मेथीदाना) गरम, कड़वे, पौष्टिक, ज्वरनाशक, कृमिनाशक, भूख बढ़ाने वाले तथा हृदय को बल देने वाले होते हैं। आचार्य सुश्रुत के अनुसार मेथी का शाक पित्तनाशक, रक्तशोधक, वायुशामक तथा मां का दूध बढ़ाने वाला होता है।
मेथी और इसमें पाये जानेवाले पौष्टिक तत्व
पौष्टिकता की दृष्टि से मेथी में जीवन को दीर्धायु एवं स्वस्थ बनाए रखने वाले सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें शरीर के विकास एवं वृद्धि की अद्भुत क्षमता होती है। मेथी के शाक एवं मेथीदाना में पोषक तत्व जैसे- कार्बोहाइड्रेट तथा प्रोटीन एवं खनिज लवण जैसे – Calcium, Phosphorus और Iron आदि प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
मेथी के शाक में ट्रिगोथिन नामक रसायन पाया जाता है जो यकृत विकारों में लाभप्रद होता है। इसके शाक में Vitamin A एवं Vitamin C भी उचित मात्रा में पाया जाता है। प्रोटीन की दृष्टि से मेथी का शाक श्रेष्ठतम आहार है, क्योंकि इसमें शरीर की वृद्धि एवं विकास के लिए आवश्यक सभी दस अमीनो अम्ल जैसे- आइसोल्यूसिन, ल्यूसिन, लायसीन, मिथियोनिन, फिनाइलएलेनीन, थ्रियोनिन, ट्रिप्टोफेन, वेलीन, आर्जीनिन, और हिस्टीडीन आदि उचित मात्रा में पाए जाते है। मेथीदाना में विटामिन फोलिक अम्ल उचित मात्रा में पाया जाता है।
मेथी दाना के औषधीय गुण
मधुमेह Diabetes डायबिटीज
मधुमेह या diabetes जैसा दीर्घकालीन पीड़ादायक रोग किसी भी उम्र में, किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। आज 100 में से हर 7 व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित हैं। नवजात शिशु से लेकर 60-70 वर्ष का कोई भी व्यक्ति मधुमेह का शिकार हो सकता है। इस रोग की वृद्धि दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
आचार्य चरक के अनुसार, सुख-संपन्न आरामदायक बिस्तर पर दिन में सोने वाले, दही और मांसाहार का अति सेवन करने वाले, व्यायाम या परिश्रम न करने वाले, मधुर पदार्थों का अधिक सेवन करने वाले व्यक्ति मधुमेह रोग से ग्रसित हो जाते हैं, किंतु आज इस स्तर की बात बेमानी लगती है। आज तो मधुमेह के अधिकतर रोगी सुख-साधन संपन्न भी नहीं हैं। आज की तनावपूर्ण जिंदगी ही इस रोग की तीव्र वृद्धि के लिए उत्तरदायी हो सकती है। मधुमेह के कारणों में वंश -परंपरा (हेरिडिटी) को भी प्रमुख माना गया है।
डायबिटीज के लिए मेथीदाना जीवनदायिनी औषधि है। राष्ट्रीय पोषक आहार संस्थान, हैदराबाद के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, मात्र दस दिनों के मेथीदाना सेवन से ही रक्त में शर्करा का स्तर उल्लेखनीय रूप से घट जाता है एवं यूरिन यानि पेशाब में इसकी मात्रा 65 प्रतिशत तक कम हो जाती है। मधुमेह रोग में मेथीदाने का चूर्ण बनाकर सुबह-शाम 1 से 3 ग्राम तक की मात्रा में सेवन करना चाहिए। इसका प्रयोग तब तक करते रहना चाहिए जब तक कि खून में शर्करा का स्तर बढ़ा हुआ रहता है। मधुमेह का रोगी यदि नियमित रूप से मेथी की पत्तियों के रस का सेवन करे तो फायदा होता है।
वात व्याधि
मेथी दाना खाने वाले को वात प्रकोप नहीं होता और यदि हो तो भी दूर हो जाता है। वात, पित्त और कफ के कुपित होने से शरीर में कई प्रकार के रोग हो जाते हैं। मेथी दाना वात, पित्त और कफ को संतुलित रखता है इसलिए मेथी दाना का सेवन करते रहने से ये रोग नहीं होते हैं। वात रोगों से पीड़ित होने पर दो-दो ग्राम मेथी का चूर्ण सुबह-शाम लेने से भी आराम मिलता है।
रक्ताल्पता यानि एनीमिया
मेथी में लौह तत्व प्रचुर मात्रा में होता है, इसलिए रक्ताल्पता एवं रक्त संबंधी विकारों में यह बड़ी लाभकारी है। मेथी की सब्जी एवं मेथीदाना दोनों में ही रक्त साफ करने के अद्भुत गुण है। अतः मेथी की सब्जी का नियमित सेवन चर्म रोग एवं रक्त विकारों को ठीक करता है।
भूख की कमी और अनिद्रा
भूख की कमी और अनिद्रा रोग से पीड़ित व्यक्ति को मेथी दाना का सेवन करना चाहिए। मेथी की भाजी, मेथी दाल, दही मेथी, पापड़ मेथी, मेथी दाने का बघार लगी सब्जी आदि का सेवन करना चाहिए। मेथी दाना का सेवन पूरे वर्ष भर किया जा सकता है। सभी दाल और सब्जियों में मेथी का बघार लगा कर खाना चाहिए।
हृदय रोग
5 ग्राम मेथी दाने का काढ़ा बनाकर उसमें दो-तीन चम्मच मधु (शहद) मिलाकर नियमित सेवन करने से हृदय को शक्ति मिलती है और पुराने से पुराने हृदय रोग की शिकायत दूर हो जाती है।
खूनी बवासीर यानि पाइल्स
मेथी के थोडे़ से दाने दो कप पानी में डालकर काढ़ा बना लें। जब पानी आधा कप बच जाए तब उसे छानकर पीने से रक्त गिरना बंद हो जाता है। रक्तातिसार (खूनी पेचिश ) में भी इसका प्रयोग लाभकारी होता है।
कब्ज यानि Constipation
Constipation यानि कब्ज की शिकायत में मेथी के पत्तों की सब्जी का नियमित सेवन करना चाहिए। इससे कब्ज तो दूर होगा ही, साथ ही रक्त की शुद्धि भी होगी। सुबह-शाम मेथी दाना पानी के साथ निगलने से भी कब्ज दूर हो जाती है। मेथी दाना पेट में जाकर फूलता है, आंतों को चिकना व तर करके मल छुड़ाता है।
छाती के रोग
मेथी का काढ़ा बनाकर, ठण्डा करके एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से कफ प्रकोप, खांसी, श्वास कष्ट, छाती का भारीपन और दर्द दूर होता है।
मोटापा यानि Obesity
मेथी दाने का नियमित सेवन करते रहने से पेट बड़ा नहीं होता, मोटापा नहीं होता और दुबलापन भी नहीं होगा, छाती पेट से बड़ी रहेगी। वजन घटाने या बढ़ाने के लिए मेथी का सेवन अत्यन्त गुणकारी होता है।
चोट और सूजन
मेथी की भाजी को पीसकर पुल्टिस तैयार करें और चोट या सूजे हुए अंग पर बांध दें। इससे चोट के दर्द एवं सूजन में लाभ होता है।
मूत्रावरोध यानि पेशाब रुकने पर
यदि किसी व्यक्ति को बार-बार पेशाब आने की शिकायत रहती है, उन्हें मेथी की पत्तियों का रस प्रतिदिन सुबह-शाम पीना चाहिए।
बहुमूत्रता
जिसे हर घंटे में बार-बार मूत्रत्याग के लिए जाना पड़ता हो अर्थात् बहुमूत्रता का रोग हो. उन्हें एक कप मेथी की पत्तियों के रस में, डेढ़ ग्राम कत्था तथा 3 ग्राम मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सेवन करना चाहिए, इससे बहुमूत्रता में लाभ होता है।
कमरदर्द
कमर के दर्द में मेथी दानों का पाउडर 3 ग्राम की मात्रा में गुनगुुने जल के साथ दिन में दो से तीन बार सेवन करने से बड़ा आराम मिलता है।
कृमि यानि पेट में कीड़ा होने पर
बच्चों के पेट में कृमि यानि कीड़े हो जाते हैं. उनको मेथी के भाजी का 1-2 चम्मच रोज पिलाने से लाभ होता है।
जलन
शरीर में जलन हो तो मेथी के पत्तों को ठंडाई की तरह पीसकर पानी में घोलकर पिएं और बाहरी जगह पर लेप करें। जलन तथा दाह में लाभ होगा।
बाल झड़ना
कमजोरी के कारण असमय बाल झड़ते हो तो मेथी को पानी में पीसकर बालों की जड़ों में रगड़कर लगाएं। सूख जाने पर बालों को ठंडे पानी से धो लें।
अफारा
यदि आपके पेट में गुड़गुड़ाहट हो रही है, डकारें आ रही है, पेट में अधिक वायु बन रही हो तो मेथीदाना और गुड़ समान मात्रा में उबालकर सुबह-षाम सेवन करे तो लाभ होगा।
निम्न रक्तचाप यानि LBP
जिन्हें निम्न रक्त चाप यानि low blood pressure की तकलीफ हो, उन्हें मेथी की भाजी में अदरक, गरम मसाला इत्यादि डालकर सेवन करना लाभप्रद होता है।
लू लगने पर
गर्मी में लू लग जाने पर मेथी की सूखी भाजी को ठंडे पानी में भिगोयें। अच्छी तरह भीग जाने पर मसलकर छान ले एवं उस पानी में शहद मिलाकर एक बार रोगी को पिलाएं, लू में लाभ होता है।
डैन्ड्रफ Dandruff यानि रूसी होने पर
मेथी के बीजों से बालों की रुसी (डैन्ड्रफ) का भी उपचार किया जा सकता है। रात को मेथी के बीजों को भिगो दीजिए, सुबह इन बीजों को चटनी की तरह पीसकर पूरे सिर पर करीब आधे घंटे तक लगा दीजिए। यह क्रिया कुछ दिनों तक करने से रुसी से पूर्ण रूप से छुटकारा मिल जाता है।
जल जाने पर
आग से जल जाने पर मेथी दाना को पानी में पीसकर जले हुए स्थान पर लेप करने से जलन दूर होती है और शरीर पर फफोले नहीं पड़ते हैं।
घ्राणषक्ति यानि सूंघने की शक्ति
कई बार स्वाद या सुगंध को महसूस करने की शक्ति खत्म हो जाती है, इसका मुख्य कारण कब्ज है और कई बार रक्त के इकट्ठे हो जाने से भी नाक में सूजन पैदा हो जाती है। इसी तरह से नाक की ग्रंथियों में कुछ अशुद्धियाँ के इकट्ठे हो जाने के अलावा कफ वगैरह के कारण भी सूंघने की शक्ति खत्म हो जाती है। मेथी का नियमित प्रयोग इन विषमताओं को दूर करने में सहायक सिद्ध हुआ है।
मेथी के विविध उपयोग
मेथी एक पौष्टिक खाद्य
सस्ता व सर्वत्र सुलभ मेथी दाना रक्तशोधक, त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) शामक, कब्ज निवारक, पुष्टिदायक, शक्ति व स्फूर्तिदायक टाॅनिक है। पुराने जमाने में जब सीमेंट का आविष्कार नहीं हुआ था तब भवन निर्माण कराने में चूने के साथ मेथी, सन और गुड़ मिलाकर प्लास्टर और ईंटों की चुनाई करते थे ताकि भवन अनेक वर्षों तक मजबूती से खड़ा रहे। ताजमहल, कुतुबमीनार और पुराने किले इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।
यदि हम सुबह-शाम एक-एक चम्मच मेथी दाना पानी के साथ वैसे ही निगल लिया करें तो हमारा शरीर भी मजबूत और शक्तिशाली बना रह सकता है। घुटने और शरीर के जोड़ मजबूत और निरोग बने रहेंगे भले उम्र बुढ़ापे तक जा पहुंचे। शरीर में गठिया, लकवा, मधुमेह और रक्तचाप जैसे रोग कभी भी प्रवेश न कर सकेंगे। बिस्कुट, ब्रेड, चावल, दूध, दही, घी, भारी गरिष्ठ पदार्थ यदि ठीक से हजम न हों तो रोग पैदा भी कर सकते हैं पर मेथी दाने से कोई रोग नहीं होता बल्कि रोगों से बचाव ही होता है।
मेथी दाने के लड्डू
लड्डू का नाम सुनते ही मुंह ममे पानी आने लगता है. खास बात यह है कि मेथी दाने के लड्डू बहुत पौष्टिक होते हैं।इसके लड्डू विशेष कर शीतकाल में ही खाए जाते हैं। ये वात प्रकोप, जोड़ों के दर्द, गठिया, सायटिका और पीठ व कमर के दर्द को दूर करने में उपयोगी सिद्ध होते हैं। प्रसव के बाद प्रसूता को मेथी दाने के लड्डू का सेवन कराया जाता है जिससे गर्भाशय की शुद्धि होती है, भूख लगती है, पेट ठीक से साफ होता है और वात तथा बादी का शमन होता है।
मेथी पाक
इसके बनाने की विधि बहुत ही आसान है. इसे घर में भी तैयार किया जा सकता है। मेथी एवं सोंठ की 325-325 ग्राम की मात्रा लेकर दोनों का कपड़छान चूर्ण बना लें। फिर सवा पांच लीटर दूध लेकर उसमें 325 ग्राम घी डाल ले, इसके बाद इसमें मेथी एवं सोंठ का कपड़छान चूर्ण मिलाकर, इसको तब तक पकाते है जब तक कि यह एक रस होकर गाढ़ा न हो जाए। उसके पश्चात् इसमें ढाई किलो शक्कर डालकर पुनः धीमी आंच पर पकायें। अच्छी तरह पाक तैयार हो जाने पर नीचे उतार लें, फिर उसमें पीपरामूल, चित्रक, अजवायन, जीरा, धनिया, कलौंजी, सौंफ, जायफल, दालचीनी, तेजपत्र एवं नागरमोथा आदि, ये सभी 40-40 ग्राम एवं काली मिर्च का 60 ग्राम चूर्ण डालकर मिला दें। शक्ति के अनुसार इसे सेवन करें।
शीत ऋतु में विभिन्न रोगों से बचने के लिए एवं शरीर की पुष्टि के लिए मेथी पाक का प्रयोग किया जाता है। यह पाक आमवात, अन्य वात रोग, विषम ज्वर, पाण्डु रोग, पीलिया, उन्माद, अपस्मार (मिर्गी), प्रमेह, वात रक्त, अम्ल पित्त, नासिका रोग, नेत्र रोग, प्रदर रोग आदि सभी में लाभदायक होता है। यह शरीर के लिए पुष्टिकारक और बलकारक भी होता है।
तम्बाकू का विकल्प
आज पूरे विश्व में कैंसर से मरने वाले लोगों में तम्बाकू का सेवन एक प्रमुख कारण माना जाता है. यह मुख के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है. जो भी व्यक्ति तम्बाकू खाना छोड़ना चाहते हैं , मेथी उनके लिए एक अच्छा विकल्प है. 100 ग्राम मेथी दाना लेकर शाम को नमक के पानी में डालकर रख दें। सुबह मेथी दाना को पानी से निकालकर, इस पर नींबू निचोड़कर धूप में सूखा ले या सेंक ले। जब तम्बाकू खाने की इच्छा हो तब तम्बाकू न खाकर, इसे मुंह में रख लें। तम्बाकू छूट जाएगी और उसकी जगह मेथी दाना ले लेगा। इसके प्रभाव से नस-नाड़ियों का अवरोध दूर होगा, आंखों की ज्योति बढ़ेगी, गैस शान्त होगी,स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और मन में उमंग रहेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तम्बाकू खाने से होने वाली हानियां नहीं होगी ।
मेथी के सेवन में बरतें ये सावधानी
मेथी दाना का एकमात्र दुष्प्रभाव वायु विरेचन है, इसलिए शुरुआत में मेथी दानेे के सेवन से कुछ रोगी अतिसार (दस्त) के चपेट में आ जाते हैं, लेकिन यह शिकायत धीरे-धीरे स्वयं समाप्त हो जाती है। गर्भवती महिलाओं औरं रक्त पित्त के रोगी को मेथी दाना का सेवन नहीं करना चाहिए।
एक मेथी के इतने सारे फायदे ! है न अद्भुत ! आज से ही मेथी दाने को या साग को अपने भोजन का भाग बनायें और सदैव स्वस्थ रहें! आपका लाइफ हैप्पी वाला लाइफ हो और behtarlife हो! धन्यवाद!
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Rakesh Kumar says
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