Prahlad Sucess Lessons Motivational Article प्रहलाद से सीखें सफलता का पाठ प्रेरक लेख
प्रस्तुत पोस्ट Prahlad Sucess Lessons Motivational Article में भारतीय पौराणिक कथा के बाल नायक भक्त प्रहलाद की लगन और निष्ठां को आज के परिपेक्ष्य में समझने की कोशिश करेंगे. आज भी लोग सफल हो रहे हैं और असफल भी हो रहे हैं. इस पोस्ट में हम भक्त प्रह्लाद के जीवन से सफलता पाने के कुछ सूत्र सीखते हैं.
जैसा कि आपको पता है , प्रहलाद एक भक्त बालक थे. वे हिरण्यकश्यपु के पुत्र थे. उसका पिता आसुरी स्वभाव वाला था और खुद को ही ईश्वर समझता था. हिरण्यकश्यपु के राज्य में केवल उसी की पूजा होती थी. प्रजा अपने राजा को भगवान का रूप मानती थी. हिरण्यकश्यपु ने सारे राज्य में मुनादी पिटवा दी थी कि अपने राजा को छोडकर यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु या अन्य किसी देवी-देवता को अपना भगवान मानेगा तो उसे मृत्युदंड दिया जाएगा.
अतएव उसके डर से हिरण्यकश्यपु की प्रजा भगवान का नाम नहीं लेती थी. लेकिन भाग्य की विडम्बना देखिये कि भगवान के सबसे बड़े विरोधी राजा की पत्नी के गर्भ से एक भक्त बालक का जन्म हुआ. उस बच्चे का नाम प्रहलाद था. नारद मुनि ने बचपन में ही उस बच्चे को भगवान से सम्बन्धित सारी बातें बता दी थीं. जिस कारण प्रहलाद का मन दिन व दिन भगवान का प्रेम पाने के लिए व्याकुल रहने लगा.
प्रहलाद का लक्ष्य था- भगवदभक्ति
अपने पिता के बार-बार मना करने पर भी प्रहलाद भगवान के नाम का जप किया करते थे. प्रहलाद की माँ भी एक भक्त महिला थी. वे भी अपने बच्चे को भगवान की महिमा के बारे में बताती रहती थीं लेकिन अपने पति के डर से भगवान का नाम उनकी जुबान पर नहीं आ पाता था. वे पति से छिपकर प्रहलाद को ज्ञान भक्ति की बातें सुनाती थी. जैसे-जैसे प्रहलाद बड़े होने लगे, भगवान का स्नेह पाना ही उनके जीवन का लक्ष्य बन गया. वे खाते-पीते, सोते-जागते और हर कार्य करते समय भगवान के ही ध्यान में मग्न रहते थे.
प्रहलाद के पिता हिरण्याकश्यप ने प्रहलाद का ध्यान ईश्वर से हटाने के लिए क्या-क्या नहीं किया. उसने प्रहलाद को कठोर यातनाएँ दीं. ऊँचे-ऊँचे पर्वतों से गिरवाया, नदी में फेंका गया, अग्नि में जलाने का प्रयास किया गया लेकिन प्रहलाद की लगन अपने लक्ष्य के प्रति कम नहीं हुई.
अपने लक्ष्य के प्रति जब हमारी ऐसी लगन होगी तभी हमें अपने लक्ष्य तथा जीवन के कार्यों में सफलता मिल सकेगी.
जिस प्रकार प्रहलाद ने अपने लक्ष्य को पाने में कई प्रकार के विघ्नों तथा मुसीबतों का सामना किया था, उसी प्रकार हमें अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए अगर किसी तरह की कठिनाई, मुसीबत या समस्या का सामना करना पड़े तो हमको उस समस्या से घबराना नहीं चाहिए.
यह जरूरी नहीं कि सभी मनुष्यों के जीवन का लक्ष्य प्रहलाद की तरह ईश्वर को पाना ही हो. हर व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य उसके स्वभाव-संस्कार के अनुसार अलग-अलग प्रकार का होता है. किसी के जीवन का लक्ष्य रूपया-पैसा कमाना, किसी के जीवन का लक्ष्य समाज में मान -सम्मान और प्रतिष्ठा पाना तथा किसी के जीवन का लक्ष्य किसी खेल या कला में सफलता एवं दक्षता पाना हो सकता है लेकिन हर लक्ष्य की सफलता व्यक्ति की लक्ष्य के प्रति लगनशीलता तथा कार्य उत्साह के ऊपर निर्भर करती है.
अपने ऊपर विश्वास रखें
प्रहलाद अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सफल भी रहे क्योंकि उन्हें अपने ऊपर विश्वास था कि वे जो कार्य कर रहे हैं, ठीक ही कर रहे हैं तथा इसी में उनके जीवन का एवं समाज के लोगों का हित समाया हुआ है.
हमारा जो भी लक्ष्य हो, हमें स्वयं पर भरोसा रखकर अपने लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयत्न करना चाहिए तथा कार्य में पड़ने वाले विघ्नों से घबराना नहीं चाहिए. कभी- कभी ऐसा लगता है कि जिन्दगी की मुश्किलें तथा कार्य के विघ्न हमें हमारे लक्ष्य से हटा देंगे या हमको हमारे लक्ष्य में कामयाब नहीं होने देंगे लेकिन कार्य के प्रति अटूट लगन, साहस, आत्मविश्वास तथा लक्ष्य के प्रति दृढ निश्चय होने के कारण हमको अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त होकर ही रहती है.
एकला चलो रे
किसी मंजिल की ओर कदम बढ़ाने वाला राहगीर या पथिक भी एक लक्ष्य-साधक हुआ करता है. प्रायः उसे अपने लक्ष्य की तरफ अकेले ही चलना होता है. पथ का कोई सहयात्री मिल गया तो ठीक, वरना अकेले ही रास्ता तय करना पड़ता है.
आजकल तो तेज गति से चलने वाले मोटर आदि चल गए हैं और लम्बी-से लम्बी दूरी तय करना मुश्किल नहीं होता लेकिन प्राचीन समय में लोग पैदल यात्रा करते हुए ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाया करते थे. रास्ते में सूनसान जंगल भी पड़ते थे तथा खूंखार जंगली जानवरों का डर भी रहता था. तथापि धीर-वीर और साहसी प्रकार के पथिक अपनी मंजिल के रास्ते पर आगे बढ़ते ही जाते थे. मार्ग में धूप, बरसात और सर्दी भी सहन करनी पडती थी. चलते- चलते कभी-कभी रात भी हो जाती थी और कभी- कभी तो वन्य पशुओं से सुरक्षा पाने के कारण पेड़ के ऊपर सोकर भी रात गुजारनी पडती थी.
जोखिम भरे कार्यों में आदमी को मुसीबतों तो झेलनी ही पडती हैं. ऊँचे लक्ष्य वाले लोगों के लिए जीवन का पथ न तो कभी आसान रहा है और न रहेगा. जितनी ऊँची मंजिल होती है, व्यक्ति को उतनी ही बड़ी परीक्षाओं और विघ्नों का सामना करना पड़ता है. इस सबसे निपटने के लिए जरूरत पडती है अदम्य साहस, अटूट आत्मविश्वास एवं अपार धीरज की. यदि आपमें प्रहलाद जैसी लगन और दृढ़ता है तो आप अपने लक्ष्य को जरुर पायेंगे.
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