प्रस्तुत पोस्ट Bebaak Ray Hindi Short Story बेबाक राय हिन्दी लघु कथा में यह दिखाने का प्रयास किया गया है जब भी कोई व्यक्ति हमें अपनी सलाह देता है तो यह जरुरी नहीं कि उसकी राय हमारे मनोनुकूल हो. उस राय पर प्रतिक्रिया देने या कोई एक्शन लेने से पहले कम से कम दो बार जरुर सोचना चाहिए. आइये पढ़ते हैं यह लघु कथा: Bebaak Ray Hindi Short Story बेबाक राय
Bebaak Ray Hindi Short Story बेबाक राय हिन्दी लघु कथा
विशालगढ़ में एक राजा था. उनका नाम शाहदेव था. उसके सात लडकियां थीं. सभी लडकियां अपने पिता से बहुत प्यार करती थी. एक दिन राजा ने अपनी सभी बेटियों को अपने पास बुलाया और पूछा –“तुम सब क्रमानुसार मुझे यह बताओ कि मैं तुम सबको कितना अच्छा लगता हूँ”.
“पिताजी ! आप मुझे लड्डू की तरह अच्छे लगते हैं.” – पहली बेटी ने उत्तर दिया.
“पिताजी, आपका स्वभाब बर्फी की तरह मीठा है.” – दूसरी लडकी ने कहा.
“आपका स्वभाव जलेबी की तरह है .” – तीसरी लडकी बोली.
“आप शहद की तरह मीठे हैं.” – चौथी बेटी ने कहा.
“आप मुझे मिस्री से ज्यादा मीठे लगते हैं.” – पांचवी लडकी ने उत्तर दिया.
“पिताजी, आपका स्वभाव नमक की तरह लगता है.” – छठी लडकी बोली,
आप मिर्च की तरह तीखे हैं.” – सातवीं ने कहा.
राजा अपनी पांच बेटियों के उत्तर से बड़ा खुश हुआ. बाकी बची दोनों बेटियों से उसे सख्त नाराजगी हुई. राजा ने पांचों बेटियों की अच्छे-अच्छे घरानों में शादी कर दी. वे सुख-चैन से अपना जीवन बिताने लगीं, लेकिन राजा ने अपनी दो लडकियों को देश निकाला दे दिया.
वे दोनों एक जंगल में झोपड़ी बनाकर रहने लगीं. वे जंगल में फलों को खाकर अपना गुजारा कर रही थीं. एक दिन जंगल में एक राजकुमार शिकार खेलने आया. उसने दोनों बहनों को देखा. उस राजकुमार को बड़ी वाली बहन ज्यादा अच्छी लगी, इसलिए वह उस पर मोहित हो गया.
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“तुम मेरे साथ राजमहल में चलो मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ.” – राजकुमार ने अगले दिन उस लडकी से कहा.
“मैं तुम्हारे साथ अभी नहीं चल सकती. मैं अपनी छोटी बहन से पूछकर तुम्हें बताउंगी.” – लडकी बोली लेकिन राजकुमार नहीं माना .
राजकुमार लडकी से जिद कर बैठा. उसने लडकी को जबरदस्ती अपने घोड़े पर बैठाया और उसे लेकर चल दिया. रास्ते में लडकी के हाथ एक पुड़िया लगी. पुड़िया में सरसों के बीज थे. वह रास्ते-भर सरसों के बीजों को गिरती गई. उसकी बहन ने जब झोपडी खाली देखी तब वह जोर-जोर से रोने लगी. कुछ देर बाद उसके पास एक बन्दर आया. बंदर ने उसे सारी बातें बताई. वह लडकी अपनी झोपडी से निकल पड़ी. वह सरसों के बीजों को देखते-देखते शहर पहुंच गई.
शहर में उसने एक महल देखा. महल में भी सरसों के बीज गिरे हुए थे, इसलिए वह समझ गई कि मेरी बहन इसी महल में आई है. उसने महल के दरवाजे पर एक भट्ठी लगाई. वह भट्ठी में भूंजा भूनने लगी. महल के नौकर-चाकर उसके पास अनाज के दाने भुनवाने आने लगे. एक दिन उसकी बहन ने अपने नौकर के द्वारा मकई के दाने भुनवाने भेजे.
छोटी बहन ने दानों को सूंघते हुए कहा- “इन दानों में मेरी बड़ी बहन के हाथ की खुशबू आ रही है ” इन दानों को उसके जैसा बढिया और कोई नहीं भून सकता.”
नौकर वापस राजमहल में आया. उसने रानी से कहा -“जो लडकी दाने भून रही थी, वह बड़ी खूबसूरत है. वह आपको अपनी बहन बता रही थी. उसने कहा कि मेरी बहन जितने बढिया दाने भूनती थी, उतने बढिया दाने और कोई नहीं भून सकता.”
“उसे फौरन मेरे पास लाओ.” रानी ने नौकर को आदेश दिया.
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नौकर उसे बुलाने गया. वह नौकर के साथ राजमहल में आई. राजमहल में वह अपनी बहन से गले लगकर रोने लगी. उसने अपनी बड़ी बहन को बताया कि सरसों के बीजों का पीछा करते-करते वह यहां तक पहुंची है. राजा को उस पर दया आ गयी. राजा ने एक अच्छे व खूबसूरत लडके के साथ उसकी शादी करा दी और वह राजा के राजमहल में ही रहने लगी. इस तरह से दोनों बहनों का घर बस गया. अब उन दोनों ने अपने पिता को राजमहल में बुलाना चाहा.
एक दिन रानी ने राजा से कहा-“आप एक बड़ी दावत का आयोजन करो. दावत में आस-पास के सभी राजाओं को आमंत्रित करो.”
राजा ने रानी के कहने पर दावत का प्रबंध किया. दावत में छप्पन प्रकार के पकवान बनाए गए. इस दावत में दोनों बहनों के पिता भी आए. उनके पिता को खाने में मीठी चीजें दी गईं. दो-चार मिठाईयां खाने के बाद उन्होंने नौकरों से पूछा- “यहां खाने में कोई नमकीन चीज नहीं है क्या?”
तभी दोनों बहनों ने अपने पिताजी के सामने आते हुए कहा -“पिताजी ! आप तो सिर्फ मीठी चीजों से प्यार करते थे. आज आपको नमकीन चीजों की कैसे याद आ गई. शायद आपको याद होगा जब हमारी पाँचों बहनों ने कहा था कि आप मिठाइयों की तरह अच्छे लगते हैं तब आपको बड़ी खुशी हुई थी, लेकिन जब हम दोनों ने कहा कि आप हमें नमक-मिर्च की तरह अच्छे लगते हैं तब आपने नाराज होकर हमें देश-निकाला दे दिया था. पिताजी, मनुष्य का जीवन तभी पूर्ण होता है जब उसके जीवन में नमक-मिर्च की तरह सुख-दुख दोनों का ही संतुलन हो.” दोनों बेटियों की बात सुनकर राजा बड़ा शर्मिंदा हुआ.
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आपने हम दोनों बहनों से राय माँगी थी. हमने अपनी बेबाक राय आपको दी, लेकिन आपको वह पसंद नहीं आयी. आपने हम दोनों बहनों को दण्डित किया, जो गलत था. राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी बेटियों से मांफी मांगी और बेटियां प्रसन्न होकर राजा से लिपट गई.
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