आज Lenin Biography in Hindi लेनिन की जीवनी को एक पोस्ट के रूप में यहाँ प्रस्तुत करने के पीछे एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण यह है कि हाल ही में लेनिन की मूर्ति को गिराने की घटना सामने आयी है. सबसे बड़ी बात यह है कि हो सकता है कि हमें कोई विचारधारा पसंद नहीं हो, इसका कतई मतलब यह नहीं निकलता कि हम उस विचारधारा से जुड़े लोगों या संस्थानों को निशाना बनायें.
यह बात सभी लोगों पर लागू होती है चाहे वह नेहरु जी के चाहनेवाले हो, या श्यामा प्रसाद मुख़र्जी को पसंद करने वाले हों या फिर पेरियार या लेनिन या गांधीजी को अपना आदर्श माननेवाले हों. हमें सभी विचारधारा और उनसे जुड़े प्रतीकों का सम्मान करना चाहिए. इस पोस्ट Lenin Biography in Hindi में हम रूस के निर्माता लेकिन के विराट व्यक्तित्व के बारे में संक्षेप में जानने का प्रयास करते हैं.
व्लादिमीर लेनिन का परिचय
व्लादिमीर इलीइच लेनिन का जन्म 22 अप्रैल 1870 को रूस के सिंवीसर्क नामक स्थान पर हुआ था. उनका वास्तविक नाम उल्यानोव था. उनके पिता स्कूल निरीक्षक थे और वे लोकतांत्रिक विचारों के हिमायती थे. उनकी माता एक चिकित्सक की पुत्री थी और सुशिक्षित थीं. उनके पिता की मृत्यु सन 1886 में हो गयी. उसके बाद लेनिन और उनके कई भाई और बहनों का भार उनकी माता जी पर आ पडी. शुरू से ही ये सभी भाई बहन क्रांतिवाद की और आकृष्ट हुए. बड़े भाई एलेग्जेंडर को जार की हत्या की साजिश रचने में शरीक होने के आरोप में फ़ासी दे दी गयी थी.
उच्च योग्यता के साथ स्नातक पास करने के बाद लेनिन ने सन 1887 में कजान यूनिवर्सिटी में लॉ में दाखिला लिया. परन्तु छात्रों द्वारा क्रन्तिकारी प्रदर्शन ने भाग लेने के चलते इनको यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया. सन 1889 में वे समारा चले गए और वहां स्थनीय लोगों के साथ मार्क्सवादियों की एक मंडली बना ली.
सन 1891 में पीट्सबर्ग विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री ली और सामरा में ही वकालत आरम्भ कर दिया. सन1893 में पीट्सबर्ग को अपना निवास स्थान बना लिया और जल्द ही वहां के मार्क्सवादियों के सर्वमान्य नेता बन गए. मजदूरों में क्रांति का प्रचार कर रही महिला क्रुप्सकाया से यहीं लेनिन की मुलाकात हुई और ताउम्र उनका सहयोग प्राप्त होता रहा.
सन 1895 में लेनिन को पकड़कर जेल में डाल दिया गया. सन 1900 में बाहर आकर एक अखबार निकालने के लिए उन्होंने कई स्थानोंकी यात्रा की. रूस से बाहर जाकर वे इस्का नामक अखबार निकालने लगे.
रूस की प्रथम क्रांति
सन 1905 से 1907 के दौरान उन्होंने रूस की प्रथम क्रांति के समय आम लोगों को प्रेरित करने में बोल्शेविकों का मार्गदर्शन किया. अवसर मिलते ही 1905 में रूस आ गए. सशस्त्र विद्रोह की तैयारी कराने तथा केंद्रीय समिति की गतिविधियों का संचालन करने में उन्होंने पूरी शक्ति और लगन के साथ अपना हाथ बंटाया और कार्कानों और मिलों में काम करने वाले मजदूरों की सभाओं में अनेक बार भाषण दिया.
प्रथम रूसी क्रांति के विफल हो जाने पर लेनिन को पुनः देश का त्याग करना पड़ा. प्रथम विश्व युद्ध के समय लेनिन ने स्विट्ज़रलैंड को अपना निवास बनाया. विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने अपने दल के लोगों को संगठित करना अनवरत जारी रखा.
सन 1917 में रूस में क्रांति के आरम्भ होने पर वे पुनः रूस वापस आ गए. उन्होंने क्रांति के व्यापक तैयारियों का संचालन किया.
जुलाई 1917 में क्रांतिकारियों के हाथ में सत्ता चली जाने पर बोल्शेविक दल ने अपने नेता के अज्ञातवास की व्यवस्था की. अक्टूबर 1917 में विरोधियों की सरकार का तख्ता पलट कर दिया गया और 7 नवम्बर 1917 को लेनिन की अध्यक्षता में सोवियत सरकार की स्थापना की गयी. 21 जनवरी 1924 को लेनिन का देहांत हो गया.
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