प्रस्तुत पोस्ट Tim Bernes Lee Biography in Hindi टिम बर्नर्स ली की जीवनी में हम एक ऐसे इंसान के बारे में जानेगें जिन्के प्रयास से आज दुनिया भर के लोग इन्टरनेट का प्रयोग कर रहे हैं.
आरंभिक जीवन
टिम बर्नर्स ली एक ब्रिटिश कम्प्यूटर वैज्ञानिक हैं. वे वर्ल्ड वाइड वेब के आविष्कारक हैं. उनके इस आविष्कार ने दुनिया को नजदीक ला दिया. इस महान आविष्कारक को ‘टाइम’ पत्रिका ने 20 वीं सदी के महान 100 महान वैज्ञानिकों और विचारकों की सूची में शामिल किया है.
टिम या टिमोथी बर्नर्स का जन्म 8 जून, 1955 को लंदन में हुआ. उनके माता-पिता दोनों गणितज्ञ थे. उन्होंने टिम को हर जगह, यहाँ तक कि खाने की मेज पर भी गणित सिखाया. टिम की आरंभिक पढाई एमानुएल स्कूल में हुई और क्वींस कालेज,आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से उन्होंने प्रथम श्रेणी में भौतिकी की डिग्री हासिल की.
वर्ल्ड वाइड वेव की कल्पना साकार
सन 1980 में वे स्विट्जरलैंड में यूरोपियन पार्टिकल फिजिक्स लैबोरेटरी, सर्न में बतौर फैलो काम करने लगे. वहाँ बहुत सारे कम्प्यूटर लगे हुए थे, जिनमें अलग-अलग फारमेट में सूचनाएँ एकत्र थीं. उनका मुख्य काम था- अनुसंधानकर्ताओं तक सूचनाएँ पहुंचना. इसी दौरान उनके मन में विचार आया कि क्यों न कोई ऐसा तरीका खोजा जाए कि एक ही जगह बैठकर सब लोग इन सूचनाओं तक आसानी से पहुंच जाएं. और बस वे कम्प्यूटर से उलझ गए. आखिर सन 1990 के आरंभ में उन्होंने वर्ल्ड वाइड वेब का पहला वर्जन, पहला वेब ब्राउजर और पहला वेब सर्वर बना लिया. 6 अगस्त, 1991 को दुनिया का पहला वेब पेज सर्न में बना. इसका एड्रेस- info.cern.ch था. आज यह वेब क्रान्ति 21वीं सदी का सबसे लोकप्रिय संपर्क साधन है.
मुफ्त इन्टरनेट के पक्षधर
बर्नर्स ली ने बाद में देखा कि वेब में शामिल सारी प्रौद्योगिकी पहले से ही मौजूद थी- हाइपरटेक्स, इंटरनेट इत्यादि उन्होंने इतना किया कि इन सबको एक साथ मिला दिया. इस ऐतिहासिक आविष्कार के समय टिम सर्न में कार्यरत थे इसलिए यह सर्न की ही बौद्धिक संपदा थी. टिम के अनुरोध पर सर्न ने 30 अप्रैल, 1993 को इसे पूरी दुनिया के लिए मुक्त कर दिया. अब कोई भी मुफ्त में इसका इस्तेमाल कर सकता था. बर्नर्स ली का मानना था कि अगर हम इसके लिए अधिकार शुल्क लेंगे तो कल को कोई इसे मुफ्त में लेकर आ जाएगा.
सन 1994 में टीम संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए. वहाँ इसी वर्ष मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी में उन्होंने विश्व व्यापी वेब संघ की स्थापना की. यह संघ वर्ल्ड वाइड वेब गुणवत्ता को सुधारने और इसके मानवीकरण के काम में लगा हुआ है. टिम आरंभ से ही वर्ल्ड वाइड वेब और इंटरनेट की स्वतन्त्रता के समर्थक हैं; वे नहीं चाहते कि सरकारें इस पर किसी तरह की सेंसरशिप थोपें. उनका कहना है, “इसके आविष्कार के लिए मैंने किसी की अनुमति नहीं ली. आज लाखों-लाख लोग मुफ्त में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.”
टिम अनेक देशी-विदेशी संस्थानों में इंजीनियरिंग और कम्प्यूटर विज्ञान के प्रोफेसर भी रहे. वे वर्ष 2009 में बने वर्ल्ड वाइड वेब फाउंडेशन के डायरेक्टर हैं. वेब साइंस ट्रस्ट के भी डायरेक्टर हैं. वे सरकारी सूचनाओं को ज्यादा-से-ज्यादा वेब पर डालने के लिए कार्यरत हैं.
पुरस्कार और सम्मान
उनके ऐतिहासिक कार्य के लिए उन्हें अनेक पुरस्कार मिले. 2001 में वे रायल सोसाइटी, लंदन के फैलो बने. सन 2004 में उन्हें ‘नाइटहुड’ की उपाधि दी गी. 2007 में आर्डर आफ मेरिट, इंग्लैंड के सबसे महत्वपूर्ण सम्मान से सम्मानित किया गया. इसके आलावा जापान, आस्ट्रिया, जर्मनी आदि देशों ने भी उन्हें सम्मानित किया. 18 मार्च, 2013 को उन्हें ‘क्वीन एलिजाबेथ प्राइज फार इंजीनियरिंग’ से सम्मानित किया गया.
उन्होंने ‘वीविंग द वेब’ नामक पुस्तक भी लिखी, जिसमें वर्ल्ड वाइड वेब के निर्माण के दौरान हुए अनुभवों का ब्यौरा मौजूद है.
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