यदि आप कुछ गिने चुने मोटिवेशनल पुस्तकों की सूची बनायेगें तो उसमें आपको एक नाम अवश्य जोड़ना पड़ेगा. वह है द सेवेन हैबिट्स ऑफ़ हाइली इफेक्टिव पीपल. आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि इस प्रेरक पुस्तक के लेखक डॉ स्टीफन आर कवी हैं. उनके घर परिवार के लोग चाहते थे कि वह भी उनके होटल बिज़नस में हाथ बटायें लेकिन उनके मन में तो कुछ और चल रहा था. वे एक महान शिक्षक और परामर्शदाता बने.
प्रस्तुत पोस्ट Stephen Richards Covey Thoughts in Hindi में उनके कुछ प्रमुख विचारों को आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है. आशा है आपको ये विचार अच्छे लगेंगे और आपके जीवन को बेहतर बनाने में सहयोगी साबित होगें.
Stephen Richards Covey Thoughts in Hindi डॉ स्टीफन आर कवी के महत्वपूर्ण विचार
हमें कभी भी आरी चलाने में इतना व्यस्त नहीं होना चाहिए कि उसकी धार बनाने का भी समय न मिले.
अपनी प्राथमिकताओं की अनुसूची तैयार करना ही सफलता की कुंजी है, न कि अनुसूची के मुताबिक अपनी प्राथमिकताओं को तय करना.
हम सभी बदलाव के एक ऐसे दरवाजे की पहरेदारी कर रहे हैं जिसे सिर्फ भीतर से ही खोला जा सकता है.
अप्रसन्न रहने की तरह ही प्रसन्न यानी हैप्पी रहना भी एक क्रियाशील चुनाव है.
यदि आप वाकई अपनी परिस्थिति को बेहतर बनाना चाहते हैं तो आपको उसी एक चीज पर कार्य करना चाहिये जिसपर आपका नियंत्रण है – यानी आप स्वयं.
किसी विशाल जहाज के पतवार से जुडी हुई एक अन्य छोटी पतवार भी होती है जिसे ट्रिम टैब कहते हैं. इसे जरा भी हिलाने पर पतवार धीरे –धीरे मुडती है जिससे उस विशालकाय जहाज की दिशा भी बदल जाती है. आप स्वयं को ट्रिम टैब की तरह समझें. स्वयं में छोटे –छोटे बदलाव लाकर आप किसी आर्गेनाईजेशन को बदल सकते हैं और शायद वहां के पूरे वर्क कल्चर को भी बदल सकते हैं.
किसी भी मानवीय प्रयास के दौरान कुछ ऐसे महत्वपूर्ण क्षण आते हैं जिनका उत्तम प्रयोग किया जाय तो वे भविष्य के निर्णायक क्षण बन जाते हैं. मुश्किल वक़्त में मजबूत बने रहें.
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हम कर्म करने के लिए तो स्वतंत्र हैं लेकिन उन कर्मों के परिणाम भुगतने में स्वतंत्र नहीं हैं. याद रखिये यदि आप छड़ी का एक सिरा पकड़ कर उठाते हैं तो दूसरा सिरा अपने आप उठ जाता है.
जिस भी व्यक्ति ने बहुत ही प्रभावशाली तरीके से अच्छे या बुरे काम किये हैं उनके अन्दर ये तीन गुण अवश्य रहे होगें – भविष्य दृष्टि; अनुशासन और तीव्र मनोभाव. हिटलर में ये तीनों गुण थे लेकिन चौथा अनिवार्य गुण नहीं था – विवेक. इसका परिणाम था विनाश?
प्रकाश फैलाएं, निर्णय देनेवाला मत बने. एक आदर्श व्यक्ति बने. आलोचक नहीं.
हममें से अधिकांश लोग तुरंत पुरे किये जानेवाले कामों पर बहुत सा समय खर्च करते हैं और महत्वपूर्ण कामों के लिए पर्याप्त समय नहीं निकालते.
कोई व्यक्ति जितना बेहतर बन सकता है, उसे बनना चाहिए.
सर्वश्रेष्ठ का शत्रु अक्सर श्रेष्ठ होता है.
हम अपने सम्पूर्ण जीवन में और इस पूरी दुनिया में जो सबसे महत्वपूर्ण काम कर सकते हैं, वह हमारे घर की चारदीवारी में ही हो सकता है.
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जिस रिश्ते में खटास आ गयी हो उसे मजबूत बनाने का एकमात्र वास्तविक उपाय है आमने –सामने की बातचीत – उस व्यक्ति के पास जाकर समाधान की बात करें, घटी हुई घटना पर दोबारा चर्चा करें, माफी मांगे, उसे माफ़ करें , या जो कुछ आपको कारगर लगे वह करें.
जब हमारा किसी समस्या पर नियंत्रण न हो तो हमें पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए, मुस्कुराकर, शांति और ईमानदारी के साथ उस समस्या को स्वीकार कर उसके साथ जीना सीख लेना चाहिए, भले ही हम ऐसा करना पसंद न करें. इस तरह से, हम उस समस्या को स्वयं पर नियंत्रण स्थापित करने से रोक देते हैं.
प्रभावशाली लोग समस्या पर नहीं बल्कि अवसरों पर ध्यान केंद्रित करते हैं. वे अवसरों को पुष्ट बनाते हैं और समस्याओं को भूखा रखते हैं.
यदि हम मौलिक समस्या पर काम नहीं करेंगे तो दुनिया भर के शुभ चिंतकों की सलाह का भी कोई मूल्य नहीं होगा.
आदत ज्ञान (what to do), कौशल (how to do) और इच्छा (to do) का समागम है.
अपनी बुद्धि को जानकारी द्वारा बढ़ाने का इससे बेहतर तरीका कोई नहीं है कि नियमित रूप से अच्छा साहित्य पढने की आदत डाल ली जाय.
प्रभावित होना ही दूसरों को प्रभावित कर सकने की कुंजी है.
अधिकतर वाद –विवाद वास्तव में असहमतियां नहीं होते हैं बल्कि अहंकार रुपया छोटी मोटी लड़ाइयां एवं ग़लतफ़हमियां होते हैं.
पहले समझने का प्रयास करें , फिर समझ जाने का.
अधिकतर लोग समझने के उद्धेश्य से नहीं सुनते हैं. वे जबाब देने की इच्छा से सुनते हैं. या तो वे बोल रहे होते हैं या बोलने की तैयारी कर रहे होते हैं. वे हर बात को अपने प्रतिमानों से तौलते हैं, अपनी आत्मकथा को दूसरों के जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं.
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आप जितनी गहराई से दूसरों को समझेगें, उतनी ही उनकी क़द्र करेंगे, उतनी ही उनके प्रति श्रद्धा रखेंगे. दूसरे व्यक्ति के आत्मा को छूना किसी पवित्र स्थान पर जाने के समान है.
शब्द उंचाई से फेंके गए अण्डों की तरह होते हैं. आप इन दोनों को फिर वापस नहीं ले सकते और बस उनके द्वारा की गयी अस्त –व्यस्तता को देखभर सकते हैं.
दिखावटी जीवन एक दुष्कर कार्य है.
लोगों की कमजोरियों को लेकर बहस न करें. अपने बचाव में बहस न करें. जब आप कोई गलती करते हैं तो उसे स्वीकारें, सुधारें और उसे सीखें –तुरंत.
सभी लोगों के लिए सभी तरह का बनने के प्रयास में कोई व्यक्ति आख़िरकार किसी के लिए कुछ भी नहीं बन पाता – खासकर स्वयं के लिए.
स्वयं से एक छोटा सा वादा करें और उसे निभाएं. फिर जरा बड़ा वादा करें, फिर और बड़ा. आख़िरकार आपनी सम्मान की भावना आपकी मनोदशा से बड़ी हो जायेगी; और जब ऐसा होगा तो आप शक्ति का सच्चा स्रोत पा लेंगे – नैतिक सत्ता.
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आपकी समस्याओं की शुरुआत आपके ह्रदय से ही होती है.
आप उस समस्या से बाहर आने की बात नहीं कर सकते जिसके भीतर जाने का मार्ग आपने ही चुना था.
अपने कर्मचारियों के साथ हमेशा वैसा ही व्यवहार करें जिस तरह का व्यवहार आप उनके द्वारा अपने सबसे मूल्यवान ग्राहकों के लिए चाहते हैं.
प्रभावशाली नेतृत्व का मतलब है जरुरी चीजों को पहले करना एवं अनुशासन और उसका क्रियान्वयन.
यदि आप अच्छे लोगों को ख़राब तंत्र में रखते हैं तो परिणाम बुरे ही होंगे. यदि आप किसी पौधे के फूल खिलते देखना चाहते हैं तो सिंचाई तो करनी ही होगी.
आप जड़ों में बदलाव लाये बिना फल में बदलाव नहीं ला सकते हैं.
मन को शिक्षित करने के लिए ह्रदय को शिक्षित करना परम आवश्यक है.
मैं मानता हूँ कि स्वयं को शिक्षित करने के लिए एक व्यवस्था आवश्यक है. इसके लिए एक औपचरिक क्लास या कोर्स करना जरुरी नहीं है. एक अनौपचारिक चर्चा समूह अथवा सोच – विचारकर बनाया गया पाठ्य कार्यक्रम पर्याप्त है. लेकिन यदि कोई व्यवस्था या बाहरी अनुशासन न हो तो अधिकतर व्यस्क एक अच्छी शुरुआत करने के बाद अपना प्रयास छोड़कर पुराने तरीके की ओर लौट जाते हैं.
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संबंधों में छोटी –छोटी चीजें ही वास्तव में बड़ी होती हैं.
हमारी सर्वाधिक महत्वपूर्ण वित्तीय संपत्ति है हमारी कमाई करने की क्षमता.
अधिकतर लोग कहते हैं कि उनकी मुख्य गलती है अनुशासन का अभाव. गहराई से सोचने पर मैं पाता हूँ कि ऐसा नहीं है. मुख्य समस्या यह है कि उनकी प्राथमिकताएं उनके दिलों दिमाग में गहराई तक नहीं बैठ पाई है.
यदि दो लोगों का एक समान राय है तो उनमें से एक अनावश्यक है.
सह –अस्तित्व किसी समझौते की तरह नहीं है. समझौते में , एक और एक को जोड़कर अधिकतम डेढ़ ही होता है.
यदि आप चाहते हैं कि लोग आप पर विश्वास करें तो विश्वास के योग्य बनिये.
उपस्थित लोगों का विश्वास प्राप्त करने के लिये अनुपस्थित लोगों के प्रति वफादार रहिये.
लोग सहज रूप से उन पर विश्वास करते हैं जिनका व्यक्तित्व उचित सिद्धांतों पर आधारित होता है.
विश्वास मानवीय प्रेरणा का उच्चतम रूप है.
उचित सिद्धांत कम्पास की तरह होते हैं – वे हमेशा रास्ता दिखाते हैं और यदि हम उन्हें पढ़ना जानते हैं तो हम न तो भटकेंगे, न ही दुविधा में पड़ेंगे और न ही संघर्ष पैदा करनेवाली आवाजों और मूल्यों द्वारा मूर्ख बनाये जायेंगे.
समस्या को देखने का जरिया ही हमारी समस्या बन जाती है.
दिमाग में अंतिम परिणाम को ध्यान में रखकर शुरुआत करें.
यदि हम सीढ़ी को सही दीवार पर न लगायें तो हमारे द्वारा उठाया गया हर कदम हमें तेजी से गलत दिशा की ओर ले जाता है.
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किसी भी कार्य या नौकरी में कोई भविष्य नहीं होता. भविष्य तो सिर्फ आपके भीतर छिपा होता है.
लोगों को जिम्मेदारी की राह पर बनाये रखना कोई नीचा दिखाने वाला काम नहीं है, यह तो सकारात्मक कार्य है.
वादा शब्द का प्रयोग तब तक न करें जब तक आप उसे हर कीमत पर निभाने के लिए तैयार न हों.
उत्तरदायित्व से जिम्मेदारी का एहसास होता है.
किसी परिस्थिति को बेहतर बनाने के लिए पहले आपको बेहतर बनना होगा. अपनी पत्नी में परिवर्तन लाने के लिए आपको अपनेआप को बदलना होगा. अपने पति का दृष्टिकोण बदलने के लिए आपको अपना दृष्टिकोण बदलना होगा. अधिक आजादी पाने के लिए आपको ज्यादा जिम्मेदार और अनुशासित बनना होगा.
बच्चों को आज्ञाकारी बनाने के लिए हमें अभिभावकों के रूप में कुछ नियमों और सिद्धांतों का पालन करना होगा.
अपने आपको प्रभावशाली तरीके से बदलने के लिए पहले हमें अपने बोध और अपने विचारों को बदलना होगा.
किसी परेशानी में फंसने पर कई लोग सबसे पहले यह सोचते हैं कि किसी पर मुकदमा दायर कर उसे कोर्ट में कैसे ले जाएँ. किसी दूसरे को हराकर स्वयं कैसे जीत जाएँ. लेकिन रक्षात्मक रवैये वाले दिमाग न तो रचनात्मक होते हैं और न ही सहयोगी.
जीत –जीत के बारे में सोचें.
बदले की भावना एक दुधारी तलवार की तरह है. मैं एक ऐसे तलाक के बारे में जानता हूँ जिसमें जज ने पति को आदेश दिया कि वह अपनी संपत्ति बेचकर अपनी पूर्व पत्नी को आधी कीमत अदा करे. इसके पालन के लिए उसने अपनी दस हजार डॉलर के कार को पचास डॉलर में बेचकर अपनी पत्नी को 25 डॉलर दे दिया.
S.K.VERMA says
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Nitin says
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