अब रहीम चुप करि रहउ, समुझि दिनन कर फेर । जब दिन नीके आइ हैं बनत न लगि है देर ।।1 ।। उरग, तुरंग, नारी, नृपति, नीच जाति, हथियार । रहिमन इन्हें सँभारिए, पलटत लगै न बार ।।2।। ससि की सीतल चाँदनी, सुंदर, सबहिं सुहाय । लगे चोर चित में लटी, घटी रहीम मन आय ।।3।। ससि, सुकेस, साहस, सलिल, मान … [Read more...]