यह कहानी कर्मकांड से जुड़ी हुई है। यह कहानी कॉलेज के एक प्रोफेसर से शुरू होती है। प्रोफेसर साहब बहुत ही आधुनिक विचारों के थे और हमेशा समाज में बढ़ रही रूढ़िवादिता और अंधविश्वास के विरोधी थे। उन्होंने एक बहुत ही महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी जिसका नाम था - "हम कर्मकांड को क्यों नहीं माने- … [Read more...]