महर्षि बाल्मीकि संस्कृत के महान कवि थे. उन्हें संस्कृत के लौकिक छंदों का आदिकवि भी कहा जाता है. हजारों वर्षों तक एक ही जगह बैठ कर वे राम नाम की रटन में निमग्न हो गये. उनके सम्पूर्ण शरीर पर दीमक का पहाड़-सा जम गया. दीमकों के घर को बाल्मीकि कहते हैं. उसमें रहने के कारण ही इनका नाम बाल्मीकि पड़ा. पहले … [Read more...]