शेविंग करने को हिंदी में दाढ़ी बनाना कहा जाता है. शेविंग दो तरह से किया जाता है – शेविंग विद मूंछ और शेविंग विथाउट मूंछ. जब आदि मानव ने पहली बार शेविंग किया होगा तो किसी खास वजह से किया होगा. सिर और दाढ़ी में जूं और अन्य कीड़ों ने इतना परेशान किया होगा कि शेविंग करनी पड़ी होगी. बाद में धातु का अविष्कार हुआ और उस्तरा बनाया गया. रोम में सैनिक अपने बाल और दाढ़ी शेव करके रखते थे ताकि दुश्मन उसे पकड़ न सकें. गाँव में शेविंग का सारा भार नाई के सर पर होता है. लोग साप्ताहिक से लेकर मासिक और तीन महीने में भी शेविंग कराते हैं. अगर किसी का क्षौर कर्म हो तो पूरे गाँव के लोग गंजे होते हैं शेविंग करवाते हैं. आर्मी ने सबसे पहले रोज शेविंग करने को अनिवार्य बनाया. अब तो आम लोग भी रोज शेव बनाने लगे हैं.
लेकिन जब से जिलेट का आगमन हुआ है शेविंग आसान हो गया है. सस्ता तो है ही. सुदूर देहात में भी लोग एक छोटे से शीशे के सामने बैठकर जिलेट रेजर से शेव करता हुआ एक आम आदमी दिख जाता है. जब कोई 16 -17 साल का था मेरी दाढ़ी उग आयी थी उसे शेव कर मुझे भी साफ सुथरा चेहरा रखने का मन होता था लेकिन मेरा नाई और घर के लोग बोलते थे कि पहली बार तुम्हारी दाढ़ी देवघर में बनाया जायेगा. फिर हम लोग देवघर गए जहाँ मेरी दाढ़ी पहली बार काटी गयी. मुझे याद है जब मैंने दाढ़ी न बने होने की वजह से भाभी के साथ नहीं बैठ पाया जबकि मेरा चचेरा भाई क्लीन शेव होने का फायदा उठा लिया. आजकल जिलेट जैसी कंपनी ने इसे इतना आसान बना दिया है कि कुछ लोग तो सुबह शाम भी शेव करने लगे हैं. ऐसे यह भी सच है कि साफ सुथरा चेहरा किसे पसंद नहीं, है कि नहीं !
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