प्रस्तुत पोस्ट Modern Education System of India में हम आधुनिक भारतीय शिक्षा व्यवस्था के बारे में जानेंगे. आज इस शिक्षा व्यवस्था के नाम पर जो खेल खेला जा रहा है , उससे सम्बंधित कुछ पहलूओं पर विचार विमर्श करेंगे. हम कह सकते हैं कि आज की हमारी शिक्षा व्यवस्था मकड़ जाल में फंसी हुई है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.
माया के मकड़ जाल में फंसी आज की शिक्षा व्यवस्था
हम मानव शिक्षा के बिना पशु समान हैं, क्योंकि शिक्षा ही सभ्यता एवं संस्कृति के निर्माण में सहायक सिद्ध होती है और मानव को अन्य प्राणियों में श्रेष्ठ बनाती है। आज की शिक्षा एक व्यवसायीकरण होकर रह गई है जो बेहद चिंता का विषय है। आज शिक्षा की आड़ में पैसा कमाकर ज्यादा से ज्यादा धन अर्जित करना ही मूल उद्देश्य बन कर रह गया है। आज महंगाई और बाजारीकरण के मौजूदा दौर में छात्र इस असमंजस में फंसा हुआ हैं कि वह कमाने के लिए पढ़े या पढऩे के लिए कमाए।
बाजारीकरण की दीमक पूरी शिक्षा व्यवस्था को खोखला करती जा रही हैं। आज आवश्यकता है कि इस विषय में सरकार कुछ ठोस कदम उठाए तथा शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश की प्रक्रिया में अधिक से अधिक पारदर्शिता लाने का प्रयास करे क्योंकि किसी भी राष्ट्र का विकास तभी संभव हो सकता हैं जब वहां की अधिकतम जनसंख्या शिक्षित और अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो। आजकल शहरों में तो क्या, गांवों में भी शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया हैं। यदि आंकड़ों को देखा जाए तो सरकारी स्कूलों में केवल निर्धन वर्ग के लोगों के बच्चे ही पढऩे के लिए आते हैं, क्योंकि निजी शिक्षा संस्थाओं के फीस के रूप में बड़ी-बड़ी रकमें वसूली जाती है, जिन्हें केवल पैसे वाले ही अदा कर पाते हैं।
Modern Education System of India के अलावे इसे भी पढ़ें: हवेली नहीं हॉस्पिटल बनाओ
आज की शिक्षा व्यवस्था का व्यवसायीकरण हो रहा है। निजी शिक्षण संस्थानों के संचालक मनमर्जी की फीस वसूल कर रहे है या यूँ कहें शिक्षा का बाज़ार लगाकर लूट मचा रखी है। जहाँ एक तरफ जितनी स्कूल की फीस बढ़ती जा रही है, वहीँ दूसरी तरफ उतना ही शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है की इस सबके लिये कहीं ना कहीं हम सब भी जिम्मेदार हैं।
पता नहीँ हम सब किस रेस में आगे निकलने की कोशिश कर रहे है। ज्यादातर लोगों की यह सोच हैं कि शहर का सबसे महंगा स्कूल ही सबसे अच्छा स्कूल हैं, और हम अपने बच्चों को उसी महंगे रेस का हिस्सा बना दिया हैं। शिक्षा को आजकल अंग्रेजी भाषा से भी आँका जाने लगा है। जिसको जितनी अंग्रेजी भाषा आती है उसकी तुलना बहुत ही बुद्धिमान लोगों में होने लगती हैं। शिक्षा को शिक्षा के व्यापारियों ने वेस्टर्न कल्चर की तरफ़ धकेल दिया हैं। आजकल लोगों को अपनी मातृभाषा में बोलने में शर्म महसूस होती है तथा अँग्रेजी भाषा बोलने में गर्व मेहसूस होता है।
गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था और आधुनिक शिक्षा व्यवस्था पर महात्मा गांधी के प्रपौत्र श्री तुषार गांधी के विचार: एक बार जरुर देखिये.
प्राचीन समय में छात्र गुरुकुल में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे। वहां गुरु छात्र को संस्कारित बनाता था लेकिन आधुनिक जीवन में लोगों के पास शायद विकल्प कम रह गए हैं और ये कोचिंग संस्थाएं इसी का फायदा उठाते हैं। शिक्षा को व्यवसाय बनाकर उसका बाजारीकरण किया जा रहा हैं। निजी कोचिंग सैंटर हर गली, मोहल्ले और सोसायटी में सभी को झूठे प्रलोभन देकर अपने जाल में फंसा रहे हैं और खुल्लम-खुल्ला शिक्षा के नाम पर सौदेबाजी कर रहे हैं। मजबूर और असहाय अभिभावक विकल्प खोजते-खोजते उनकी चिकनी-चुपड़ी बातों में फंस जाते हैं जिसका निजी कोचिंग संस्थान भरपूर लाभ उठा रहे हैं।
आज के संदर्भ में हमारा व्यवहार और आचरण ही हमारी शिक्षा और परवरिश का आधार तय करता है। शिक्षा एक माध्यम है जो जीवन को एक नई विचारधारा प्रदान करता हैं। यदि शिक्षा प्राप्त करने का उद्देश्य सही दिशा में हो तो आज का युवा मात्र सामाजिक रूप से ही नहीं बल्कि वैचारिक रूप से भी स्वतंत्र और देश का कर्णधार बन सकता हैं। मैकाले की संस्कार विहीन शिक्षा प्रणाली ने हमारी भावी पीढिय़ों को अंग्रेजी का खोखला शाब्दिक ज्ञान देकर अंग्रेजों के लिए कर्मचारी तो तैयार किए परन्तु हमें हमारी पुरातन दैनिक संस्कृति मान्यताओं से पूरी तरह काटकर खोखला कर दिया।
Modern Education System of India के अलावे इसे भी पढ़ें: शिक्षक पर अनमोल वचन
यही कारण था कि इस शिक्षा प्रणाली से निकले छात्र अपनी संस्कृति की जड़ों से कटकर रह गए। शिक्षा के बिना विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास संभव नहीं हैं। लेकिन बड़ी चुनौती का विषय है कि शिक्षा के व्यवसायीकरण का हैं। शिक्षा की ज्योति देने वाली पाठशालाएं आजकल अपना व्यवसाय का रूप ले चुकी हैं जो विचारणीय, चिंता का विषय है जरूरत है भारतीय पुरातन शिक्षा के साथ आधुनिक संसाधनों के शिक्षा अर्जित करने और शिक्षा के बढ़ते व्यवसायीकरण पर अंकुश लगाने की। हमारी संस्कृति और शिक्षा व्यवस्था का सुधार नहीं तो हमारी युवा पीढ़ी का भविष्य यकीनन अंधेरे में चला जाएगा। आइए हम शिक्षा को व्यवसाय नहीं गौरव बनाएं ताकि हर बालक संस्कारित शिक्षा अर्जित कर समाज देश का नाम रोशन करें।
अभी भारत सरकार नयी शिक्षा नीति 2020 लेकर आ रही है. आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि इससे संबंधित Curriculum और syllabus सभी मानदंडों पर खरी साबित हो. हर दिन शिक्षा के साथ होने वाले प्रयोग छात्र, शिक्षक और माता- पिता के लिए बोझ बनता जा रहा है. आज देश की शिक्षा व्यवस्था को बहुत अधिक सुधारने की जरुरत है.
पोस्ट लेखन : सूबेदार रावत गर्ग उण्डू ( सहायक उपानिरीक्षक – रक्षा सेवाऐं भारतीय सेनाऔर स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी ) निवास :- ‘ श्री हरि विष्णु कृपा भवन ‘ग्राम :- श्री गर्गवास राजबेरा, तहसील उपखंड :- शिव, जिला मुख्यालय :- बाड़मेर, पिन कोड :- 344701, राजस्थान ।
Nikhil Mahamuni says
अभी भारत सरकार नयी शिक्षा नीति 2020 लेकर आ रही है। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि इससे संबंधित Curriculum और syllabus सभी मानदंडों पर खरी साबित हो । इसके साथ ही हमे फोटोग्राफी, एक्टिंग और फिल्ममेकिंग इस क्षेत्र में भी कितना काम रहता है यह बच्चोंको बताना चाहिए।