Martyr Day in Hindi / 23 मार्च 1931 को वीर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गयी थी. इस दिन को हम शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं. हम अपनी ओर से इन शहीदों को श्रदांजलि अर्पित करना चाहते हैं –
शहीदों के मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशा होगा
यह बात आप सबको पता है कि हमारा देश गुलामी की जंजीर में जकड़ा हुआ था. अंग्रेज बहुत शक्तिशाली थे. कहा जाता है कि उनके राज में सूर्य अस्त नहीं होता था. वे हमारे देश को लूटकर सारा धन अपने वतन तक पहुंचा देते थे. देश की आजादी के लिये न जाने कितने जाने अनजाने लोगो ने क़ुरबानी दी. शहीदे आजम भगत सिंह ने जिस वीरता और निडरता का परिचय दिया, इतिहास उस बात का गवाह है. कैसी रही होगी उनकी सोच! असेम्बली हॉल में बम फेंकने के बाद उनके पास पर्याप्त समय था कि वे वहां से भाग सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उनका इरादा किसी को मारना नहीं बल्कि बहरी अंग्रेज सरकार के कानों तक उसकी गूंज पहुँचाना चाहते थे कि भारत न रह सकेगा हरगिज गुलाम खाना, आजाद होगा होगा, आता है वो जमाना. इतने महान और वन्दनीय क्रांतिकारी को सादर वंदन और नमन!
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा है;
कलम आज उनकी जय बोल
जला अस्थियाँ बारी बारी
छिटकायी जिनमें चिंगारी
जो चढ़ गए पुण्य वेदी पर
लिये बिना गर्दन का मोल
कलम आज उनकी जय बोल.
अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल.
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल.
साथ ही
तुमने दिया देश को जीवन देश तुम्हे क्या देगा
अपनी आग तेज करने को नाम तुम्हारा लेगा
तमाम शहीदों को हमारी ओर से और बेहतर लाइफ डॉट कॉम टीम की ओर से शत शत नमन…
Join the Discussion!