इस पोस्ट में हम जीवन जीने के लिए आवश्यक कुछ सबक के बारे में बात करेंगे. इसको हम एक छोटी सी story के द्वारा व्यक्त करना चाहेंगे. यह स्टोरी शिशिर श्रीवास्तव की पुस्तक सफलता पाने के लिए आठ शक्तियां से ली गयी है. समुद्र के किनारे एक छोटा सा गाँव था. गाँव के लोग काफी सीधे साधे थे. वे अपना सामान्य जीवन आराम से बिताते थे, लेकिन उन सबके लिए एक चीज बहुत ही कौतूहल पूर्ण था – वह था समुद्र में चमचमाता एक द्वीप. लोग कई पीढ़ियों से उसके किस्से सुनते आ रहे थे लेकिन वहां जाने का साहस किसी ने भी नहीं किया था. एक दिन पीटर और हेनरी – दोनों मित्रों ने उस सुनसान और निर्जन द्वीप की यात्रा करने का निर्णय किया. उन दोनों ने निर्णय किया कि वे रातों रात उस टापू पर जाकर लौट आयेंगे ताकि उन्हें कम से कम लोग देख सकें.
जीवन का पहला पाठ :
सपने देखो, अपना लक्ष्य बनाओ, उसके लिए योजना बनाओ और कार्य करो- उन्होंने रात को यात्रा आरम्भ की, सारी रात नाव चलाते रहे. अगली सुबह देखा तो वहीँ के वहीँ थे. क्यों? क्योंकि लंगर खीचना ही भूल गए थे.
जीवन का दूसरा पाठ :
पता करें कि वह कौन सी चीज है जो आपको पीछे की तरफ खीच रही है, फिर उससे अपना पीछा छुड़ाए. पहले आप अपनी बाधा को हटायें. जैसा कि पीटर और हेनरी ने किया. लंगर खीच ली और नाव चलाने लगे. पूरी रात नाव चलाते रहे, सुबह देखा तो फिर वही पाया जहाँ से चले थे. आप पूछोगे – क्यों? क्योंकि वे दोनों opposite direction में नाव खे रहे थे. नाव एक इंच भी नहीं हिली.
जीवन का तीसरा पाठ :
यदि आप काम किसी के साथ मिलकर कर रहे हों तो यह निश्चित कर लें कि दोनों एक ही दिशा में काम कर रहे हैं.
तीसरी रात को वे दोनों फिर चले. लंगर उठाई, एक ही दिशा में चले पर नतीजा फिर वहीँ के वहीँ. कारण ? राडार की दिशा नहीं बदली. पूरी रात एक ही जगह घूमते रह गए.
जीवन का चौथा पाठ :
यह निश्चित करें कि आप कहाँ जा रहे हैं, फिर उसी के अनुसार दिशा निर्धारित करें. अपने प्रयासों की दिशा को check करते रहें, अन्यथा हो सकता है कि आप एक ही बिंदु पर खड़े रहें.
अब पीटर और हेनरी पस्त हो चुके थे. एक बुजुर्ग से सलाह लेने गए. उसने कहा – रात को यात्रा मत करो अभी वायु का प्रवाह दिन को यात्रा करने योग्य है. दोनों मित्रों ने उसकी बात मान ली.
जीवन का पांचवा पाठ :
जिस काम को करना चाहते हो उसके लिए किसी कुशल व्यक्ति से सलाह लो.
अगले दिन सुबह दोनों मित्र चले. लंगर हटाया, एक साथ नाव खेने लगे और राडार पर भी ध्यान रखा . नाव आगे बढ़ चली. एक मछुआरे ने कहा- अगर उस द्वीप पर खाना न मिला तो क्या करोगे तुम दोनों ? पीटर बोला -चलो मछली पकड़ते हैं. हेनरी बोला – यह तो ठीक है लेकिन हम आधे रास्ते आ गए हैं , हमारे पास जाल भी नहीं है. हो सकता है आगे कोई जहाज मिल जाए. उससे उधार ले लेंगे.
जीवन का छठा पाठ :
लक्ष्य प्राप्ति की प्रक्रिया को elastic यानि लोचदार बनायें. यात्रा के आरंभ में तो लक्ष्य बदल सकते हैं मध्य में नहीं तो अनापेक्षित स्थितियों में अपने व्यवहार में लोच बनायें.
तभी पीटर और हेनरी ने देखा कि एक शार्क मछली मुह खोले उनके तरफ आ रही है. हेनरी नाव से कूद गया और पास से जा रहे जहाज पर चढ़ गाँव वापस आ गया. पीटर हिम्मत नहीं हारा और शार्क के मुंह में पतवार घुसा दिया जिससे शार्क भाग गयी.
जीवन का सांतवा पाठ :
मुश्किल आने पर उसका सामना करें और तुरंत उसका समाधान निकालें.
अब पीटर आगे बढ़ चला और दो घंटे बाद उस द्वीप पर पहुँच गया. द्वीप वीरान और बंजर था. जीवन का कोई चिन्ह न था. पीटर उदास हो गया लेकिन उसने चमकने वाले दो चार पत्थर अपने जेब में डाल लिए ताकि बच्चे खेल सकें. वे पत्थर उसने अपने बच्चे को दिया. खेलते समय एक सुनार की नज़र उस पर पड़ी. उसने पीटर को उनकी मुहमांगी कीमत देने की पेशकश की. जब पीटर ने हैरानी से पूछा तो पता चला कि वे बेशकीमती हीरे हैं. पीटर को ख़ुशी का ठिकाना न रहा.
जीवन का आठवा पाठ :
लक्ष्य पर पहुँच कर ख़ुशी मनाएं चाहे आपको पत्थर ही क्यों न मिले. सबसे बड़ी बात है कि आपने जो सपना देखा उसे पूरा किया. लक्ष्य तक पहुँच आपने कुछ नया तो ज़रूर किया है.
आपको यह पोस्ट कैसा लगा? आप अपनी प्रतिक्रिया/ फीडबैक ज़रूर दें. अगर आपके पास कोई Inspirational story, article or essay हो तो आप उसे हमारे साथ share करें. आपको उसका पूरा क्रेडिट दिया जायेगा और आपका फोटो उसके साथ प्रकाशित किया जायेगा, so please share with us. Thank you. Have a nice day!
नोट : अगर आपके पास कोई Hindi Story, Life Story of a Personality, या फिर कोई motivational या inspirational article है जो हमारे जीवन को किसी भी तरीके से बेहतर बनाता हो तो कृपया हमारे साथ शेयर करें. आपका लेख आपके फोटो के साथ पोस्ट किया जायेगा. आपको पूरा क्रेडिट दिया जायेगा. हमारा ईमेल है : [email protected]
Join the Discussion!