बाबाजी का ठुल्लू
दोस्तो, बाबा जी का ठुल्लू ब्रांड कुरकुरा आ गया है मार्किट में. खाएं और बोले विथ एक्शन : बाबाजी का ठुल्लू , बाबाजी का ठुल्लू , मत बनना तू उल्लू !
कपिल का जादू सर पर चढ़ कर बोल रहा है . आज बाजार हर उस फेमस जुमला को भुनाने में लगा है जिससे उसे फायदा नजर आता है. बच के रहना रे बाबा…..
कोई भी शब्द किस प्रकार आम लोगों के बीच प्रचलित हो जाता है इसका सबसे बड़ा उदहारण यह शब्द – बाबा जी का ठुल्लू है. आज दैनिक जीवन की चीजों में इसका प्रयोग बहु ही जोर शोर से किया जा रहा है. ऊपर दिया गया रेपर तो एक उदहारण भर है न जाने कितने जगहों पर इस जुमले का प्रयोग किया गया होगा.
कोई भी शब्द प्रचलित क्यों होता है? वह इसलिए कि लोग उसे अपनी बोल चल में जगह दे देते हैं और एक ऐसा भी समय आता है जब वह शब्द शब्कोष से भी जुड़ जाता है. आज टीवी एक बहुत बड़ा जनसंचार का माध्यम है. टीवी सीरियल के कलाकार और उसके कहानीकार या डायलाग writer जब इस तरह के शब्दों को आम जनता के बीच में उछालते हैं तो सारे शब्द इतने प्रचलित नहीं हो पाते जितना बाबाजी का ठुल्लू हो पाया है.
लेकिन यह शब्द सिर्फ हिंदी भाषा में ही नहीं आती मैंने दूसरे भाषा भाषी लोगों को भी इस शब्द का प्रयोग करते देखा है. बच्चे जो इस शब्द के अर्थ से बिलकुल वाकिफ नहीं है उनको भी खेल खेल में अपने मित्रों से बात करते करते बोलते सुना है.
कई बार तो यह आश्चर्य होता है कि नौनिहाल जो केवल दो या तीन साल के होते हैं जब अपने मुँह से बाबाजी का ठुल्लू बोलते हैं तो आसपास मौजूद लोग अपनी हंसी रोक नहीं पाते.
आज के ज़माने ने टीवी कितना महत्वपूर्ण हो गया है यह बात इसी से पता चलता है. ठीक कहा न बाबाजी का ठुल्लू!
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