Child Cleaning Floor in Indian Railways Train
Child Cleaning Floor in Indian Railways Train / ऐसा दृश्य आपलोगों ने भी ट्रेन में सफ़र करते वक़्त जरुर देखा होगा. जिस बच्चे को स्कूल में होना चाहिए वह चंद सिक्कों के लिये ट्रेन के फर्श को साफ़ करता रहता है. लोगों के फटकार सुनता है . कुछ लोग जिनको दया आती है वे ऐसे बच्चे को कुछ दान स्वरुप दे देते हैं . देश की गरीबी का दंश इन बच्चों को झेलना पड़ता है. सरकार सिर्फ वादे करना जानती है. बचपन को सवारा जाना चाहिए. इनका भी लाइफ बेहतर होना चाहिए.

आते जाते बहुधा हमें ऐसे बच्चे दीख जाते हैं जो किसी भी प्रकार से हमारे आपके बच्चे से कम नहीं दीखते लेकिन भूख और गरीबी ने उनको इस प्रकार से जकड लिया होता है कि वे अपना गुजर बसर करने के लिये ट्रेन में झाड़ू देते हैं, चाय की दुकान में कप धोते हैं, घरों में नौकर का काम करते हैं, और न जाने क्या क्या करते होंगे इनके जैसे हजारों बच्चे. जब तक इन बच्चों को शिक्षा और भोजन का उचित इंतजाम नहीं हो जाता क्या भारत को सही अर्थों में आजाद और खुशहाल भारत कहा जा सकता है. कदापि नहीं. यह सरकार का और देश के सम्पन्न वर्ग की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे आगे आये और इन बच्चों के भविष्य निर्माण में योगदान करें. ऐसा नहीं है कि इस दिशा में कार्य नहीं हो रहा है. हालत भी बदले हैं. मिड डे मील जैसी योजना के आने से खाने के ही बहाने बच्चे स्कूल तो जाने लगे हैं. शिक्षा ही वह छेज है जो इन लोगों के जीवन में बदलाव ला सकती है. आज गरीब वर्ग के मजद्दोर भी यह कोशिश करते हैं कि उनका बच्चा स्कूल जाय और अब वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने भी लगे हैं. यह एक अच्छी पहल है. निचले तबके के लोग भी जो स्वयं अनपढ हैं अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं.

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