दिशाहीनता
एक बार एक आदमी ने ह्वांगहो नदी (The Yellow River ) की घाटी से दक्षिण की ओर यांदत्सी नदी घाटी के छू राज्य में जाने का फैसला किया लेकिन वह रथ पर सवार होकर दक्षिण के बजाय उत्तर की ओर चल पड़ा.
रास्ते में एक आदमी ने उसे कहा – “अरे भाई तुम गलत दिशा में जा रहे हो. अगर तुम छू राज्य जाना चाहते हो, तो तुम्हे दक्षिण की ओर जाना चाहिए.”
“तो क्या हुआ मेरे घोड़े बहुत अच्छे हैं.”
“ तुम्हारे घोड़े कितने ही अच्छे क्यों न हों, तुम जा तो गलत दिशा में रहे हो.”
“इससे क्या फर्क पड़ेगा. मेरे पास बहुत धन है.”
“तुम्हारे पास कितना भी धन क्यों न हो, तुम जा तो गलत दिशा में रहे हो.”
“ कोई बात नहीं, मेरा सारथी बहुत कुशल है.”
उस आदमी ने अपनी गलती नहीं मानी और लगातार गलत दिशा में ही बढ़ता रहा.
परिणाम यह निकला कि अच्छा घोड़ा, बहुत सारा धन और कुशल सारथी होने के बाद भी वह छू राज्य से दूर होता चला गया.
ऐसा हमारे life में भी होता है. सबकुछ रहने के बाबजूद हम goal को achieve नहीं कर पाते हैं, success से दूर होते चले जाते हैं. दिशाहीन यात्रा कभी भी हमें हमारी मंजिल तक नहीं ले जाती.
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