प्रस्तुत पोस्ट Mythological Stories in Hindi में हम लोकगाथा और पुराणों से कुछ मिथकीय कथा लेकर आये हैं, आशा है ये आपको पसंद आयेंगे.
Mythological Stories in Hindi : ब्रह्मा का एक दिन
यह एक पौराणिक लोकगाथा है. द्वारका के पौराणिक राजा रेवत अपनी बेटी रेवती को ब्रह्मा के पास लेकर गए और अनुरोध किया कि वो रेवती के लिए योग्य वर सुझाएं. वह सिर्फ एक दिन ब्रह्मा के पास रहे. पर उन्हें ये एहसास नहीं हुआ कि ब्रह्मा के पास बिताया गया एक दिन धरती के हजार वर्षों के बराबर होता है.
जब तक वह वापस आए तब तक उनका साम्राज्य नष्ट हो चुका था. वहां सिर्फ जंगल था और मनुष्यों का कद भी बहुत घट चुका था. उनके सामने रेवत और रेवती दानव सरीखे दिख रहे थे. कृष्ण को उनपर दया आ गई. उन्होंने भाई बलराम से कहा कि वो अपना हल घुमाएं और रेवती के कंधे को स्पर्श करें. बलराम के ऐसा करते ही रेवती का आकर भी घट गया. बलराम को रेवती से प्यार हो गया और उन्होंने उसे अपनी पत्नी बना लिया.
Mythological Stories in Hindi : हयाग्रीव का वध
प्रस्तुत कथा स्कन्द पुराण से ली गयी है. घोड़े जैसा सिर वाले असुर हयाग्रीव ने एक बार पूजा पाठ कर ब्रह्मा को रिझा लिया और अमरत्व का वरदान मांगा. जब ऐसा वरदान मिलना नामुमकिन था तब उसने ऐसा वरदान मांगा कि उसे सिर्फ वही हरा सके जिसका सिर उसी की तरह घोड़े का हो यानी जो हयाग्रीव हो.
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ऐसा जीव तीनों लोकों में कहीं नहीं था और इस तरह कोई उसे हरा नहीं सकता था. एक समय हयाग्रीव ने वेद चुरा लिया जिसमें बुद्धि की सारी बातें लिखी थीं. अब तीनों लोकों में हाहाकार फैल गया. देव कुछ समझ नहीं पा रहे थे कि क्या किया जाए. तब वे ब्रह्मा के पास गए. ब्रह्मा ने उन्हें विष्णु के पास जाने की सलाह दी. देव विष्णु के पास पहुँचे. उस समय विष्णु धनुष की कमान पर ठुड्डी रख झपकी ले रहे थे. देवों ने दीमक का रूप धारण कर धनुष की कमानी काट डाली. इससे विष्णु इतनी तेजी से गिरे कि उनकी गर्दन टूट गई. गर्दनविहीन विष्णु को बचाने के लिए देवों ने एक घोड़े की बलि दी और उसके सिर को विष्णु के सिर पर लगा दिया. इस तरह विष्णु भी हयाग्रीव हो गए और देवों ने उन्हें यही नाम दिया.
देवों ने अनुरोध किया कि वो असुर हयाग्रीव को मार डालें. विष्णु ने दो दो हाथ करने के लिए हयाग्रीव को चुनौती दी. उन्होंने गदा से उसे मार दिया और वेदों को वापस विश्व लोक में लाया गया. ब्रह्मा ने फिर विष्णु के सिर को सामान्य कर दिया.
Mythological Stories in Hindi : ऋषि जमदग्नि के गाय की चोरी
प्रस्तुत कथा भगवत पुराण से संकलित है. विष्णु ने किरातवीर्य अर्जुन को एक हजार भुजाएं दी थीं. किरातवीर्य ने इन भुजाओं का इस्तेमाल करते हुए शानदार साम्राज्य खड़ा किया. वहां उन्होंने यज्ञ के लिए बहुत से साधु संतों को निमन्त्रण दिया. इन्हीं में से एक ऋषि जमदग्नि को उन्होंने नन्दिनी गाय दान स्वरूप दी.
बाद में किरातवीर्य को मालूम हुआ कि नन्दिनी चमत्कारिक गाय है और वह अपने थन से इतना दूध दे सकती है जिससे पूरी सेना तृप्त हो जाए. फिर उन्होंने गाय वापस लेने का फैसला किया लेकिन यह धर्म के विपरीत था. जमदग्नि ने राजा को बहुत समझाया पर राजा गाय वापस जबरन घसीट ले चले. जमदग्नि के सबसे छोटे बेटे परशुराम से यह अपमान सहन नहीं हुआ. उन्होंने अपनी कुल्हाडी लेकर राजा को खदेड़ दिया. पकड़ने के बाद उन्होंने राजा की भुजाओं के टुकड़े टुकड़े कर दिए. अधिक खून गिरने के कारण राजा की मौत हो गई. फिर वह गाय के साथ अपने पिता की कुटिया में वापस आ गए. फिर वह गाय के साथ अपने पिता की कुटिया में वापस आ गए.
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फिर राजा के बेटे ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने की ठानी. वह जमदग्नि की कुटिया में गए और पत्नी के सामने ही उनकी हत्या कर दी. गुस्साए परशुराम ने राजा के पांच वंशों को खत्म करने का फैसला किया. और इस संकल्प को उन्होंने बेहद क्रूर तरीके से अंजाम दिया जिससे पूरी दुनिया सन्न रह गई.
परशुराम ने अपनी माँ को भी मार डाला क्योंकि वह उनके पिता के प्रति ईमानदार नहीं थी. उन्होंने अपने भाइयों को भी मार डाला क्योंकि वे आज्ञाकारी नहीं थे. इस तरह परशुराम व्यवस्था बिगड़ने के बाद विष्णु के गुस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं. जब राजा धर्म का पालन नहीं करते, पति और पत्नी एक दूजे के प्रति ईमानदार नहीं होते, जब बेटा अपने पिता का कहना नहीं मानता तब जिंदगी के बारे में कोई भी अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है. और जब समाज में चीजें पूर्वानुमानित नहीं होती तो किसी भी चीज का प्रबंधन करना मुश्किल हो जाता है.
Mythological Stories in Hindi : कौशिक और त्रिशंकु
प्रस्तुत कथा कर्म पुराण से लिया गया है. कौशिक नाम के राजा एक बार वशिष्ठ ऋषि के आश्रम में पहुँचे. वह अपने सैनिकों के साथ वहाँ पहुँचे थे. हलांकि एक राजा ऋषि के यहाँ अचानक पहुँचे थे फिर भी ऋषि राजा समेत उनके तमाम सैनिकों को स्वादिष्ट भोजन कराने में सफल रहे क्योंकि उनके पास देवों से मिली चमत्कारिक गाय कामधेनु थी.
जब कौशिक को यह पता चला तो उनका मन बदल गया. उन्हें लगा कि ऐसी गाय सिर्फ एक राजा के पास होनी चाहिए और उन्होंने कामधेनु को अपने साथ ले जाने का फैसला कर लिया भले ही इसके लिए बल का सहारा ही लेना पड़े. लेकिन जैसे ही सैनिक कामधेनु के पास पहुँचे उस गाय ने योद्धाओं को जन्म दिया जिन्होंने राजा की सेना को खदेड़ दिया. इस चमत्कार से कौशिक इतने विस्मित हुए कि उन्होंने अपना सारा राजपाट छोड़ दिया. चमत्कारिक शक्ति के आगे राजकीय ताकत कुछ नहीं है. इसलिए उन्होंने तपस्या करने का फैसला किया.
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उन्होंने मुकुट त्याग कर जंगल में तपस्या के लिए जाने का फैसला किया. उनकी अनुपस्थिति में उनके राज्य में भीषण अकाल पड़ा. उनके परिजन भी भुखमरी की कगार पर थे. अगर त्रिशंकु नाम के व्यक्ति ने उन्हें कुछ मांस न खिलाया होता तो वे मर गए होते. लेकिन परिजनों को मालूम नहीं था कि ये मांस गाय का है. अकाल के समय और कोई साग सब्जी या मांस उपलब्ध नहीं था. त्रिशंकु के कर्ज से लदे कौशिक ने उन्हें वर मांगने को कहा. त्रिशंकु ने स्वर्ग जाने की इच्छा जताई.
कौशिक ने अपने पूर्ण तपोबल का प्रयोग करते हुए त्रिशंकु को धरती से ऊपर उठाने में सफलता हासिल कर ली. लेकिन देवराज इंद्र ने उन्हें स्वर्ग के अन्दर प्रवेश करने से रोक दिया. रोकने का कारण यह बताया कि यह व्यक्ति अपवित्र और गौ की हत्या करने वाला और गौ मांस खानेवाला है. यह देवताओं के साथ रहने के योग्य नहीं है. इन्द्र ने वहां से उनको धकेल दिया और कौशिक ने अपने तप की शंक्ति से उनको बीच में ही रोक दिया. उनके वहां रहने के लिए एक लोक का ही निर्माण कर दिया.
Mythological Stories in Hindi : कौन हैं कृष्ण?
बहुत हिन्दू मानते हैं कि कृष्ण अवतरित भगवान हैं. वह इतिहास का हिस्सा हैं. धरती पर विचरण करते हैं पर अमर हैं और स्थान और समय के नियम से परे हैं. कृष्ण ईश्वर हैं जो महादेव हैं जो भगवान हैं. भगवान स्वयंभू और स्वत: पूर्ण हैं. देवता जीवन चक्र में हिस्सा लेते हैं पर भगवान के लिए ये आवश्यक नहीं. उन्हें इसकी अनुमति है कि वो जीवन चक्र के बीच में आ-जा सकते हैं. भगवान ब्रह्मांड के कानून का पालन कर सकते हैं पर अपने अस्तित्व के लिए इस पर बाध्य नहीं हैं.
कृष्ण ही विष्णु हैं. ईश्वर के तीन रूपों में से एक विष्णु हैं. दो रूप ब्रह्मा और शिव के हैं. यही हिन्दू त्रिमूर्ति का सिद्धांत है. ब्रह्मा निर्माता हैं. इनका स्वरुप पुरोहित का है. ये ज्ञानरूपा सरस्वती से सम्बद्ध हैं. विष्णु पालक हैं . इनको राजा माना जाता है. इनको भगवती से प्यार है, इनकी शादी भी उन्ही से हुई और ये उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं. ये धन की देवी लक्ष्मी से सम्बंधित हैं. तीसरा स्वरूप महेश हा है जो संहारक हैं और सन्यासी भी हैं. ये भगवती से अलग हो जाते हैं. ये शक्तिस्वरूपा भगवती से सम्बंधित हैं. कमोवेश देखा जाय तो निर्माण और विनाश दोनों साथ साथ चलते हैं. जगत की निरंतरता के लिए दोनों आवश्यक हैं.
atoot bandhan says
बहुत अच्छी कहानियों का संग्रह प्रस्तुत किया आपने …शेयर करने के लिए धन्यवाद