यह कहानी आधुनिक विज्ञान जगत के महानतम वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन के जीवन से जुडी हुई है.

मैं कहाँ जा रहा हूँ …
आइंस्टाइन ने टिकट चेकर से कहा – बात सिर्फ टिकट की नहीं है. मुझे याद ही नहीं आ रहा है कि आखिर मैं जा कहाँ रहा हूँ.
सचमुच हम में से ज्यादा लोगों को यही प्रश्न अपने आप से करना चाहिए. हम अपना जीवन यूँ ही जीते चले जाते हैं लेकिन हमें यह पता नहीं होता है कि हम कहाँ जाने के लिए निकले थे. अतः अपनी यात्रा शुरू करने से पहले अपने लक्ष्य को भली -भांति जान लेना चाहिए चाहे वह कोई सफ़र हो या जीवन की डगर.
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Einstein-railway-journey-inspirational story मैं कहाँ जा रहा हूँ …
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