जीवन में सापेक्षता के नियम की समझ
सापेक्षता के नियम के अनुसार हमारे जीवन में उपलब्ध समय वही रहता है सिर्फ हमारा नजरिया बदल जाता है. प्रायः हम देखते हैं कि बच्चे खेलते हुए दो तीन घंटे का समय यूँ गुजार देते हैं उसका उनको पता नहीं चलता लेकिन जब वह पढ़ते हैं तो उन्हें कई काम याद आ जाते हैं और 15-20 मिनट की पढाई के बाद उन्हें लगता है कि उन्होंने कितना पढाई कर लिया. यह सापेक्षता के नियम की वजह से होता है.
एक टर्म है Psychologic flow. जब कोई इन्सान इस Psychologic flow में रहता है तो वह अपने लय में होता है क्योंकि वह अपना मनपसंद काम कर रहा होता है. उस समय यह एहसास नहीं रहता कि कितना वक़्त गुजर गया. इस समय किया गया काम सहज और best होता है. इसलिए आप सापेक्षता ने नियम को दयां में रखकर अपने काम को दिलचस्प बनाने का प्रयास करें. आप जिस काम को कर रहें हैं उसे दिलचस्प मानें.
मन लीजिये कि एक सेल्समेन है उसे अपने काम से नफरत है. ऐसे मैं वह एक घंटा काम करके ही थक जाता है और सोचता है कि चलो बाकि काम कल कर लेंगे. दूसरी ओर एक अन्य सेल्समेन अपने कल के लक्ष्य को ध्यान में रख आज उस रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए काम करता है इससे उसका यह काम दिलचस्प हो जाता है यह अनुभूति ही उसमें नयी उर्जा का संचार कर देता है.कुछ Interesting करने का सोचें. यदि आपका काम नीरस है जिसमें आपको मन नहीं लग रहा तो उस काम को बदल दें. या किसी specialist की help से अपने काम को interesting बनाने का उपाय पूछे. आप अपना काम पूरा होने पर स्वयं को reward भी दे सकते हैं. अर्थात यदि काम पूरा हुआ तो मूवी देखेंगे या बहार खाना खायेंगे या कुछ और करेंगे. इससे प्रेरणा मिलती है और काम में मन लगता है. इसमें कोई आर्थिक लक्ष्य भी रखा जा सकता है. Goal हमें ताकत देते हैं और हमें कष्ट सहने की शक्ति देते हैं. यदि आपका dream मजबूत है तो यह आपको लगातार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है.
So, do not forget theory of relativity in real life. दूसरों की बात पर ध्यान न दें. एक दिन आपको लगेगा कि आप निरंतर अपने goal की ओर बढ़ रहे हैं और वह समय जल्द ही आयेगा जब आप अपनी मंजिल पर पहुँच जायेंगे और पूरी जिन्दगी मजे में रहेंगे. एक को वर्तमान कष्ट दीखता है दूसरे को भावी सुख. चुनाव आपका है. प्रख्यात भौतिकविद अल्बर्ट आइंस्टीन के अनुसार- किसी सुन्दर युवती से बातें करते समय एक घंटा एक सेकंड की तरह लगता है. सुर्ख अंगारे पर एक सेकंड बैठना भी एक घंटे की तरह लगता है. यही सापेक्षता है.
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