विश्वविख्यात आध्यात्मिक गुरू ओशो रजनीश का असली नाम चन्द्र मोहन जैन था. सेक्स, समाजवाद और गाँधी विरोध के कारण उनकी काफी आलोचना हुई और 1981 में अमेरिका चले गए. तरह-तरह के आरोप लगने पर ओशो भारत चले आए और 19 जनवरी, 1990 को पुणे के आश्रम में उनका देहांत हो गया. वे इस सदी के सबसे विवादास्पद आध्यात्मिक गुरू माने जाते हैं. प्रस्तुत पोस्ट ओशो रजनीश के अनमोल वचन में उनके कुछ विचार जानते हैं.
ओशो रजनीश के अनमोल वचन
1. गलत आदमी, गलत शिक्षा के परिणाम का फल है.
2. मन फूटे पेंदे के बर्तन के समान है. यदि इसे भरना बंद कर दें तो शीघ्र ही खाली हो जाएगा फिर उसी शून्य में होगी उपलब्धि.
3. दुनिया छोड़ने से परमात्मा नहीं मिलता, परन्तु परमात्मा मिलने पर दुनिया अपने आप छूट जाती है.
4.पैदा होने से ही कोई मनुष्य नहीं हो जाता. पैदा होना एक अवसर मात्र है. मनुष्य होना जरूरी है.
5. अच्छा आदमी कानून की फिक्र नहीं करता. पर बुरा आदमी इसका पहले ही इंतजाम कर लेता है.
6. अहंकार अज्ञान है.
7. धन सबसे बड़ा सुख और सौन्दर्य का कारण माना जाता है, लेकिन यह जिनके पास है, वे या तो अपराध में लिप्त हैं या चिंता में व्यस्त हैं.
8. क्रोध कमजोरी का लक्षण है. जितनी जल्दी क्रोध आ जाता है, समझ लेना कि उतनी ही जल्दी तुम्हारी क्षमता चुक गई.
9. अहंकार से ही क्रोध उत्पन्न होता है. यदि अहंकार गिर गया तो क्रोध भी गिर जाएगा.
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10. पैसा आदमी के बड़े आविष्कारों में एक है. उसकी निंदा करने की जरूरत नहीं है. बस, उसे पकडिये मत.
11. धन को हमेशा गतिमान होना चाहिए तभी उसका गुण होता है. एक हाथ से दूसरे हाथ बढ़ता जाए, बहता जाए.
12. पूंजीवाद की जो व्यवस्था है, व्यवस्था कुल इतनी है कि कुछ लोग संपत्ति को पैदा करने की कुशलता में लगे हुए हैं.
13. मेरी जिन्दगी में जो कुछ भी गडबड है, उसका मैं ही जिम्मेदार हूँ कोई दूसरा नहीं,
14. मन पर नियन्त्रण की बात सोचो ही मत. बुरे विचार अगर मन में आते हैं. तो परेशान क्यों होते हो. वे खुद आते हैं और खुद चले जाते हैं. गडबड तभी होती है जब हम उन्हें पकड़ कर बैठ जाते हैं या दबाने की कोशिश करते हैं.
15. हर इन्सान को अपने स्वभाव के मुताबिक जीना चाहिए. जैसी तुम्हारी प्रकृति है, उसे स्वीकार करो. तुम्हारे अपने गुण हैं अपनी शक्ति है, अपनी उर्जा है. तुम अपनी सामर्थ्य को पहचानो.
16. प्यार और स्वतंत्रता एक ही सिक्का के दो पहलू हैं. यह एक फूल है, और यह सिर्फ खिल ही सकता है.
17. पर्वत शिखर जितना उंचा होगा , पास की घाटी भी उतनी ही गहरी होगी। एवरेस्ट के पास, सबसे गहरी और बड़ी घाटी मौजूद है.
18. उदासी गहराई देता है खुशी ऊंचाई देता है. उदासी जड़ के समान है और खुशी शाखा सदृश होता है.
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