Anjana The Mother of Hanuman अंजना हनुमान जी की माता
अंजना श्री राम के परम भक्त वीर हनुमान की माता थीं. इसलिए उनको आंजनेय भी कहा जाता है. इनका वर्णन पुराणों और बौद्ध ग्रंथों में कई प्रकार से मिलता है. पुराणों के मुताबिक अंजना पहले इंद्र की सभा में पुंजिकस्थली नामक अप्सरा थी. एक बार परम क्रोधी दुर्वासा ऋषि भी इंद्र की सभा में आये तो वह बार -बार दुर्वासा ऋषि के सामने से सभा में भीतर बाहर आ जा रही थी. इससे ऋषि क्रोधित हो गए और उसे वानरी हो जाने का श्राप दे दिया. बहुत विनती के बाद ऋषि ने उसे अपने इच्छा के अनुरूप रूप धारण करने का वर दिया.
अंजना का जन्म विरज नामक वानर की पत्नी के गर्भ से हुआ. इनकी शादी केसरी नामक वानर से हुई और हनुमान का जन्म इनसे ही हुआ. ऐसे हनुमान जी को शिव का अवतार कहा जाता है.
बौद्ध ग्रंथों में भी अंजना को ही हनुमान के माँ के रूप में बताया गया है. लेकिन वहां इनका वर्णन राजा महेंद्र की कन्या और प्रह्लाद के पुत्र पवन्जय की पत्नी के रुप में हुआ है. पति द्वारा त्याग दिए जाने और सास द्वारा घर से निकाल देने के बाद अंजना का पुत्र हनुमान का जन्म हुआ और वे काफी प्रसिद्ध हुए.
माता अंजना से जुड़ी कुछ और कथाएं:
जंगल में तप कर रही महिला अंजना तक वायु ने शिव के वीर्य (यौन रचनात्मक शक्ति) को पहुँचाया. अंजना एक मानवी नहीं थी, वह एक वानरी थी.
हिंदू पौराणिक कथाओं में वानर मानव जाति का एक उपवर्ग है। एक वानर एक इंसान नहीं होता है, बल्कि एक प्रकार का कपि होता है। पौराणिक कथाओं में इसे एक आदिवासी लोगों के रूप में भी चित्रित किया गया है जो बहुत ही ऊर्जावान, सक्रिय और शरारती होते थे. उनका चेहरा एक बंदर चेहरे ही तरह ही होता था.
अंजना एक बेटे को जन्म देने की प्रार्थना करती हैं जो दूसरों की मदद करनेवला हो, जिसके जन्म से मानवता को लाभ हो। वायु उसकी प्रार्थना सुनते हैं, और जब शिव और पार्वती की यौन शक्ति उपलब्ध होती है, तो वह उसे संतृप्त करने के लिए लाते हैं. अंजना एक पवित्र तरीके से गर्भवती हो जाती है। यह वही कहानी है जिसे यीशु के संबंध में वर्णित किया गया है। पवित्र आत्मा यौन शक्ति लाता है और मरियम को गर्भवती करता है, और वह मसीह को अपने गर्भ में धारण करती हैं । हनुमान जी जैसे प्रतापी पुत्र का जन्म होता है. हनुमान जी संतान के हितकारी और असुरों का नाश करनेवाले हैं.
आइये जानते हैं हनुमान जी को प्राप्त शक्तियों के बारे में:
अणिमा : अपने आकर को छोटा करने की क्षमता
महिमा: अपने आकर को बढ़ाने की क्षमता
लघिमा : वजनहीन होने की क्षमता
गरिमा: वजन बढ़ाने की क्षमता
ब्राप्ति : कहीं भी यात्रा करने और कुछ भी हासिल करने की क्षमता
पराकाम्या: एक अनूठी इच्छाशक्ति
वस्तिवा : सभी प्राणियों पर स्वामित्व
इस्तिवा : निर्माण और नष्ट करने की शक्ति के साथ ईश्वर सदृश बनने की क्षमता
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