Ahankar Ego Hindi Story
अहंकार उन्नति के सारे रास्ते बंद कर देता है.
एक मूर्तिकार था. उसकी बनाई मूर्तियां दूर-दूर तक प्रसिद्ध थीं. उसने अपने बेटे को भी मूर्तिकला सिखाई. वह भी अपने पिता के समान ही परिश्रमी और कल्पनाशील था. अत: जल्दी ही वह इस कला में पारंगत हो गया और सुंदर-सुंदर मूर्तियां बनाने लगा.

लेकिन मूर्तिकार अपने पुत्र द्वारा बनाई गई मूर्तियों में कोई न कोई कमी निकाल देता. इस तरह कई वर्ष गुजर गए. सब उसकी तारीफ करते, लेकिन उसके पिता का व्यवहार नहीं बदला. इससे पुत्र दुखी और चिंतित रहने लगा.
एक दिन उसे एक उपाय सूझा. उसने एक आकर्षक मूर्ति बनाई और अपने एक मित्र के हाथों उसे अपने पिता के पास भिजवाया. उसके पिता ने यह समझकर कि मूर्ति उसके बेटे के मित्र ने बनाई है,उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की.
तभी वहां छिपकर बैठा उसका पुत्र सामने आया और गर्व से बोला, यह मूर्ति तो मैंने बनाई है. आखिरकार यह मूर्ति आपको पसंद आ ही गई और आप इसमें कोई खोट नहीं निकाल पाए. मूर्तिकार बोला – बेटा मेरी एक बात गांठ बांध लो. अहंकार व्यक्ति की उन्नति के सारे रास्ते बंद कर देता है. आज तक मैं तुम्हारी बनाई मूर्तियों में कमियां निकालता रहा, इसलिए आज तुम इतनी अच्छी मूर्ति बनाने में सफल हो पाए हो. यदि मैं पहले ही कह देता कि तुमने बहुत अच्छी मूर्ति बनाई है तो शायद तुम अगली मूर्ति बनाने में पहले से ज्यादा ध्यान नहीं लगाते.
यह सुनते ही पुत्र लज्जित हो गया. इसका सारांश यह है कि कला के क्षेत्र में पूर्णता की कोई स्थिति नहीं होती. उत्तरोत्तर सुधार से ही श्रेष्ठता प्राप्त की जा सकती है.
Sumit Kumar
Managing Director at SRWIC
I am grateful to Mr. Sumit Kumar for sharing this inspirational story ( Ahankar (Ego) Hindi Story) with us.
Join the Discussion!