Yoga Guru Ramdev Biography in Hindi /योगगुरु स्वामी रामदेव की जीवनी
देश और समाज के हित में कर्मशील संन्यासी विरले ही होते हैं और संन्यास जब कर्मठ होता है, तब जीवन के अन्य तीनों आश्रम उसके समक्ष नतमस्तक हो जाते हैं. कर्तव्यनिष्ठ संन्यासियों की पावन श्रृंखला में नवीनतम कड़ी है स्वामी रामदेव. वस्तुतः विश्व मंच पर स्वामी रामदेव का उदित होना इक्कीसवीं सदी के प्रारंभिक चरण की एक प्रमुख घटना है.
जैसे ही विश्व को इस तथ्य का आभास हुआ कि ‘योग’ से कर्म में कुशलता आती है, संपूर्ण पाश्चात्य मनीषा का इस प्राचीन भारतीय विद्या ‘योग’ के प्रति आकर्षण तीव्र हो उठा. जब मर्ज लाइलाज होता दिखलाई दिया, तब उस पाश्चात्य जगत को यह महसूस हुआ कि रोशनी पूरब से मिलेगी.
बाबा रामदेव जी की पदचाप सुनकर लोग उनकी ओर मुखातिब हुए. ‘प्रदूषित पर्यावरण और असंयमित जीवन के कारण रोम के चंगुल में फंसकर कष्ट भोगते रहने से बेहतर है कि व्याधियों को उत्पन्न करने वाली विकृतियां जीवन में आने ही न दी जाएं.’ विश्व मानवता को स्वस्थ जीवन का यह संदेश स्वामीजी ने दिया. आज आप पूरी लगन से मानव-मन को शिक्षित करने का प्रयत्न कर रहे हैं.
आज के युग में योग गुरू स्वामी रामदेव जी का विशिष्ट योगदान यह है कि ये पुरातन परंपरा को नूतन परिवेश से संपृक्त करने में सफल हुए हैं. दृढ़तापूर्वक दो टूक बात कहने का इनका निराला अंदाज लोगों को भा गया है और विश्व में विविध सभ्यताओं के लोग इनकी बातें बड़े ही ध्यान से सुनते हैं. जब भी कोई बुनियादी प्रश्न इनके द्वारा उठाया जाता है तो मत-पंथ-संप्रदाय की दीवारें भरभराकर ढहने लगती हैं. ईश्वर एक है और मानव संस्कृति भी एक ही है, यह एहसास जगाने में स्वामीजी प्राणपण से प्रयासरत हैं.
प्रारंभिक जीवन
हरियाणा के जिला महेन्द्रगढ स्थित एक गांव ‘सैद सयद अलीपुर’ में 4 जनवरी, 1953 को रामकृष्ण यादव उर्फ ‘गुन्नू’ का जन्म हुआ. बाल्यकाल में वे पक्षाधात से ग्रस्त हो गए. पर नियमित योगाभ्यास से पूर्ण चेतना ग्रहण कर सके. विद्यालय में आठवीं कक्षा तक औपचारिक शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत आर्श गुरुकुल में योग-आयुर्वेद सहित वेद विषयों का गहन अघ्ययन किया. आचार्य बलदेव के सान्निघ्य में मानवता के उदात्त संस्कार ग्रहण किए. संन्यास घारण करने पर ‘रामदेव’ नाम से प्रसिद्ध हुए.
हरियाणा में योग का निःशुल्क प्रचार-प्रसार करते हुए सन् 1995 में दिव्य योग मंदिर न्यास की स्थापना की. योग-आयुर्वेद के माध्यम से चिकित्सा अनुसंधान और प्रशिक्षण हेतु 2006 में ‘पतंजलि योगपीठ’ का शुभारंभ किया. विविध संस्थाओं से सहयोग-संपर्क बनाया. प्राणायाम को लोकप्रिय बनाने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की. एड्स-कैंसर से मुक्ति दिलाने का इनका दावा है. विवाद, आक्षेप, दोषारोपण कभी भी स्वामीजी को मार्ग से विचलित नहीं कर सके.
स्वामी रामदेव या फिर बाबा रामदेव अब पूरी दुनिया में एक लोकप्रिय संबोधन हो गया है. 14 वर्षों के सतत प्रयत्न से योगाभ्यास को एक जन-अभियान का रूप दे सकने में इन्हें सफलता मिली. नगर-गांव-कस्बों और यहां तक कि राष्ट्रपति भवन में भी योग-शिविरों का आपने आयोजन किया. विदेश-भ्रमण और इलैक्ट्रानिक माघ्यमों के जरिये अफ्रीका, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया और यूरोप से संपर्क स्थापित किया. लगभग दो करोड़ लोग इनके योग शिविर के नियमित दर्शक हैं.
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भारत को एक रोगमुक्त, स्वस्थ-सबल राष्ट्र बनाने का इन्होने दृढ संकल्प ले रखा है. सन् 2009 की 5 जनवरी को इन्होने और इनके अनुयायियों ने ‘भारत स्वाभिमान न्यास’ की स्थापना की. ‘योग क्रांति’ को देश के 6.38 लाख गांवों तक पहुंचाने का इनका लक्ष्य है. आयु के छठे दशक में पदार्पण कर चुके योग गुरु स्वामी रामदेव से युग को महती अपेक्षाएं हैं. देश के लोगों को रोगमुक्त बनाने के साथ ही साथ देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का दृढ संकल्प स्वामी रामदेव ने ले रखा है. इसके लिए इनको पुलिस की लाठी भी खानी पड़ी. इन सबके साथ ही साथ इनके ट्रस्ट की अकूत संपत्ति भी आये दिन- विवाद का विषय बना रहता है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि स्वामी रामदेव ने योग को आम लोगों तक पहुँचाया है और इससे लाखों लोगों को लाभ मिला है. अनुलोम विलोम, कपाल भाती आदि प्राणायाम करते लोग आपको हर बगीचे और हर पार्क में नजर आ जायेंगे. यह स्वामी रामदेव की सबसे बड़ी उपलब्धि है.
स्वामी रामदेव जी सफलता की नित नयी ऊँचाइयाँ प्राप्त कर रहे हैं. आज उनका आयुर्वेदिक दवाओं और अन्य जीवनोपयी सामानों का कारोबार बृहद स्वरुप प्राप्त कर चुका है. आज पतंजलि के उत्पाद छोटे -छोटे दूकानों से लेकर माल तक में उपलब्ध है.
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