दिनेश एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर डेवलपर था. वह नए- नए सॉफ्टवेयर बनाता, उसे बेचकर अपनी जीविका चलाता था. एक दिन उसका कंप्यूटर नदी में गिर गया. उसने बचपन में एक कहानी पढ़ी थी कि किस तरह से लकडहारे की कुल्हाड़ी नदी में गिर जाती है, जल देवी से वह प्रार्थना करता है. आप पढ़ रहे हैं : समय के साथ चलें – एक प्रेरणादायी कहानी
प्रार्थना सुनकर जल देवी प्रकट होती हैं. पहले उसे सोने की, फिर चांदी की और फिर लोहे की कुल्हाड़ी लाकर देती है. जब लकडहारा लोहे की कुल्हाड़ी मांगकर अपनी ईमानदारी का परिचय देता है और फिर जल देवी प्रसन्न होकर उसे तीनो कुल्हाड़ी दे देती हैं. यह कहानी याद कर दिनेश भी जल की देवी को प्रसन्न करने में लग गया.
जल देवी प्रकट होती हैं. सॉफ्टवेयर डेवलपर दिनेश उनसे अपना कंप्यूटर वापस मांगता है. जल देवी उसे Pentium 10 कंप्यूटर लाकर देती हैं. दिनेश “यह मेरा नहीं है” कहकर उस कंप्यूटर को लौटा देता है. जल देवी पुनः Pentium 20 computer लेकर देती हैं. सॉफ्टवेयर डेवलपर दिनेश इस बार भी “यह मेरा नहीं है,” कहकर उसे लौटा देता है.
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अब उसे जल देवी Pentium 4 computer लाकर देती हैं. सॉफ्टवेयर डेवलपर खुश हो जाता है और जल की देवी का आभार प्रकट करता है. जल देवी उससे कहती हैं – मै तुम्हारी ईमानदारी से खुश हूँ. तुम कोई एक वर मांग सकते हो. सॉफ्टवेयर डेवलपर दिनेश उनसे एक और Pentium 4 computer की मांग करता है. इस पर जल देवी उस पर नाराज होकर कहती हैं – ” तुम कभी भी उन्नति नहीं कर सकते क्योंकि तुम कछुआ की चाल से चल रहे हो.
आज जमाना कहाँ से कहाँ पहुँच गया है. आज जबकि कंप्यूटर जगत में Pentium 25 computer, super computer की बात हो रही है तुम Pentium 4 computer पर ही अटके पड़े हो.” इतना कह जल देवी अंतर्ध्यान हो गयी.
कहने का अभिप्राय यह है कि जो समय की गति के साथ नहीं चलता है देवी देवता भी उसकी मदद नहीं करते हैं. समय के साथ चलो. समय की गति को पहचानो. समय के साथ चलनेवाला ही तरक्की के शिखर पर पहुँच सकता है.
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