एक दिन कक्षा तीन की एक शिक्षिका ने सभी बच्चों को एक प्लास्टिक की थैली में कुछ आलू लाने को कहा. प्रत्येक आलू को उस व्यक्ति का नाम देना है जिससे वे नफरत करते हों. अगले दिन हर बच्चे ने प्लास्टिक की थैली में उतने आलू लेकर आये जितने लोगों से वे नफरत करते थे.
कोई दो आलू लेकर आया, कोई तीन आलू लाया तो कोई पांच. यानि जो दो आलू लाया वह दो लोगों से नफरत करता था, जो तीन आलू लाया, वह तीन लोगों से नफरत करता था, तो पांच आलू वाला पांच से. अब शिक्षिका ने सभी बच्चों से कहा कि सारे बच्चे इस प्लास्टिक की थैली में रखे आलू को एक सप्ताह तक अपने पास रखेंगे. वे जहाँ भी जायेंगे प्लास्टिक की थैली साथ में रखेंगे.
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जैसे जैसे दिन बीतने लगा, बच्चों ने शिक्षिका से आलू सड़ने की वजह से बदबू आने की शिकायत करना शुरू कर दिये. साथ ही जिस बच्चे की थैली में पांच आलू थे उसे दो या तीन वाले की तुलना में ज्यादा वजन ढोना पर रहा था. सप्ताह के अंत में जब यह कार्य समाप्त हुआ, बच्चों को राहत मिली. शिक्षिका ने उनसे पूछा – “एक सप्ताह तक आप लोगों ने आलू को अपने साथ रखा, इस दौरान कैसा महसूस किया?” बच्चों ने दुखी होते हुए कहा – “मैडम, भारी और बदबूदार आलू को अपने पास रखते हुए बहुत परेशानी हो रही थी”. बच्चों ने इसके बारे में बहुत शिकायत की.
शिक्षिका ने बच्चों से कहा – जब तुम लोग अपने दिल में किसी के प्रति नफरत की भावना रखते हो तो ठीक ऐसा ही होता है. नफरत और घृणा तुम्हारे दिल में सड़े आलू की तरह रहते हैं और तुम जहाँ भी जाते ही इसे साथ लेकर चलते हो. आप सड़े आलू की गंध को बर्दाश्त नहीं कर सकते, तो घृणा की बदबू से आपका अपने मन दूषित नहीं होगा क्या? सिर्फ एक सप्ताह के लिए, जब आप सड़े आलू की बदबू को बर्दाश्त नहीं कर सकते तो किसी के प्रति जीवन भर नफरत रूपी बदबू रखने से सोचो, तुम्हारे ऊपर क्या असर होगा.
इसलिए एक आनंदमय जीवन जीने के लिए अपने मन में स्थित नफरत को दूर फेंको. दूसरों को माफ़ करना सीखो और जीवन में आगे बढ़ो.
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