Story of Being Positive in Hindi एक बूढ़े घोड़े की कहानी
एक किसान के पास एक बूढा घोड़ा था. एक दिन गलती से वह किसान के कुएं में गिर पड़ा. किसान स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद मन ही मन सोचा – अब तो न इस पुराने कुंए का और न ही इस बूढ़े घोड़े का कोई उपयोग है. अतः बूढ़े घोड़े को बचाने से क्या फायदा.

Story of Being Positive in Hindi
इसलिए उस किसान ने अपने पड़ोसियों को इकठ्ठा कर पास ही पड़े कूड़े को कुंए में डालना शुरू कर दिया. ताकि कुआं जल्दी से जल्दी भर जाये और वह बूढा घोड़ा भी कूड़े के साथ उसी कुएँ में दफन हो जाये.
बूढा घोड़ा अपने ऊपर इस प्रकार से कूड़ा गिरते देख शुरू में तो पागल हो गया. लेकिन जल्द ही एक उम्मीद भरा विचार उसके दिमाग में आया – जैसे ही गंदगी और कूड़ा उसकी पीठ पर गिरता, वह अपने शरीर और पीठ को ऐसे हिलाता कि सारा कचरा नीचे और वह थोड़ा ऊपर आ जाता.
उस बूढ़े घोड़े ने बार-बार खुद से इन शब्दों को दोहराने लगा : “अपनी पीठ हिलाते रहो और ऊपर उठते रहो”. इस तरह से ऐसे जोखिम और भय के माहौल में वह स्वयं को प्रोत्साहित करते रहा. न ही डरा, न ही विवेक खोया. अपने पीठ को हिलाकर सारे कूड़े को नीचे गिराते रहा और ऊपर उठते रहा। कुछ समय के बाद, घोड़े ने दीवार के बाहर कूदकर अपनी जान बचा ली और विजेता साबित हुआ. हालाँकि वह बहुत थक चुका था लेकिन उसने जान बचा ली. वह हमेशा सकारात्मक रहा, उसने विपरीत परिस्थितियों का सामना करने का फैसला किया और जीता.
कहानी से सीख
किसान ने जिस चीज से उसे दफ़नाने का प्रयास किया गया, उसी चीज ने उसकी जान बचाई. आत्मविश्वास और कुशल प्रयास से वह सफल हुआ. इस पोस्ट Story of Being Positive in Hindi से हमें यही सीख मिलती है कि चाहे परिस्थिति कैसी भी क्यों न आये हमें हमेशा po
इसलिए कितनी भी बुरी परिस्थिति क्यों न आये, अपने आत्मविश्वास को बनाये रखना चाहिए.
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