आज दीपावली है. पूरे साल का दिन जो साल भर इन्तजार के बाद आता है और हम सबके जीवन में प्रकाश ही प्रकाश भर जाता है. दीवाली के पहले और दीवाली के बाद के मौसम और ऋतु पर ध्यान दिया है आपने.
दीवाली आते आते हमारे आस पास कीटों, मक्खियों और मच्छरों की संख्या बहुत बढ़ जाती है. मच्छरों और हानिकारक कीटों की यह अनियंत्रित जनसँख्या हमारे जीवन के लिए, पर्यावरण के लिए असंतुलन उत्पन्न करता है. यदि इनकी जनसँख्या को नियंत्रित नहीं किया जाय तो महामारी फ़ैल जायेगी. हर घर में लोग बीमार हो जायेंगे.
घर घर दीप जले
दीवाली के दिन जब हम दीप जलाते हैं, घी के दीये जलाते हैं तो उसके सुंगध की ओर ये सभी कीट-पतंग आकर्षित होते हैं और जलकर मरने लगते हैं. दूसरी तरफ दीपावली और दशहरा से पहले लोग अपने घरों और आसपास की सफाई करते हैं. घर में सफेदी की जाती है. कुल मिलाकर हर जगह साफ़ सफाई का माहौल बन जाता है.
धार्मिक मान्यता
श्री राम वनवास से लौट रहे हैं. पापी और दुराचारी रावण का वध हो चुका है. अयोध्या में सर्वत्र खुशी और भक्ति का माहौल है. हर घर को सजाया जा रहा है. नगर में बंदन और तोरण द्वार बनाये जा रहे हैं. इसका निहितार्थ यह भी है कि जब हमारा मन और तन दोनों स्वच्छ होता है तभी हमारे अन्दर श्री राम की भक्ति रूपी दीप जल पाता है. और एक बार यह दीप जल गया तो माया, मोह, काम और क्रोध रूपी कीट और पतंग स्वयं या तो जल कर भस्म हो जाते हैं या फिर इतनी दूर चले जाते हैं कि आपके पास दुवारा वापस नहीं आते.
आइये हम सब मिलकर विश्व शांति और मानवीयता की भलाई के लिए एक एक दीप जलायें. विश्व के हर कोने से अज्ञानता रुपया अंधकर का नाश हो. सभी सुखी हों, सम्पन्न हो. मानवता फले फूले, हर जीवात्मा में ईश्वर का वास हो.
आप सभी को धनतेरस, दीपावली, गोबर्धन पूजा और भैया दूज की हार्दिक शुभकामनाएं!
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