प्रस्तुत पोस्ट False Human Belief में हम एक छोटी सी लेकिन दमदार संदेश वाली कहानी शेयर कर रहा हूँ। उम्मीद है कि आपको पसंद आएगी।
कहानी :
एक बार एक आदमी हाथियों के बगल से गुजर रहा था. चलते-चलते वह अचानक रुक गया. उसने देखा कि इतने विशाल आकार वाले और शक्तिशाली प्राणी हाथी को एक पतली- सी रस्सी में बाँधा हुआ है. वह यह देख आश्चर्य में पड़ गया. न कोई जंजीर, न ही कोई पिंजरा. हाथी तो जब चाहे इस पतली रस्सी को तोड़कर आजाद हो जाए. लेकिन हाथी ऐसा नहीं करता है. आखिर क्यों?
उसने पास ही महाबत (प्रशिक्षक) को देखा. उसने महाबत से पूछा- ‘आखिर क्या बात है कि हाथी इस पतली रस्सी को तोड़ने की कोशिश नहीं करते और चुपचाप इसमें बंधे और खड़े रहते हैं.’ महाबत ने कहा – ‘ये जब बहुत छोटे थे, तभी से हम इनको बाँधने के लिए इन्हीं रस्सियों का प्रयोग कर रहे हैं. छोटे हाथी के लिए यह रस्सी इतना मजबूत है कि वह इसे तोड़ नहीं सकता. वे बड़े होते हैं, तबतक उनके मन में यह विश्वास बैठ जाता है कि हम इसे तोड़ नहीं सकते, और यही वजह है कि आज भी वे इसी पतली रस्सी से बंधे हुए हैं. वे इसे तोड़ने की कोशिश भी नहीं करते.’
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वह आदमी हैरान था. ये जानवर किसी भी समय अपने बंधन से मुक्त हो सकते हैं, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि उनका मानना है कि वे जहाँ थे अभी भी वहीँ टिके या फंसे हुए हैं.
हाथियों की तरह ही, हमारा जीवन एक विश्वास पर चला रहा होता है कि यह काम हम नहीं कर सकते क्योंकि इसमें हम विफल हो चुके हैं. यही धारणा हमें रोकती है.
विफलता सीखने का एक हिस्सा है. हमें अपने जीवन में संघर्ष को कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए. आप विफल होते हैं इसलिए नहीं कि आपकी किस्मत खराब है बल्कि इसलिए कि जीवन जीने के क्रम में आप इनसे सबक लेते हैं और आगे बढ़ते हैं. अपनी इस धारणा से बाहर निकलिए और जीवन में नए अध्याय लिखिए.
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