Puran Mahabharat Quotes in Hindi पुराण महाभारत के अनमोल विचार
प्रस्तुत पोस्ट Puran Mahabharat Quotes in Hindi में पुराण और महाभारत के श्रेष्ठ कथनों को एक साथ पिरोने का प्रयास किया गया है. पुराण और महाभारत संस्कृत साहित्य के इतिहास और गौरवशाली परंपरा के प्रमाण हैं. जैसा कि आपको पता है कि अठारहों पुराण की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी. राम के जीवन को बखान करती रामायण के बाद यह हिन्दुओं का सबसे प्रिय धर्मग्रन्थ है. इसकी रचना द्वापरयुग युग में हुई थी. इसमें कुल एक लाख श्लोक हैं.
महाभारत विश्व का सबसे विशाल ग्रन्थ है. इसमें कौरवों और पांडवों के युद्ध का वर्णन है. यह धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई भी है. इसमें पांडवों की कौरवों पर विजय हुई थी. भगवान कृष्ण ने जो गीता का उपदेश अर्जुन को कुरूक्षेत्र के मैदान में दिया था, वह श्री भगवद्गीता के नाम से प्रसिद्ध है.
महाभारत भारतीय संस्कृति और सभ्यता का विशाल कोष है. इसमें उस समय की धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक परिस्थितियों का वर्णन बहुत सुंदर ढंग से किया गया है. इसमें उपदेश तो इतने मिलते हैं कि शायद ही किसी विश्व की अन्य पुस्तक में हों. इसलिए इस ग्रन्थ को पांचवां वेद भी कहा जाता है.
Puran Mahabharat Quotes in Hindi पुराण महाभारत के अनमोल विचार
1. अशांत को सुख कैसे हो सकता है. सुखी रहने के लिए शान्ति बहुत जरुरी है.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
2. अपनी दृष्टि सरल रखो, कुटिल नहीं. सत्य बोलो, असत्य नहीं. दूरदर्शी बनो, अल्पदर्शी नहीं. परम तत्व को देखने का प्रयास करो, क्षुद्र वस्तुओं को नहीं.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
3. नारी वह धुरी है, जिसके चारों ओर परिवार घूमता है.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
4. जिसने पहले तुम्हारा उपकार किया हो, वह यदि बड़ा अपराध करे तो भी उनके उपकार की याद करके उसका अपराध क्षमा दो.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
5. संसार में वही मनुष्य प्रशंसा के योग्य है, वही उत्तम है, वही सत्पुरुष और वही धनी है, जिसके यहाँ से याचक या शरणागत निराश न लौटे.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
6. जिस परिवार व राष्ट्र में स्त्रियों का सम्मान नहीं होता, वह पतन व विनाश के गर्त में लीन हो जाता है.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
7. जैसे बिना नाविक की नाव जहाँ कहीं भी जल में बह जाती है और बिना सारथी का रथ चाहे जहाँ भटक जाता है. उसी प्रकार सेनापति बिना सेना जहाँ चाहे भाग सकती है.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
8. नारी प्रकृति की बेटी है, उस पर क्रोध मत करो, उसका हृदय कोमल है, उस पर विश्वास करो.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
9. जुआ खेलना अत्यंत निष्कृष्ट कर्म है. यह मनुष्य को समाज से गिरा देता है.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
10. व्यक्ति को अभिमान नहीं करना चाहिए नहीं तो दुर्योधन जैसा हाल होगा.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
11. बुरे कर्मों का बुरा परिणाम निकलता है.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
12. अपने पूर्वजों का सम्मान करना चाहिए. उनके बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए. उनके दिए उपदेशों का आचरण करना चाहिए.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
13. चतुर मित्र सबसे श्रेष्ठ व मार्ग-प्रदर्शक होता है.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
14. द्वैष से सदैव दूर रहें.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
15. सभी को भ्रातृभाव से रहना चाहिए.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
16. एकमात्र विद्या ही परम तृप्ति देने वाली है.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
17. दो प्रकार के व्यक्ति संसार में स्वर्ग के भी ऊपर स्थिति होते हैं- एक तो जो शक्तिशाली होकर क्षमा करता है और दूसरा जो दरिद्र होकर भी कुछ दान करता रहता है.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
18. जिस राजा की प्रजा हमेशा कर के भार से पीड़ित रहे, प्रतिदिन दुखी रहे और जिसे तरह-तरह के अनर्थ झेलने पड़ते हैं, उस राजा की हमेशा पराजय होती है.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
19. झूठे पर विश्वास और विश्वस्त पर भी विश्वास सहसा नहीं करना चाहिए.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
20. मन, वचन और कर्म से प्राणी मात्र के साथ अद्रोह, सब पर कृपा और दान यही साधु पुरूषों का सनातन धर्म है.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
21. विषयों के भोगों से विषय वासना की शांति नहीं होती, हवन से बढती हुई अग्नि के समान यह काम वासना नित्य बढती ही जाती है.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
22. सच्चा धर्म यह है कि जिन बातों को इन्सान अपने लिए अच्छा नहीं समझता दूसरों के लिए भी न करे.
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23. दूसरों से घृणा करने वाले, दूसरों से ईर्ष्या करने वाले, असंतोषी, क्रोध, सभी बातों में शंका करने वाले और दूसरे के धन से जीविका निर्वाह करने वाले ये छहों सदा दुखी रहते हैं.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
24. परोपकार सबसे बड़ा पुण्य और परपीड़ा यानि दूसरों को कष्ट देना सबसे बड़ा पाप है.
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25. कर्म करते जाओ, फल की चिंता मत करो.
Puran Mahabharat पुराण महाभारत
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