प्रस्तुत पोस्ट Lauki Health Benefits in Hindi में लगभग पूरे भारत में पाए जानेवाली सब्जी लौकी से होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगें। लौकी सिर्फ सब्जी नहीं बल्कि यह औषधि भी है। इसे कहीं घीया, कहीं कद्दू तो कहीं दूधी नामों से जाना जाता है। इंग्लिश में Calabash, bottle gourd, white-flowered gourd, long melon, birdhouse gourd, New Guinea bean, Tasmania bean, opo squash भी कहा जाता है।
गुणकारी लौकी : एक परिचय
लौकी बीमार लोगों के लिए रामबाण है। जिन्हें कोई अन्य सब्जी अथवा दाल पचाने में कठिनाई होती है, डॉक्टर उन्हें लौकी की सब्जी खाने की सलाह देते हैं। इसके खाने से व्यक्ति को हल्कापन महसूस होता है। इसकी सब्जी पेशाब एवं पित्त संबंधी बीमारी को भी दूर करती है। साथ ही, इसके नियमित सेवन से रोगी के शरीर में शक्ति का संचार भी होता है। इसमें विटामिन ए, बी, सी तथा डी के साथ-साथ अनेक खनिज तत्व भी पाए जाते हैं। इन विशेषताओं के कारण लौकी सभी के लिए विशेष महत्व रखती है। यूनानी पद्धति में भी इसे बहुत उपयोगी माना गया है। आइए, जानते हैं कि लौकी किन-किन रोगों में कारगर औषधि है और हमें किस तरह रोगों से बचाती है।
यह प्रायः दो तरह का होता है – एक रूप लंबा बोतल के समान तो दूसरा गोल होता है। यह खरबूजे आदि की तरह बेल पर ही पैदा होता है। हालांकि कुछ बेलें जमीन पर फैलकर बढ़ती हैं, तो कुछ बेलें किसी चीज के सहारे ऊंची उठती हैं। लेकिन लौकी भारी सब्जी होने के कारण जमीन पर फैलती हुई बेल पर उगती है। अंदर से काटने पर घीया सफेद होता है।
आइए, जानते हैं कि लौकी के क्या-क्या गुण होते हैं। Lauki Health Benefits in Hindi
टीबी रोग
टीबी के रोगी के लिए लौकी को जौ के आटे में लपेटकर गर्म राख में दबा दें। राख में दबाने से पहले उस पर साफ कपड़ा लपेट देना चाहिए। जब लौकी नरम हो जाए तो उसे आग से निकाल लें। यह रस पिलाने से टीबी रोगियों को लाभ पहुंचता है।
पेशाब संबंधी रोग
पेशाब संबंधी रोगों अथवा गुर्दे के दर्द में लौकी का रस निकालकर उसमें चुटकी भर नमक और नींबू का रस मिलाकर सुबह –सुबह खाने से पेशाब खुलकर आता है और मूत्रनली में जलन समाप्त होती है।
नेत्र रोग
लौकी को छिलके समेत जलाकर सुखा लेना चाहिए। इसी जली हुई राख को कपड़े से छानकर एक शीशी में भर लें। उसे कांच की सलाई से आंख में अंजन की तरह लगाने से आंखों के रोग तक ठीक हो जाते हैं।
लीवर और पीलिया
पीलिया प्रायः लीवर में खराबी होने के कारण होता है । इसके लिए लौकी को भरते वाले बैंगन की तरह आग में भूनकर उसका छिलका उतारकर उसमें से रस निचोड़ लें। इसके बाद किसी छलनी अथवा साफ कपड़े में डालकर उसे निचोड़ ले, थोड़ा ठंडा होने पर इसमें मिश्री मिलाकर रोगी को देने से पीलिया अथवा लीवर की अन्य बीमारी में लाभ मिलता है।
जब नींद नहीं आए
जिन लोगों को नींद कम आती है, उन्हें लौकी के रस में थोड़ा तिल्ली का तेल मिलाकर सोने से पूर्व खोपड़ी अथवा कनपटियों पर प्रतिदिन मालिश करने से अच्छी नींद आने लगती है और अगले दिन तरावट महसूस होती है।
कान का दर्द होने पर
कई बच्चों के कान में दर्द रहता है, इसके कई कारण हो सकते हैं। लौकी के रस में मां का थोड़ा दूध मिलाकर उसकी कुछ बूंदें बच्चे के कान में टपकाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है। लौकी को बारीक पीसकर माथे पर लेप करने से सिरदर्द थोड़ी देर में समाप्त हो जाता है।
जब अधिक प्यास लगे
लौकी के रस की तासीर ठंडी होती है, इसलिए जिन लोगों को अधिक प्यास लगती है, उनमें लौकी का रस लेने से बहुत लाभ होता है। अधिक दस्त लगने पर शरीर में पानी की कमी हो जाती है। ऐसी स्थितियों में मरीज को लौकी का रस देना चाहिए।
इसी प्रकार मधुमेह के रोगियों में प्यास का अनुभव अधिक होता है। इसके अलावा अधिक तैलीय खाने से भी प्यास अधिक लगती है। ऐसे लोगों को चुटकी भर नमक मिलाकर रस देने से प्यास शांत हो जाती है। गरमी के दिनों में इसकी सब्जी बनाकर खाने से अधिक लाभ होता है। ये शीतलता प्रदान करती है। दस्त लगने की स्थिति में रोगी को लौकी का रायता देना लाभदायक होता है।
कैसे बनायें लौकी का रायता ?
लौकी को कद्दूकस से कसकर थोड़े पानी में उबाल लेना चाहिए और दही को अच्छी तरह मथकर उबली हुई लौकी को अच्छी तरह निचोड़कर दही में मिला लें। उसमें काली मिर्च का चूर्ण, सेंधा नमक और भुना हुआ जीरा मिलाकर रोगी को देना चाहिए। गर्मी के मौसम में या फिर तेज बुखार होने पर जब पैरों के तलुओं में जलन का अहसास हो तो लौकी को काटकर गूदे वाले हिस्से को तलवे में रगड़ना चाहिए। इससे पैरों को ठंडक मिलती है और जलन समाप्त होती है। साथ ही नींद भी अच्छी आती हैI
लौकी के व्यंजन
यह एक ऐसी सब्जी है जिससे रोगियों के अलावा स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी लजीज व्यंजन बनाए जा सकते हैं। इसकी सब्जियां कई तरह से बनाई जा सकती हैं। इसके अलावा रायता, कोफ्ता, हलवा, खीर, अचार आदि बनाया जा सकता है। इसके मुलायम फलों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, रेशा और खनिज लवण व तमाम तरह के प्रोटीन भी पाए जाते हैं ।
लौकी के प्रति 100 ग्राम में क्या – क्या मिलता है?
प्रति 100 ग्राम लौकी में 87.9 ग्राम नमी, 0.7 ग्राम वसा, 2.3 ग्राम प्रोटीन, 1.7 ग्राम खनिज लवण, 1.3 ग्राम रेशा, 6.9 ग्राम कार्बोहाइड्रेड, 80 मिलीग्राम कैल्शियम व 59 मिलीग्राम फास्फोरस पाया जाता है।
इसकी खेती पूरे भारत में होती है लेकिन इसके नाम अलग अलग प्रदेशों में भिन्न-भिन्न हैं। इसकी उन्नत किस्में नरेंद्र रश्मि, पूसा संदेश व काशी बहार हैं।
छतों पर उगाएं लौकी
यदि कोई चाहे तो लौकी को छतों पर भी उगाया जा सकता है। ऐसे भी देश की एक चौथाई आबादी शहरों में बसती है। जहां ज्यादातर लोगों के पास सिर छिपाने के लिए फ्लैट होते हैं या फिर छोटे-छोटे घर। ऐसे में जमीन पर सब्जी उगाना संभव नहीं है लेकिन अगर आपके पास छत है तो कुछ जगह में मिट्टी डालकर लौकी की एक बेल से पांच सदस्यों वाले परिवार के लिए प्रत्येक 3 से 5 दिन में 5 से 6 माह तक एक-एक लौकी पायी जा सकती है।
आशा है कि आपको यह लेख Lauki Health Benefits in Hindi पसंद आया होगा। टीम बेहतर लाइफ यह कतई दावा नहीं करता है कि इस पोस्ट में बताये गए सभी टिप्स सौ प्रतिशत सत्य एवं खरा हैं। यह पोस्ट पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित आलेखों के अध्ययन के आधार पर तैयार किया गया है। हालाँकि लौकी एक ऐसी सब्जी है जिसके बारे में अमूमन सबको पता होगा कि यह एक बहुत ही गुणकारी सब्जी है।
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Sabjiyon Ke Naam says
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