दीपावली दीपों का पर्व है. उजाले का पर्व है. बुराई पर अच्छाई की जीत को मनाने का पर्व है. सच ही कहा गया है –
“दीपों की अगणित अवली से, अन्धकार का हुआ नाश।”
बच्चों ने फुलझड़ियाँ छोडीं, चारों ओर हुआ प्रकाश॥”
भारत त्योहारों का देश है. यहाँ वर्ष भर कोई-न-कोई त्योहार आता रहता है. इन त्योहारों में भारतीय संस्कृति की झाँकी मिलती है. ये त्योहार हर्ष एवं उल्लास का प्रतीक भी होते हैं.
यदि ‘दीपावली’ के शाब्दिक अर्थ को लें तो इसका अर्थ होता है – ‘दीपों की अवली या पंक्ति’. यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है. लोग इस अमावस्या की काली रात को दीपक जलाकर, पूर्णिमा की रात में बदल देते हैं. यह त्योहार पांच दिनों तक बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.
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दीपावली के दो दिन पूर्व’ धन तेरस’ मनाई जाती है. इस दिन लोग नए बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं, दूसरे दिन छोटी दीपावली मनाई जाती है. इसी दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था. तीसरे दिन दीपावली मनाई जाती है. रात्रि में घरों पर रोशनी की जाती है और लक्ष्मी-पूजन होता है. चौथे दिन गोवर्धन पूजा होती है. इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर इन्द्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा की थी. पांचवें दिन ’भैयादूज’ का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को टीका लगाती हैं.
प्रकाश का पर्व दीपावली वर्षा ऋतु के बाद आता है. इस अवसर पर लोग अपने घरों की साफ़ -सफाई, पुताई, आदि करते हैं, जिससे कीटाणुओं का नाश होता है. दीपावली की रात्रि की शोभा देखते ही बनती है. बाजारों में खूब चहल-पहल होती है. चारों ओर मोमबत्तियों, दीपकों और बिजली के बल्बों का प्रकाश जगमग-जगमग करता है. बच्चे आतिशबाजी चलाते हैं और लोग अपने मित्रों और सगे-संबंधियों के घर मिठाई, उपहार, आदि भेजते हैं. रात्रि में लक्ष्मी-पूजन किया जाता है.
Umang says
Nice