गुरु शब्द गु और रु से मिलकर बना है. गु का अर्थ अन्धकार और रु का अर्थ प्रकाश होता है. यानि जो हमें अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाएँ वही गुरु हैं. इस पोस्ट में गुरु/शिक्षक/ गुरु भक्ति पर अनमोल विचार का संग्रह किया है. आशा है आपको पसंद आयेगी.
1. यह तन विष की बेलरी गुरू अमृत की खान।
सीस दिए जो गुरू मिले तो भी सस्ता जान ।।
महात्मा कबीर
2. बिन गुरू होय न ज्ञान।
तुलसीदास
3. जो मनुष्य परमात्मा का ज्ञान प्राप्त कर लेता है, वह परमात्मा का ही स्वरूप बन जाता है और इस तरह सिद्ध है कि गुरू के आसन पर मनुष्य नहीं किन्तु परमात्मा स्वयं आसीन रहते हैं.
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
4. जो स्वयं प्रकाश फैलाने वाला है यदि वही अँधेरे में ठोकर खाकर गिरे तो वह दूसरों के लिए उजाला क्या करेगा?
अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
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5. एक मात्र ईश्वर ही विश्व का पथ-प्रदर्शक और गुरू है.
महर्षि रामकृष्ण परमहंस
6. बिन गुरू माल होऊं कत चेला, बिन गुरू दया चलै अकेला,
गुरू बिन पन्थ न पावै कोई, केतिकौ ज्ञानी ध्यानी होई ।
गुरू ऐसौ मीठी किछु नहीं,जहाँ गुरू than तिक्त मिटी जाहीं ,
‘कामयाब’ को गुरू अति भावै, सो हित जो गुरू ताहि जियावै ।।
नूर मुहम्मद (अनुराग बाँसुरी)
7. गुरू कुछ न्य नहीं देता। जो बीज रूप से रहता है, उसी को विकसित करने में सहायक होता है। मंद सुगंध को बाहर निकलता है ।
साने गुरूजी
8. गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागों पायं ।
बलिहारी गुरू आपने, गोविन्द दियो बताय ।।
महात्मा कबीर (कबीर ग्रन्थावली)
9. तिनको न कछू कबहूँ बिगरै, गुरू लोगन को कहनी जे करै ।
जिनको गुरू पन्थ दिखावट है , ते कुपंथ पै भूलि न पाँव धरै ।।
जिनको गुरू रच्छत आप रहैं , ते बिगारे न बैरिन के बिगरै ।
गुरू को उपदेश सुनो सब ही , जग कारज जैसन सवै संभरै ।।
भारतेंदु हरिश्चन्द्र (भारतेंदु नाटकावली )
10. भले-बुरे गुर जन वचन, लोपत कबहूँ न धीर ।
राज –काज को छाडी कै , चले विपिन रघुबीर ।।
वृन्द (वृन्द सतसई )
11. जन रंजन होता नहीं, कर गंजन तम – मान ।
दृग – रूज मंजन जो न गुरू, करते अंजन दान ।।
अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ (हरिऔध सतसई)
12. ज्ञान टके पर बिक गया , माँ कहाँ से होय ।
बिन मूल्य जो डेट हैं, सच्चा गुरू है सोय ।।
मेलाराम (शिक्षाशास्त्री)
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13. गुरू को अगर हमने देह रूप से माना तो हमने गुरू से ज्ञान नहीं अज्ञान पाया.
आचार्य विनोबा भावे
14. गुरू हमार तुम राजा, हम चेला तुम नाथ।
जहाँ पाँव गुरू राखै , चेला राखे माथ ।।
Nimi Arora says
A very interesting and enlightening collection
–Nimi Arora
http://www.NimiArora.com