प्रस्तुत पोस्ट Potato Health Benefits in Hindi में आलू के बारे में विस्तार से जानेगें. ऐसे तो बहुत लोग आलू के विषय में पूरी जानकारी नहीं रखने के कारण इसे दोयम दर्जे की सब्जी की श्रेणी में रखते है और इसे सिर्फ मोटापा बढ़ाने वाला मानते हैं लेकिन सच्चाई यह नहीं है. आइये जानते हैं इसके बारे में …
आलू बहुत गुणकारी
आप यह तो जानते ही होंगे कि आलू को ‘सब्जी का राजा’ कहा जाता है। यह कहावत यूँ ही नहीं है बल्कि आलू में मौजूद औषधीय गुणों के कारण ऐसा कहा जाता है। यही कारण है कि आलू को हर तरीके से खाया जाता है और वह रसोई की शान बना हुआ है। आलू पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। इसका मुख्य पौष्टिक तत्व स्टार्च होता है। इसमें कुछ मात्रा उच्च जैविक मान वाले प्रोटीन की भी होती है।
आलू क्षारीय यानी बेसिक होता है, इसलिए यह शरीर में क्षारों की मात्रा बढ़ने या उसे बरकरार रखने में बहुत सहायक होता है। यह शरीर में ऐसीडोसिस भी नहीं होने देता। आलू में सोडा, पोटाश और विटामिन A तथा D भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। आलू का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व विटामिन C है। आलू के पौष्टिक तत्वों का लाभ लेने के लिए इसे हमेशा छिलके समेत पकाकर खाना चाहिए क्योंकि आलू का सबसे अधिक पौष्टिक भाग छिलके के एकदम नीचे होता है, जो प्रोटीन और खनिज से भरपूर होता है।
ध्यातव्य हो कि आलू को केवल भारत में ही ‘सब्जियों का का राजा’ नहीं कहा जाता है अपितु दुनिया भर में आलू लोकप्रिय है। यूरोप में आलू का प्रयोग व्यापक होता गया है। जबसे आलू का प्रयोग भरपूर तरीके से शुरू हुआ तब से स्कर्वी नामक रोग की घटनाएं बहुत कम देखने में आती हैं। इसका कारण इसमें विटामिन C की भरपूर मात्रा में होना है । आलू के पौष्टिक तत्वों का सम्पूर्ण लाभ लेने के लिए इसे हमेशा छिलके सहित पकाना चाहिए क्योंकि आलू का सबसे अधिक पौष्टिक भाग छिलके के एकदम नीचे होता है, जो प्रोटीन और खनिज से भरपूर होता है। आलू को उबाला, भूना या अन्य सब्जियों के साथ पकाया जाता है, इसलिए इसके पौष्टिक तत्व आसानी से हजम हो जाते हैं। मानव शरीर उन्हें दो से तीन घंटों में आसानी से सोख लेता है।
आलू का रस निकालने के लिए जूसर का प्रयोग किया जा सकता है, या फिर उसे कूट-पीसकर उसका रस कपड़े में से छाना जा सकता है। आलू का यदि कोई भाग हरा रह गया है तो उसे काटकर निकाल देना चाहिए, क्योंकि उसमें सोलेनाइन नामक विषैला पदार्थ होता है। इसके अतिरिक्त यदि आलू में अंकुर आ गए हों, तो अंकुरित भाग काटकर निकाल देना चाहिए और उसे प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। इस तरह के अंकुरित आलू का उपयोग आलू की खेती के लिए किया जाना चाहिए ।
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ऐसे तो आलू पूरी दुनिया में उगाया जाता है, लेकिन इसका मूल स्थान दक्षिण अमेरिका है। भारत में यह 16वीं शताब्दी के आसपास पुर्तगालियों द्वारा लाया गया। कहा जाता है कि सोलहवीं सदी में स्पेन ने अपने दक्षिण अमेरिकी उपनिवेशों से आलू को यूरोप पहुंचाया । उसके बाद ब्रिटेन जैसे देशों ने आलू को दुनिया भर में लोकप्रिय बना दिया। आज भी आयरलैंड तथा रूस की अधिकांश जनता आलू पर निर्भर है। भारत में यह सबसे लोकप्रिय सब्जी है।
पूरी दुनिया में आलू की पैदावार प्रतिवर्ष 30 करोड़ टन से अधिक होती है। चीन सबसे अधिक आलू पैदा करता है । इसके बाद रूस और तीसरे नंबर पर भारत आता र है। सबसे ज्यादा आलू बेलारूस में खाया जाता है। सन् 1974 में एरिकजेंकिंस ने एक पौधे से 168 किलोग्राम आलू पैदा करके विश्व कीर्तिमान बनाया था जो आज भी कायम है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2008 को आलू वर्ष घोषित किया था। दुनिया में लगभग 125 देशों में आलू की खेती की जाती है। आज विश्व में आलू की 5000 के लगभग किस्में हैं जो अधिकतर एंडीस पहाड़ियों पर उगती हैं। आपको मालूम हो कि अंतर्राष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र के जीनबैंक में ये सभी किस्में सुरक्षित हैं। इस केंद्र में रखी इन प्रजातियों में आलू की 100 के आसपास जंगली किस्में हैं।
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भारत में आलू की खेती करने के लिए संबंधित राज्य के कृषि व उद्यान विभाग के जरिए किसानों के लिए तमाम कल्याणकारी योजनायें चलाने का खाका तैयार किया गया है। राजस्थान सरीखें राज्यों ने तो उसे लागू भी कर दिया है। भारत में 97 फीसदी आलू सिर्फ 10 राज्यों में पैदा होता है। इसमें यूपी में करीब 30.4 फीसदी आलू की पैदावार होती है। इसके बाद दूसरे नंबर पर आता है पश्चिम बंगाल। यहां की हिस्सेदारी 26.07 फीसदी है। इसी तरह बिहार में 11.8 फीसदी उत्पादन होता है।
वर्ष 2017-18 में पूरे भारत में आलू उत्पादकता 48,605,000 टन रही तो यूपी ने 14,755,000 टन उत्पादन के साथ एक नया रिकार्ड हासिल किया। सरकारी आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2019 में पूरे भारत की उत्पादकता में करीब 10 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। भारतीय आलू का निर्यात श्रीलंका, बर्मा, भूटान व नेपाल में किया जा रहा है। इन देशों को भारत में पैदा होने वाले कुल आलू का करीब 15 फीसदी निर्यात किया जाता है।
आलू की सबसे ज्यादा खपत होने के पीछे मूल कारण उसमें मौजूद औषधीय गुण हैं। लंबे, कुरूप और बेडौल दिखने वाले आलू को वैज्ञानिक सोलान्म ट्युबरस्म कहते हैं, जिसने हम पर एक जादू-सा कर दिया है। यह आंतों में सड़न की प्रक्रिया को रोकता है, और पाचन प्रक्रिया में सहायक बैक्टीरिया के विकास में सहायता करता है। आलू यूरिक अम्ल को घोलकर निकालता है। पुरानी कब्ज, आंतों में विषाक्तता, यूरिक अम्ल से संबंधित रोग, गुर्दों में पथरी, ड्रॉप्सी आदि रोगों के इलाज में आलू पर आधारित चिकित्सा को बहुत ही उपयोगी माना गया है। स्कर्वी रोग में आलू को आदर्श आहार औषधि माना गया है।
आयुर्वेद के जानकारों की मानें तो प्रत्येक बार भोजन करने से पहले चाय का एक या दो चम्मच भर कच्चे आलुओं का रस पीने से सभी तरह के तेजाब शरीर से निकल जाते हैं और गठिया रोग में आराम मिलता है। आलू के छिलके में महत्वपूर्ण खनिज लवण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। जिस पानी में आलुओं को छिलके समेत उबाला जाता है वह पानी शरीर में तेजाब की अधिकता के कारण होने वाले रोगों की आदर्श दवा बन जाता है। इसका कड़ा तैयार कर, छानकर एक-एक गिलास दिन में 3-4 बार प्रतिदिन लेना चाहिए। इसी तरह से पाचन संबंधी बीमारियों में कच्चे आलू का रस बहुत उपयोगी होता है, क्योंकि यह आंतों में सूजन से आराम दिलाता है। इस रोग में आराम पाने के लिए कच्चे आलू का आधा प्याला रस भोजन से आधा घंटा पहले दिन में दो या तीन बार लेना चाहिए। यह आंतों की सूजन और ड्योडेनल अल्सर से भी आराम दिलाता है।
पेट और आंतों के रोगों तथा विषाक्तता के मामलों में आलू के स्टार्च का इस्तेमाल Anti-inflammatory (सूजन दूर करने वाले) पदार्थ के रूप में किया जाता है। कच्चे आलू का रस त्वचा पर दाग-धब्बे दूर करने में उपयोगी सिद्ध हुआ है। आलू में मौजूद पोटेशियम सल्फर, फास्फोरस और कैल्शियम की मात्रा त्वचा की सफाई में मदद करती है। जब तक यह कच्चा रहता है, उसमें जीवित कार्बनिक परमाणु अधिक होते हैं। पकाई हुई अवस्था में ये जैविक परमाणु अकार्बनिक परमाणु में बदल जाते हैं और उनका लाभ कम हो जाता है।
कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि आलू खाने से शरीर में चर्बी बढ़ जाता है और वैसे लोग आलू का सेवन करने से परहेज करते हैं, लेकिन आलू में विटामिन सी, बी कॉम्पलेक्स तथा लौह, कैल्शियम, मैंगनीज, फास्फोरस तत्व होते हैं। आलू के प्रति 100 ग्राम में 1.6 प्रतिशत प्रोटीन, 22.6 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 0.1 प्रतिशत वसा, 0.4 प्रतिशत खनिज और 97 प्रतिशत कैलोरी ऊर्जा पाई जाती है।
दाग-धब्बे खत्म करने में सहायक
आलू की रसदार लुगदी या पेस्ट झुर्रियां खत्म करती हैं । यह बढती उम्र के दाग-धब्बे और त्वचा की रंगत निखारने में सहायता करती है। आलू को पीसकर त्वचा पर मलने से रंग गोरा हो जाता है । विटामिन सी और बी काम्प्लेक्स के साथ पोटेशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और जस्ता जैसे खनिज हमारी त्वचा के लिए लाभदायक हैं। ऐसे उबले हुए आलू में थोडा-सा शहद मिलाकर, इसका एक फेस पैक बनायें और अपने चेहरे पर लगायें । यह पैक आपके चेहरे के मुहांसों और धब्बों को मिटा देगा। इसी तरह आलू के रस में नीबूं के रस की कुछ बूंदें मिलाकर लगाने से चेहरे के धब्बे हलके हो जाते हैं।
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आलू के टुकड़े को गर्दन, कोहनियों आदि सख्त स्थानों पर रगड़ने से वहां की त्वचा साफ एवं कोमल हो जाती है । इसी तरह आलू के रस में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर झाइयों और झुर्रियों पर लगायें । बीस मिनट बाद चेहरा पानी से साफ कर लें । धीरे –धीरे झुर्रियां और झाइयां कम होती जाती है। कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह लगाने से जाला और फूला तीन-चार महीने में साफ हो जाता है। तेज धूप या लू से त्वचा झुलस जाने पर कच्चे आलू का रस झुलसी त्वचा पर लगाना लाभदायक है।
बाल चमकीला बनाने में सहायक
आलू उबालने के बाद बचे पानी में एक आलू मसलकर बाल धोने से आश्चर्यजनक रूप से बाल चमकीले, मुलायम और जड़ों से मजबूत होंगे। सिर में खाज, सफेद होना व गंजापन तत्काल रुक जाता है।
जलन से राहत दिलाये
जलने पर कच्चा आलू कुचलकर जले भाग पर तुरंत लगा देने से आराम मिल जाता है। जले हुए स्थान पर फफोला पड़ने से पूर्व ही कच्चा आलू पत्थर पर बारीक पीसकर लेप कर देने से दाहकता शांत हो जाएगी, फफोला नहीं पड़ेगा और रोगी स्थान शीघ्र ठीक हो जाएगा।
कब्ज दूर करे
आलू भूनकर नमक के साथ खाने से चर्बी की मात्रा में कमी होती है। भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है। आलू में, भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेटस् पाए जाते हैं, जो पचाने में तो आसान हैं ही साथ ही पाचनशक्ति को भी बढ़ाते हैं। इसलिए मरीजों और बच्चों को आहार में आलू दिए जाते हैं, क्योंकि यह पचाने में आसान और शरीर को शक्ति भी देते हैं।
गठिया से राहत दिलाए
गठिया के मरीजों के लिए आलू का सेवन लाभदायक और हानिकारक भी हो सकता है। आलू में मौजूद विटामिन, कैल्शियम और मैग्नीशियम गठिया के मरीजों के लिए लाभदायक है। चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर खाएं। इससे गठिया ठीक हो जाता है।
उबले हुए आलू का पानी भी इस बीमारी से राहत दिलाता है। हालांकि आलू में भरपूर मात्रा में मौजूद स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट गठिया के मरीजों का वजन बढ़ा सकता हैं। इस वजह से इसे अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए।
उच्च रक्तचाप में लाभकारी
उच्च रक्त दाब के रोगी भी आलू खाएं तो रक्त दाब को सामान्य बनाने में लाभ करता है। इस बीमारी के रोगियों को आलू खाने से रक्त दाब को सामान्य बनाने में अधिक लाभ प्राप्त होता है। पानी में नमक डालकर आलू उबालें।
(छिलका होने पर आलू में नमक कम पहुंचता है।) और आलू नमकयुक्त भोजन बन जाता है। इस प्रकार यह उच्च रक्तचाप में लाभ करता है क्योंकि आलू में मैग्नीशियम पाया जाता है।
सूजन से राहत
यदि किसी भी स्थान पर सूजन है तो आलू का सेवन लाभदायक है। आलू खाने में नर्म और हाजमेदार तो होता ही है,साथ ही इसमें मौजूद विटामिन सी, पोटेशियम, विटामिन-बी6 और अन्य खनिज, अंतड़ियों और पाचन तंत्र में हुई सूजन को घटाते हैं। इसी तरह आलू का सेवन मुंह के छालों से राहत दिलाता है। चोट लगने पर नीले पड़ जाने की स्थिति में जिस स्थान पर नीला है वहां कच्चा आलू पीसकर लगाना लाभप्रद है।
मस्तिष्क विकास में सहायक
आलू का प्रयोग मस्तिष्क यानी दिमाग के विकास की दृष्टि से भी फायदेमंद माना गया है। यह शरीर में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित रखने के साथ ही ऑक्सीजन की पूर्ति, विटामिन बी कॉम्प्लेकस में मौजूद कुछ तत्वों, हार्मोन, एमिनो एसिड और फैटी एसिड जैसे ओमेगा-3 को नियंत्रित करता है।
हृदय रोग में लाभकारी
हृदय में जलन हो तो आलू का रस पिएं। यदि रस निकाला जाना कठिन हो तो कच्चे आलू को मुंह से चबाएं तथा रस पी जाएं और गूदे को थूक दें। आलू का रस पीने से हृदय की जलन दूर होकर तुरन्त ठंडक प्रतीत होती है। आलू का रस शहद के साथ पीने से हृदय की जलन मिटती है। आलू में विटामिन, मिनरल और अन्य पोषण तत्वों के अलावा केरोतेनौड्स नामक पदार्थ होता है, जो हमारे हृदय और आंतरिक अंगों के लिए हितकारी है। हालांकि यह ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाता है और मोटापा बढ़ाने में भी सहायक है। इसलिए इसके सेवन के वक्त विशेष सावधानी बरतने की जरूरत ह¨ती है। कोशिश करें कि दो से तीन आलू ही प्रयोग करें।
एसीडिटी या अम्लता से निजात दिलाये
आलू की प्रकृति क्षारीय है जो अम्लता को कम करती है। जिन रोगियों के पाचन अंगों में अम्लता की अधिकता है, खट्टी डकारें आती हैं और वायु (गैस) अधिक बनती है, उनके लिए गरम-गरम राख या रेत में भुना हुआ आलू बहुत ही लाभदायक है। भुना हुआ आलू गेहूं की रोटी से आधे समय में पच जाता है। यह पुरानी कब्ज और अन्तड़ियों की दुर्गंध को दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।
गुर्दे की पथरी में लाभदायक
गुर्दे में पथरी होने पर केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक मात्रा में पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियां और रेत आसानी से निकल जाती हैं। आलू में मैग्नीशियम पाया जाता है जो पथरी को निकालता है तथा पथरी बनने से रोकता है।
दस्त में भी गुणकारी
एक तरफ जहां ज्यादा आलू का सेवन पेट खराब करता है वहीं आलू दस्त के मरीजों के लिए फायदेमंद माना गया है। आलू खाने में काफी हल्का और पचाने में बहुत आसान होता है। ऐसे में इसके सेवन से दस्त से परेशान मरीज अपनी खोई ऊर्जा वापस पा जाते हैं।
स्कर्वी में लाभदायक
आलू स्कर्वी रोग में भी लाभकारी होता है। दांतों की हड्डियां सूज गई हो और मसूड़ों से रक्त निकलता हो तो भुने आलुओं का सेवन करें अथवा छिलके सहित आलू का पतला शाक या सूप बनाकर लेना चाहिए। करीब तीन माह तक इसका सेवन करने के पश्चात फायदा नजर आने लगेगा।
बेरी बेरी में गुणकारी
इस रोग में जंघागत नाड़ियों में कमजोरी का लक्षण विशेष रूप से होता है। कच्चा आलू चबाकर उसका रस ग्रहण करने अथवा आलू कूट-पीसकर उसका रस निचोड़ कर एक-एक चम्मच की मात्रा में पिलाते रहने से नाड़ियों की क्षीणता दूर होने लगती है एवं बेरी-बेरी रोग में लाभ होता है।
बिबाई फटने पर लाभकारी
सूखे और फटे हुए हाथों को ठीक करने के लिए आलू को उबाल लें, फिर उसका छिलका हटाकर पीसकर उसमें जैतून का तेल मिलाकर हाथों पर लगायें तथा लगाने के 10 मिनट बाद हाथों को धोने से लाभ होता है।
दाद खाज खुजली में उपयोगी
कच्चे आलू का रस पीने से दाद ठीक हो जाता है। आलू को पीस कर दाद पर लगाया भी जा सकता है। इससे खुजली कम होती है।
कमर दर्द में
यदि आप कमर दर्द से अधिक परेशान हैं तो कच्चे आलू की पुल्टिस बनाकर कमर पर लगानी चाहिए। ऐसे में नियमित सप्ताह भर तक करें तो फायदा दिखने लगेगा।
फोड़े – फुंसियां होने पर
कच्चे आलू का रस पीने से दाद, फुंसियां, गैस, स्नायुविक और मांसपेशियों के रोग दूर होते हैं।
एलर्जी होने पर उपयोगी
यदि किसी को एलर्जी की समस्या है तो कच्चे आलू का रस एलर्जी वाले स्थान पर लगाने से फायदा होता है।
बच्चों के लिए लाभकारी
आलू का रस दूध पीते बच्चों और बड़े बच्चों को पिलाने से वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। आलू के रस में मधु मिलाकर भी पिला सकते हैं।
आलू के नुकसान
१. ऐसा नहीं है कि आलू का सेवन हमेशा लाभकारी ही होता है. इसके कुछ नुक्सान भी हैं, जो इस प्रकार है…
२. खराब या सड़े हुए आलू का सेवन कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका शरीर पर विषाक्त प्रभाव हो सकता है ।
३. जैसा कि आपको मालूम होना चाहिए कि आलू का ग्लायसेमिक इंडेक्स 80 से भी ज्यादा होता है. अतः मोटापे से ग्रस्त या मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को हानि पहुंचा सकता है.
४. आलू के बहुत सारे उत्पाद आजकल बाजार में पैकेट सामग्री के रूप में आसानी से मिल जाता है. आलू या इसके उत्पाद का सेवन गैस की समस्या उत्पन्न कर सकता है.
५. हरे आलू जहरीले होते हैं। इनमें मौजूद सोलानिन, चाकोनिन और आर्सेनिक जैसे एल्कलोडस् आपके लिए घातक साबित हो सकते हैं। ऐसे में हरे आलू के नियमित रूप से प्रयोग नहीं करना चाहिए।
नोट : आपको यह पोस्ट कैसा लगा, कमेंट द्वारा अपने विचार जरुर व्यक्त करें. धन्यवाद!
Ankur says
Bohot hi kamal ki article ha sir, Thanks for sharing.
Drkalyani says
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