Carrot Health Benefits in Hindi /गाजर खाएं सेहत बनाएं – हिंदी आलेख
गाजर का नाम आप लोगों ने जरुर सुना होगा, देखा भी होगा और कई बार खाया भी होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि एक गाजर में हजार गुण छुपे हैं। यानी यदि आप केवल एक गाजर का सेवन नियमित करते हैं तो इससे आपको कई रोगों से मुक्ति मिल सकती है। इसी कारण से गाजर का विभिन्न रूपों में प्रयोग किया जाता है। इससे तरह-तरह के पकवान बनाने के साथ ही इसे कच्चा भी खाया जा सकता है। विशेष बात यह है कि गाजर को किसी भी वक्त खाया जा सकता है। इसे सलाद के अलावा इसका रस भी प्रयोग किया जाता है।

Carrot Health Benefits in Hindi
गाजर का अचार भी बनता है। गाजर के रस का एक गिलास पूर्ण भोजन है। इसके सेवन से रक्त में वृद्धि होती है। मधुमेह (डायबिटीज) आदि को छोड़कर गाजर का प्रायः हरेक रोग में सेवन किया जा सकता है। गाजर के रस में विटामिन ‘A’, ‘B’, ‘C’, ‘D’, ‘E’, ‘G’, और ‘K’ पाया जाता है.
आयुर्वेद में गाजर को स्वाद में मधुर, गुणों में तीक्ष्ण, कफ और रक्तपित्त को नष्ट करने वाला माना गया है। इसमें पीले रंग का कैरोटीन नामक तत्व विटामिन ‘ए’ बनाता है। कैल्शियम और केरोटीन की प्रचुर मात्रा होने के कारण छोटे बच्चों के लिए यह उत्तम आहार है।
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गाजर में कोषों और धमनियों को संजीवन करने की क्षमता होती है। गाजर में बिटा- केरोटिन नामक औषधीय तत्व होता है, जो कैंसर पर नियंत्रण करने में सहायक होता है. इसमें कैल्शियम के साथ ही साथ उचित मात्रा में कार्बोहायड्रेट होता है. इससे इसका फायदा विभिन्न रोगों में जल्द ही दिखने लगता है।
भारत में अलग-अलग इलाके में अलग-अलग प्रजाति की गाजर का प्रयोग किया जाता है। गाजर की तमाम प्रजातियां अलग-अलग रंग की होती हैं। उत्तर भारत में सबसे अधिक लाल एवं नारंगी रंग की गाजर का प्रयोग होता है। वहीं दक्षिण भारत में गुलाबी एवं लाल सेब के रंग वाली गाजर का ज्यादा प्रयोग किया जाता है। वर्ष 1980 के बाद गाजर की कई नई प्रजातियां भी आई। इसके बाद इसे मूल रूप से खाद्य के रूप में प्रयोग किया गया।
गाजर की उत्पत्ति कहाँ हुई?
माना जाता है गाजर का सबसे पहले खाद्य के रूप में प्रयोग अफगानिस्तान में हुआ। वहां इसका प्रयोग आठवीं शताब्दी से ही हो रहा है। समय बीतने के साथ ही इसकी विभिन्न प्रजातियों का भी विकास हुआ। अफगानिस्तान में गाजर की सबसे ज्यादा प्रजातियां हैं। इसमें से कुछ को जंगली प्रजाति घोषित किया गया है। हालांकि जंगली प्रजाति अभी तक भारत में नहीं है। विभिन्न शोध रिपोर्टों में यह बात सामने आई है कि पहले गाजर की पत्तियां और उसके बीज प्रयोग किए जाते थे। उसकी जड़ों को खाने का चलन नहीं था, लेकिन अब जड़ ही प्रमुख खाद्य पदार्थ बन गई है। गाजर काली और लाल दो तरह की होती है। काली गाजर सबसे अच्छी होती है।
गाजर में पोषक तत्त्व का भण्डार
100 ग्राम कच्चे गाजर में पाए जाने वाले प्रमुख तत्त्वों की लम्बी लिस्ट इस प्रकार है: कार्बोहाइडेट – 9 ग्राम; शर्करा – 5 ग्राम; आहारीय रेशा – 3 ग्राम; वसा – 0.2 ग्राम; प्रोटीन – 1 ग्राम, विटमिन बी – 1 0.04 मिलीग्राम, विटमिन बी – 2 0.05 मिलीग्राम, विटमिन बी – 3 1.2 मिलीग्राम, विटमिन बी – 6 2 0.1 मिलीग्राम, विटमिन सी – 7 मिलीग्राम, कैल्शियम – 33 मिलीग्राम; मैगनीशियम – 18 मिलीग्राम.; फॉस्फोरस – 35 मिलीग्राम; पोटेशियम – 240 मिलीग्राम और सोडियम – 2.4 मिलीग्राम.
गाजर के औषधीय गुण
आखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक
आजकल आँखों की रोशनी की समस्या ज्यादा पाई जाती है। छोटे-छोटे बच्चों को भी चश्मा लगाना पड़ता हैं। ऐसे में यदि बच्चों को नियमित तौर पर सौ ग्राम गाजर खिलाई जाए तो इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
गाजर आखों की रोशनी बढ़ाने वाली एक सर्वोत्तम जड़ है। इसमें विटामिन ‘ए’ काफी मात्रा में पाया जाता है। नेत्र ज्योति के अलावा नेत्र संबंधी अन्य रोगों के लिए भी गाजर फायदेमंद है। आँखों का ज्यादा काम करने वाले छात्र-छात्रा, शिक्षक, संपादक, डी टी पी ऑपरेटर, कंप्यूटर पर काम करनेवाले लोगों को गाजर का सेवन जरुर करना चाहिए.
पीलिया यानि जौंडिस में लाभकारी
गाजर को पीलिया की प्राकृतिक औषधि माना गया है। पीलिया होने पर नियमित गाजर का प्रयोग करने से आशातीत लाभ मिलता है। पीलिया में गाजर का हलवा, गाजर का जूस और कच्चा गाजर खाना ज्यादा लाभदायक होता है। डॉक्टरों की सलाह होती है कि पीलिया के मरीज को सलाद के रूप में गाजर जरूर खानी चाहिए। क्योंकि इसमें मौजूद कैरोटीन नामक तत्व पर्याप्त मात्रा में विटामिन ‘ए’ बनाता है। कैल्शियम के साथ ही पर्याप्त कार्बोहाइड्रेट एवं रेशा होने से इसका फायदा जल्दी दिखने लगता है।
ब्लड कैंसर
गाजर का सेवन ल्यूकोमिया (ब्लड कैंसर) और पेट के कैंसर में भी लाभदायक है। इसके सेवन से कोषों और धमनियों को संजीवनी मिलती है। गाजर में बिटा-केरोटिन नामक औषधीय तत्व होता है जो कैंसर पर नियंत्रण करने में उपयोगी है। अगर नियमित तौर पर गाजर का प्रयोग किया जाए तो कैंसर नजदीक नहीं फटकने पाता है।
त्वचा जल जाने पर
आग से त्वचा जल गई हो तो कच्ची गाजर को पीसकर लगाने से तुरंत लाभ होता है। इतना ही नहीं जले हुए स्थान पर ठंडक पड़ जाती है और फफोले कम पड़ते हैं। यदि फफोले पड़ भी गए तो उसमें जलन नहीं होती है। इसी तरह गाजर पीसकर आग पर सेंककर इसकी पुल्टिस बनाकर बांधने से फोड़े ठीक हो जाते हैं। यदि फोडे़ में मवाद हो जाता है तो वह जल्दी साफ हो जाता है। फोडे़ में इंफेक्शन बढ़ने नहीं पाता है।
मानसिक सबलता के लिए जरुरी
दिमाग को मजबूत बनाने के लिए गाजर का मुरब्बा प्रति दिन सुबह लें। आयुर्वेद में बताया गया है कि गाजर का मुरब्बा हर दिन खानेवालों की मानसिक स्थिति सबल रहती है। साथ ही उन्हें आयु बढ़ने पर भी भूलने की बीमारी नहीं होती है। चूँकि पढाई के दौरान बच्चों को काफी दिमागी काम करना पड़ता है ऐसे में उनके खाने में गाजर का प्रयोग किया जाए तो उनकी याददाश्त बनी रहती है और वे ताजातरीन महसूस करते हैं। तमाम लोगों को अनिद्रा की शिकायत रहती है। आज की भागमभाग भरी जिन्दगी में अनिद्रा की वजह से तमाम दूसरी बीमारियाँ भी लोगों को जकड लेती है। ऐसे में यदि हर रोज सुबह शाम एक कप गाजर का रस पिया जाए तो यह समस्या कम हो जाती है। दिमागी कमजोरी के लिए भी गाजर का रस लाभकारी होता है।
हृदय रोग होने पर
गाजर हृदय रोग में भी लाभकारी है। हृदय की कमजोरी अथवा धडकनें बढ़ जाने पर गाजर को भुनकर खाने पर लाभ मिलता है। जिन लोगों को बात –बात में घबराहट होती है वे कम से कम एक गाजर नियमित रूप से सेवन करें। यदि भूनकर खा-पी रहे हैं तो कच्ची गाजर खाना भी फायदेमंद होता है।
रक्तचाप में
बहुत से लोगों को निम्न रक्तचाप की शिकायत रहती है। ऐसे में कई बार वे रक्तचाप को व्यवस्थित करने के लिए दूसरी तमाम चीजे खाते हैं और कई बार व्यवस्थित करने के चक्कर में रक्तचाप एकाएक बढ़ भी जाता है। ऐसे रोगियों को गाजर के रस में शहद मिलाकर लेना चाहिए। रक्तचाप सामान्य होने लगेगा। गाजर रक्त को शुद्ध भी करती है।
दाग-मुहांसे में
गाजर का रस, टमाटर का रस, संतरे का रस और चुकुंदर का रस लगभग 25 ग्राम की मात्रा में रोजाना दो माह तक लेने से चेहरे के मुहांसे, दाग, झाइयां आदि मिट जाते हैं। गाजर को कद्दूकस करने नमक मिलाकर खाने से खाज-खुजली में फायदा होता है। बचपन में जिन बच्चों को फोड़े-फुंसी ज्यादा हो रहे हो, उन्हें नियमित तौर पर गाजर अथवा गाजर का हलवा खिलाने से लाभ मिलता है।
बवासीर होने पर
बवासीर में भी गाजर उपयोगी है। बवासीर के शुरुआती लक्षण दिखते ही कच्ची गाजर अधिक से अधिक खाना चाहिए। इससे कुछ दिन बाद बवासीर अपने आप खत्म हो जाती है। जिन लोगों को बवासीर (Piles) की शिकायत है वे नियमित गाजर का प्रयोग करें तो पेट साफ रहता है।
दंत रोग में
गाजर रक्त को शुद्ध करने वाली होती है। इसमें लौहत्तत्व भरपूर होता है। गाजर खूब चबा-चबा कर खाने से दांत भी मजबूत, स्वच्छ और चमकीले होते हैं। मसूड़े भी मजबूत होते हैं।
माहवारी में
तमाम महिलाओं को माहवारी के वक्त असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। कुछ को खुलकर माहवारी नहीं होती है। ऐसे में गाजर के बीज 30 ग्राम कूटकर आधा लीटर पानी में उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो थोड़ी शक्कर डालकर दो-तीन दिन तक सेवन करें। माहवारी खुलकर आएगी और दर्द भी खत्म हो जाएगा।
पथरी एवं पेट संबंधी रोग में
पथरी की शिकायत में गाजर, चुकंदर (beetroot) और ककड़ी का रस समान मात्रा में लेना चाहिए। पथरी होने के बाद गाजर के बीज और शलगम के बीज 20-20 ग्राम लें। भुनकर खाने से पेशाव खुलकर आता है और पथरी धीरे –धीरे टूटकर निकल जाती है । गाजर का सेवन उदर रोग, पित्त, कफ एवं कब्ज का नाश करता है। यह आँतों में जमा मल को तेजी से साफ करती है। बच्चों को कच्ची गाजर खिलाने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं। गाजर का अचार तिल्ली रोग को नष्ट करता है।
सीने में जलन होने पर
गाजर को उबालकर रस निकाल लें। इसे ठंडा करके एक कप में एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से सीने में उठने वाला दर्द मिट जाता है। अंदर के पीले हिस्से को नहीं खाना चाहिए क्योंकि वह गरम होता है।
आधा सिरदर्द होने पर
कई लोगों को सिर के एक हिस्से में दर्द की शिकायत रहती है। यह दर्द जब उठता है तो आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। ऐसे लोगों को गाजर के पत्तों को गर्म पानी में भिगो देना चाहिए। कुछ देर रखने के बाद इसी पानी से मुंह धोए और कुछ बूंद नाक और कान में डालने से फायदा मिलता है।
ताकत के लिए
एक किलो गाजर कद्दूकस कर लें। चार किलो दूध, एक किलो चीनी, ढाई सौ ग्राम गाय का घी और पांच अंडे डालकर उबालें। फिर ठंडा कर उसे किसी बर्तन में रख दें। प्रतिदिन 60 ग्राम खाने के बाद दूध पी लें। माहभर प्रयोग करने के बाद असर दिखने लगेगा।
आजकल जिसको देखो अमेरिका की कहानी सुनाता रहता है. अमेरिका जैसे विकसित देश में भी गाजर के फायदे को देखते हुए गाजर के प्रयोग पर जोर दिया जा रहा है। कुछ दिन पहले हुए शोध में वैज्ञानिकों ने बच्चों की दृष्टिहीनता कम करने में गाजर की महत्ता का खुलासा किया। वहां गाजर से विटामिन ‘ए’ युक्त दवा भी तैयार की गई। बताया कि गाजर में पर्याप्त विटामिन ‘ए’ पाया जाता है इसलिए यह दृष्टिहीनता से बचाती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह गाजर से तैयार दवा बुढ़ापे में होने वाली दृष्टिहीनता के सबसे सामान्य कारणों को दूर करती है।
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शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत नयी दवा फेनरीटिनाइड उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों में होनेवाली क्षति को रोकती है। इसे रोकने के लिए अभीतक कोई इलाज उपलब्ध नहीं था। एक रिपोर्ट के अनुसार यह दवा रेटिना के उस भाग की कोशिकाओं की क्षति और मृत्यु को रोकती है जो सामने की ओर सीधी दृष्टि के लिए आवश्यक होती है। पहले रेटिना की ये कोशिकाएं नष्ट हो जाने से दृष्टि के बींचोबीच एक काला धब्बा बना दिखाई देता था। इस वजह से लोगों को रोजमर्रा के कामों जैसे पढने, वाहन चलाने या टी. वी. देखने में परेशानी होती है। अमेरिकी रिसर्चरों ने विटामिन ‘ए’ से निकाले गए फेनरीटिनाइड का अध्ययन किया था। यह विटामिन गाजर में पाया जाता है और मुख्या रूप से गठिया की बीमारी को रोकता है। अध्ययन में रेटिना में कोशिकाओं को मृत होने के कारण दृष्टि हीनता का शिकार हो रही 250 स्त्रियों और पुरुषों पर शोध किया गया।
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गाजर खाने से होने वाले इतने सारे लाभ बताने के लिए धन्यवाद. मेरे पिता ने बचपन से मुझे गाजर खाने के लिए प्रोत्साहित किया और हम बगीचे से ताज़ी गाजर उखाड़ कर खाया करते थे.अब शहर की जिंदगी में ये सुख कहाँ. फिर भी गाजर मुझे बहुत पसंद है। कच्ची खाने और जूस पीने के अलावा गाजर की कांजी, हलवा, अचार, सब्ज़ी आदि अनेकों तरह से इसका सेवन किया जा सकता है.
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Wow so nice!! I was really aware of these benefits of carrot. Thank you so much for sharing with us. Thank you for posting this.
बहुत अच्छे से लिखा है पंकज जी. मुझे गाजर का हलवा हमेशा से पसंद है. क्यों ना खाने से फायदे ही है तो और खाया जाए.
बहुत हि बढ़िया लेख कुछ जानकारी बिलकुल नयी है गाजर फायदेमंद है ये पता था पर इतने फायदे ये नहीं पता था
घन्यवाद पंकज ji
उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत- बहुत आभार!