प्रस्तुत पोस्ट Rajasthan Diwas Hindi Essay में हम भारतीय कला संस्कृति की अनूठी पहचान, रंग-रंगीलो म्हारों प्यारो राजस्थान के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे. यह आलेख राजस्थान दिवस पर केन्द्रित विशेष आलेख है, उम्मीद है आपको पसंद आयेगी.
भारत देश की संस्कृति की एक संपूर्ण विश्व में अलग ही पहचान है, जिसमें राजस्थान राज्य की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है जो रंग-बिरंगी संस्कृति की अनूठी पहचान रखता है। त्याग, बलिदान, शौर्य की भूमि राजस्थान का परम वैभव रहा है। आज के ही दिन 22 देशी रियासतों को मिलाकर राजस्थान का गठन हुआ था। राजस्थान की वीर प्रसुता भूमि के कण-कण में राष्ट्र की आन-बान शान के लिए मर मिटने का जज्बा पैदा करती है।
गौरवशाली इतिहास राजस्थान
सांस्कृित विरासत, संस्कृति, गौरवशाली इतिहास जितना राजस्थान का हैं उतना विश्व के किसी अन्य देश का नहीं है। महाराणा प्रताप, स्वामी विवेकानंद जैसे युग पुरुषों की कर्मस्थली रही राजस्थान की पवित्र भूमि को बार-बार प्रणाम। मारवाड, मेवाड, हाडौती, शेखावाटी, मत्स्य प्रदेश, आदि संभागों में बटा राजस्थान अपने गौरवशाली इतिहास को अपने में समेटे है।
राजस्थान स्थापना दिवस 30 मार्च
प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को राजस्थान स्थापना दिवस मनाया जाता है। 30 मार्च 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है। वीर तो वीर, वीरांगनाएं भी अपनी माटी के लिए कुर्बानी देने में नहीं झिझकीं। शौर्य और साहस ही नहीं बल्कि हमारी धरती के सपूतों ने हर क्षेत्र में कमाल दिखाकर देश-दुनिया में राजस्थान के नाम को चांद-तारों सा चमका दिया।
रनबांकुरों की धरती है राजस्थान
राजस्थान की धरती पर रणबांकुरों ने जन्म लिया है। यहां वीरांगनाओं ने भी अपने त्याग और बलिदान से मातृभूमि को सींचा है। यहां धरती का वीर योद्धा कहे जाने वाले पृथ्वीराज चौहान ने जन्म लिया, जिन्होंने तराइन के प्रथम युद्ध में मुहम्मद ग़ोरी को पराजित किया। कहा जाता है कि ग़ोरी ने 18 बार पृथ्वीराज पर आक्रमण किया था जिसमें 17 बार उसे पराजय का सामना करना पड़ा था। जोधपुर के राजा जसवंत सिंह के 12 साल के पुत्र पृथ्वी ने तो हाथों से औरंगजेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था। राणा सांगा ने सौ से भी ज्यादा युद्ध लड़कर साहस का परिचय दिया था। पन्ना धाय के बलिदान के साथ बुलन्दा (पाली) के ठाकुर मोहकम सिंह की रानी बाघेली का बलिदान भी अमर है। जोधपुर के राजकुमार अजीत सिंह को औरंगजेब से बचाने के लिए वे उन्हें अपनी नवजात राजकुमारी की जगह छुपाकर लाई थीं।
राजाओं का स्थान राजस्थान
राजस्थान शब्द का अर्थ है- ‘राजाओं का स्थान’ क्योंकि यहां गुर्जर, राजपूत, मौर्य, जाट आदि ने पहले राज किया था। ब्रिटिश शासकों द्वारा भारत को आज़ाद करने की घोषणा करने के बाद जब सत्ता-हस्तांतरण की कार्यवाही शुरू की, तभी लग गया था कि आज़ाद भारत का राजस्थान प्रांत बनना और राजपूताना के तत्कालीन हिस्से का भारत में विलय एक दूभर कार्य साबित हो सकता है। आज़ादी की घोषणा के साथ ही राजपूताना के देशी रियासतों के मुखियाओं में स्वतंत्र राज्य में भी अपनी सत्ता बरकरार रखने की होड़ सी मच गयी थी। उस समय वर्तमान राजस्थान की भौगालिक स्थिति के नजरिये से देखें तो राजपूताना के इस भूभाग में कुल 22 देशी रियासतें थी। इनमें एक रियासत अजमेर मेरवाडा प्रांत को छोड़ कर शेष देशी रियासतों पर देशी राजा महाराजाओं का ही राज था।
एकीकरण से बना राजस्थान
अजमेर-मेरवाडा प्रांत पर ब्रिटिश शासकों का कब्जा था। इस कारण यह तो सीघे ही स्वतंत्र भारत में आ जाती, मगर शेष 21 रियासतों का विलय होना यानि एकीकरण कर ‘राजस्थान’ नामक प्रांत बनाया जाना था। सत्ता की होड़ के चलते यह बड़ा ही दूभर लग रहा था क्योंकि इन देशी रियासतों के शासक अपनी रियासतों के स्वतंत्र भारत में विलय को दूसरी प्राथमिकता के रूप में देख रहे थे। उनकी मांग थी कि वे सालों से खुद अपने राज्यों का शासन चलाते आ रहे हैं, उन्हें इसका दीर्घकालीन अनुभव है । इस कारण उनकी रियासत को ‘स्वतंत्र राज्य’ का दर्जा दे दिया जाए।
करीब एक दशक की ऊहापोह के बीच 18 मार्च 1948 को शुरू हुई राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया कुल सात चरणों में 1 नवंबर 1956 को पूरी हुई। इसमें भारत सरकार के तत्कालीन देशी रियासत और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके सचिव वी. पी. मेनन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। इनकी सूझबूझ से ही राजस्थान के वर्तमान स्वरूप का निर्माण हो सका।
राजस्थान स्थापना दिवस पर बेहतरलाइफ टीम की ओर से सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं।जय जय राजस्थान!
पोस्ट लेखक : सूबेदार रावत गर्ग उण्डू ( सहायक उपानिरीक्षक – रक्षा सेवाऐं भारतीय सेना
और स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी ) निवास :- ‘ श्री हरि विष्णु कृपा भवन ‘ ग्राम :- श्री गर्गवास राजबेरा, तहसील उपखंड :- शिव, जिला मुख्यालय :- बाड़मेर,
पिन कोड :- 344701, राजस्थान ।
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