प्रस्तुत पोस्ट Time to Strengthen National Unity में हम भारत की राष्ट्रीय एकता के सन्दर्भ में विचार विमर्श करने जा रहे हैं। कुछ ऐसे मौकों का जिक्र करेंगे जहाँ भारतीय राष्ट्रीय एकता के चरम को देखा और महसूस किया जा सकता है।
राष्ट्रीय एकता को मजबूती से प्रदर्शित करने का समय
भारत विविधताओं का देश है। यहाँ अनेक प्रदेशों में विभिन्न धर्म, जाति, सम्प्रदाय, वर्ण, भाषा और पहनावा को माननेवाले लोग रहते हैं। जो भी है हमारा देश यही है, वतन यही है, जन्मभूमि यही है।
चुनाव के दौरान
जब भी कोई राष्ट्रीय स्तर का चुनाव होता है देश की जनता धर्म, जाति, बोली, पार्टी, विचारधाराओं के नाम पर बंट जाती है और आपस में इतना छीछालेदर होता है कि सारी सीमाएं समाप्त होती नजर आती है। लोगों का भाषाई स्तर गिरने लगता है। पढ़े –लिखे और बुद्धिजीवी लोग भी इस तरह की बातें करने लगते हैं कि मानो उनकी मतिशून्य हो चुका हो।
युद्ध के दौरान
दूसरी परिस्थिति तब देखी जा सकती है जब देश युद्ध कर रह हो। पिछले कई युद्धों में चाहे वह पाकिस्तान के साथ हुआ हो या फिर चीन के साथ; वही लोग जो चुनावों में छीछालेदर करते हैं, उनके सुर बदलकर – मिले सुर मेरा तुम्हारा की तरह मिलकर – सुर बने हमारा हो जाता है। पिछले साल पुलवामा में सी आर पी एफ के जवानों की शहादत के बाद भारत सरकार द्वारा किया गए बालाकोट हवाई हमले का पूरे देश ने समर्थन किया और सभी ने अपनी राष्ट्रीय स्मिता को सर्वोपरि स्थान देते हुए इसे सबसे ऊपर रखा। जिसका परिणाम यह हुआ कि हमारे लड़ाकू विमान के जांबाज पायलट अभिनन्दन वर्धमान को उन्हें तुरंत सौपना पड़ा।
राष्ट्रीय आपदा के दौरान
कई बार प्राकृतिक आपदा भी किसी प्रान्त या देश को अकाल, सूखा, बाढ़, बीमारी आदि के रूप में संकट में डाल देती है। उस समय हमारा देश जिस प्रकार उसको एक चुनौती के रूप में लेता है, वह स्तुत्य है। चाहे उत्तराखंड की श्री केदारनाथ त्रासदी हो, चाहे ओड़ीशा का तूफ़ान या सुनामी हो, चाहे बिहार, मुंबई, केरल या जम्मू की बाढ़ हो, हर विभीषिका को संपूर्ण देश ने मिलकर झेला है।
कोरोना – एक विश्व त्रासदी
जैसा कि आप सब जानते हैं कि कोरोना या कोविड -19 एक नया वायरस है जो कि एक घातक विषाणु है। यह लगभग 200 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है। इसकी भयावहता और मृत्यु प्रतिशत को देखते हुए यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि इसके कारण पूरे विश्व में लाखों लोग काल कलवित हो जायेंगे। इसके संक्रमण को देखते हुए भारत सरकार ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की घोषणा की थी।
पांच बजे 5 मिनट (22 मार्च को जनता कर्फ्यू)
22 मार्च को पांच बजे शाम को 5 मिनट ताली, थाली, घंटी, शंख आदि बजाकर कोरोना के खिलाफ लड़ रहे लोगों जैसे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल के लोग, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, पुलिस आदि के प्रति देश की आम जनता ने अपना आभार प्रकट किया। इसमें पूरा देश शामिल हुआ। भारत की संपूर्ण एकता ताली और थाली की आवाजों के रूप में प्रकट हुई।
21 दिनों का लॉक डाउन
इसके उपरांत भारत सरकार ने लोगों के बीच संक्रमण रोकने के लिए 21 दिवसीय राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। शुरू में थोड़ी दिक्कतें आईं, लेकिन लोगों ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री केयर फण्ड में हजारों करोड़ की धनराशि जमा की गई ताकि सहायता कार्य में कोई रूकावट न आने पाए। उद्योगपति, सिनेमाजगत के कलाकार, बड़े- बड़े खिलाडियों, सामान्य जनता ने अपना भरपूर योगदान दिया। पंचायत स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सभी लोगों ने गरीब- गुरबों, दीन-हीन, दिहाड़ी मजदूरों के खान-पान, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए खुलकर दान दे रहे हैं और सेवा कार्य कर रहे है।
9 बजे 9 मिनट, 6 अप्रैल को देश ने दीवाली मनाई
एक बार पुनः संपूर्ण राष्ट ने 6 अप्रैल को 9 बजे रात में दीपक, मोमबत्ती, टोर्च के प्रकाश में कोरोना के खिलाफ अपनी लड़ाई में साथ –साथ नज़र आये। एक दृढ़ इच्छा शक्ति और एकता की शक्ति वाले राष्ट्र को हराना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। भारत कोरोना को हराएगा, मानवता पुनः एक बार विजयी होगी। परीक्षा की घड़ी में सबका साथ बना रहे, यही भारत की असली आत्मा है, यही भारत की असली शक्ति है।
जय हिन्द जय भारत! भारत माता की जय!
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