प्रस्तुत कहानी महान दार्शनिक सुकरात की जिंदगी से संबंधित है। इस पोस्ट Socrates Story Unnecessary Collection में किसी भी अनावश्यक वस्तु के संग्रह को सही नहीं माना गया है। हमारे भारतीय मीमांसकों ने भी इसी मत का समर्थन किया है कि आपको जितनी वस्तु की जरुरत हो उतनी ही वस्तु अपने पास रखें। इसके लिए गाँधी जी के जीवन को देखा जा सकता है। आइए पढ़ते हैं इस कहानी को जिसका नाम है : Socrates Story Unnecessary Collection
अनावश्यक संग्रह हिंदी कहानी
एक बार ग्रीक दार्शनिक एवं विद्वान सुकरात अपने शिष्यों के साथ घूमने निकले। रास्ते में उनके एक शिष्य ने कहा, “गुरुदेव! यहाँ एक दुकान पर विभिन्न प्रकार की बेहद खूबसूरत वस्तुएँ बिकती हैं। कृपया आप भी उन्हें देख लीजिए।”
शिष्यों के बहुत ज़ोर देने पर सुकरात उनका मन रखने के लिए दुकान के अंदर गए। वहाँ ढेरों वस्तुएँ सजाकर रखी गई थीं। सुकरात उन वस्तुओं को देखकर बहुत प्रसन्न हुए। कुछ वस्तुएँ तो इतनी अधिक आकर्षक थीं कि सुकरात उन्हें उठा-उठाकर देखने लगे। उन्हें इस तरह प्रसन्न और शांत मन से वस्तुओं को निहारते देख उनका एक शिष्य बोला, ‘‘गुरु जी, आप इन सुंदर वस्तुओं को देख रहे हैं। क्या आपकी इच्छा इन खूबसूरत वस्तुओं को खरीदने की नहीं हो रही?’’
सुकरात कुछ कहते इससे पहले ही उनका दूसरा शिष्य बोला, ‘‘हाँ गुरु जी, आप कुछ वस्तुओं को खरीद लीजिए न। मेरा मन तो कर रहा है कि मैं सारी की सारी वस्तुएँ खरीद लूँ परंतु मेरे पास इसके लिए पर्याप्त धन नहीं है।’’
दूसरे शिष्य की बात पर सुकरात मंद-मंद मुस्कराते हुए बोले, ‘‘इसमें कोई दो राय नहीं कि यहाँ मौजूद सभी वस्तुएँ अत्यंत सुंदर हैं, लेकिन मुझे फिलहाल इनमें से किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं है और अनावश्यक रूप से वस्तुओं का संग्रह करने से क्या लाभ?’’
सुकरात की इस बात पर पहला शिष्य बोला, ‘‘गुरु जी, मगर खूबसूरत वस्तुओं को खरीदने में क्या हर्ज है?’’
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शिष्य की बात पर सुकरात बोले, ‘‘पुत्र, दवा की दुकान पर दवाएँ विभिन्न रंगों की बेहद आकर्षक शीशियों एवं पैकेटों में बिकती हैं। किंतु कोई भी व्यक्ति सिर्फ दवाओं को इसलिए नहीं खरीदता कि वे खूबसूरत हैं, बल्कि तब खरीदता है, जब उसे वाकई उनकी जरुरत महसूस होती है। यही बात इन खूबसूरत वस्तुओं पर भी लागू होती है। बेशक ये खूबसूरत हैं, किंतु जब इनका उपयोग ही नहीं होगा तो इनका संग्रह व्यर्थ है। अनावश्यक संग्रह से जीवन सुखी नहीं होता।’’
दोस्तो! इस कहानी Socrates Story Unnecessary Collection से हमें यही सीख मिलती है कि चाहे आपके पास प्रचुर मात्रा में धन भी क्यों न हो, फिर भी आप अनावश्यक वस्तुओं का संग्रह नहीं करें। अपने धन का प्रयोग अन्य जरुरी कामों में करें। अगर आपके पास जरुरत से अधिक धन है तो उसको सही जगह पर निवेश करें। अपने धन को काम पर लगाने से उसमें वृद्धि होगी जबकि अनावश्यक वस्तुओं के संग्रह से आपके धन का सिर्फ और सिर्फ अपव्यय ही होगा।
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