अमीर खुसरो एक प्रसिद्ध कवि और संगीतज्ञ थे. ऐसा कहा जाता है कि इनका जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले में 1254 ई. में हुआ था. इन्होने बचपन से ही फारसी भाषा में कविता लिखना शुरू कर दिया था. हालांकि उनके जन्म स्थान को लेकर कुछ विवाद भी है.

Amir Khusro
20 वर्ष तक आते-आते खुसरो एक कवि के रूप में प्रसिद्द हो चुके थे. इन्होने गुलाम और खलजी राजवंशों के आश्रय में जीवन यापन किया. ये हमेशा अपने आश्रयदाता और पराजित पक्ष दोनों के स्नेह भाजन बने रहे.
हालांकि खुसरो फारसी के कवि थे लेकिन इनकी प्रसिद्धि हिंदी के पहले कवि के रूप में है. इनके द्वारा रचित पहेली, मुकरी आज भी हिंदी में पढ़ी – पढाई जाती है. ये सूफी संत निज़ामुद्दीन औलिया के शिष्य थे.
आप सब सूफी संगीत में जरुर जानते हैं. यह संगीत रूप भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत प्रचलित है. इसमें कव्वाली गाया जाता है. अमीर खुसरो को कव्वाली का जनक माना जाता है. उन्होंने गजल शैली की भी शुरुआत की, जो भारत और पाकिस्तान में काफी लोकप्रिय है. वे संगीत के खयाल और तराना शैलियों के प्रवर्तक भी थे.
खुसरो मध्ययुगीन फारस में विकसित फारसी कविता की कई शैलियों में माहिर थे. उन्होंने 35 अलग डिवीजन के साथ 11 छंद योजनाओं का इस्तेमाल किया। उन्होंने गजल, मसनवी, कता, रुबाई आदि कई रूपों में कवितायें लिखी. गजल के विकास में उनका योगदान महत्वपूर्ण है।वह मुख्य रूप से फारसी और हिन्दुस्तानी भाषा में लिखा।
उन्होंने पंजाबी में एक युद्ध गीत भी लिखा था। इसके अलावा, वे अरबी और संस्कृत में भी बात करते थे. उनकी कवितायें आज भी भारत और पाकिस्तान में सूफी धार्मिक स्थलों पर गाया जाता है।
खुसरो एक महान संगीतकार और कवि थे. उन्होंने दिल्ली सल्तनत के सात से अधिक शासकों के शाही दरबार में राज कवि रहे. खुसरो ने कई मनोरंजक पहेलियों, गाने, मुकरियां और उलटबासियाँ लिखीं. उनकी पहेलियां आज भी हिंदी कविता के सबसे लोकप्रिय रूपों में से एक हैं।
आइये उसकी कुछ बानगी देखते हैं :
पहेलियों के कुछ उदहारण:
1. बंद किये से निकला जाए
छोड़ दिस से जावे आए
मूर्ख को देही नहीं सूझे
ज्ञानी हो इक दम से बूझे.
2. बाल नोचे कपड़े फटे
मोती लिए उतार
यह विपता कैसी बनी
जो नंगी कर दई नार.
3. बनी रंगीली शर्म की बात
बे –मौसम आयी बरसात
यही अचम्भा मुझको आये
खुशी के दिन क्यों रोती जाए
Answers: १.दम २. भुट्टा ३. दुल्हन
मुकरियां के कुछ उदहारण:
१. नीला कंठ और पहिरे हरा
शीश मुकुट नाचे वह खड़ा
देखत घटा अलापे जोर
ऐ सखि साजन, ना सखी मोर.
२. सेज पडी मेरी आँखों आया
डाल सेज मोहे मेज दिखाया
किससे कहूँ मजा मैं अपना
ऐ सखि साजन, ना सखि सपना.
३. उठा दोनों टांगन विच डाला
नाप तौल के देखा भाला
मोल तोल में है वह महंगा
ऐ सखि साजन, ना सखि लहंगा.
Answers: १.मोर २. सपना ३. लहंगा
उनका देहांत अक्टूबर 1335 ई. में दिल्ली हो गया. उनकी गजलें और अन्य रचनाएं आज भी जन-जन में लोकप्रिय हैं.
Amir Khusro and more posts:
- मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर/ Master Blaster Sachin Tendulkar
- ची गुईवारा / Che Guevara
- बॉलीवुड के बादशाह – शाहरुख़ खान/ Superstar Shahrukh Khan
- जेनीफर लोपेज़
- ब्रिटनी स्पीयर्स
- संत कबीरदास की जीवनी हिंदी में
- जयशंकर प्रसाद उद्धरण
Join the Discussion!