आप में से लगभग सबने धनिया के हरे पत्ते की चटनी खाई होगी. यह मसाले के रूप में व भोजन को सजाने या सुंदरता बढ़ाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है. हमारे बड़े-बुजूर्ग इसके औषधिय गुणों को जानते थे इसीलिए प्राचीन समय से ही धनिए का उपयोग भारतीय भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है. यहाँ आचार्य बालकृष्ण द्वारा बताये कुछ औषधिय गुणों का उल्लेख किया जा रहा है …– इसके Antiseptic और Antioxidant गुण पाया जाता है इसीलिए अगर चेहरे पर मुंहासे हो तो धनिए की हरी पत्तियों को पीसकर उसमें चुटकी भर हल्दी पाउडर मिलाकर लगाने से लाभ होता है. यह त्वचा की विभिन्न समस्याओं जैसे एक्जीमा, सुखापन और एलर्जी से राहत दिलवाता है.
– हरा धनिया वातनाशक होने के साथ-साथ पाचनशक्ति भी बढ़ाता है। धनिया की हरी पत्तियां पित्तनाशक होती हैं। पित्त या कफ की शिकायत होने पर दो चम्मच धनिया की हरी-पत्तियों का रस सेवन करना चाहिए।
– धनिया की पत्तियों में एंटी टय़ुमेटिक और एंटी अर्थराइटिस के गुण होते हैं. यह सूजन कम करने में बहुत मददगार होता है, इसलिए जोड़ों के दर्द में राहत देता है.
– धनिया के हरे पत्ते की चटनी बनाकर खाई जाती है क्योंकि जो इसको खाने से नींद भी अच्छी आती है. डायबिटीज से पीडि़त व्यक्ति के लिए तो यह वरदान है. यह इंसुलिन बढ़ाता है और रक्त का ग्लूकोज स्तर कम करने में मदद करता है.
– आयरन से भरपूर होने के कारण यह एनिमिया को दूर करने में मददगार होता है। Antioxidant, विटामिन ए, सी और कई मिनरलों से भरपूर धनिया कैंसर से बचाव करता है.
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