चक्रव्यूह से बाहर निकलें प्रेरक लेख
दैनिक क्रियाकलाप के लिए हम सभी को ऊर्जा या पावर की जरुरत होती है. वास्तव में यदि देखा जाय तो इनके बिना शायद कुछ नहीं किया जा सकता है. शक्ति या उर्जा को हमारे ग्रंथों में ब्रह्म स्वरुप भी माना गया है. यही उर्जा हमें हमारे रिश्ते नाते, सगे संबंधी और घर परिवार को सम्हालने में मदद करते हैं.हमें अपने बिज़नस को आगे ले जाने में सहायक होते हैं. सच पूछा जाय तो इस ऊर्जा या शक्ति के बिना जीवन को जीना बहुत कठिन हो जाएगा क्योंकि इसी के दम पर हम अपनी समस्त बाधाओं से जूझते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं.
यदि आप अपनी आस पास की चीजों को थोडा ध्यान से देखे और उसका विश्लेषण करें तो आप पायेंगे कि हमारा जीवन मुश्किलों और समस्याओं का भवर है और इस भवर में हम सब फंसे हुए हैं. इस भवर से निकलने की चुनौती हम सबके साथ बनी रहती है और जो व्यक्ति अपने पुरुषार्थ और पराक्रम के बल पर इसे पार कर लेता है संसार उसे ही सफल मानती है. ऐसे में यदि हम यह कहें कि इन समस्त कठिनाइयों को हम अपनी आतंरिक ऊर्जा के बल पर ही पार कर पाते हैं तो अतिशयोक्तिपूर्ण कथन नहीं होगा. इसी ऊर्जा के दम पर हम सफलता के शिखर पर चले जाते हैं. इसी उर्जा के दम पर छोटा बालक सचिन गॉड ऑफ़ क्रिकेट बन जाता है.
मेहनत का कोई विकल्प नहीं
यह बात सौ प्रतिशत सत्य है कि किसी भी बड़ी उपलब्धि को पाने के लिए आपको कठोर परिश्रम करनी पड़ती है और उस मेहनत के बाद आपको बेहतर नतीजे भी देने पड़ते हैं क्योंकि अंत में आपकी क्षमता का आकलन उन्हीँ नतीजों के आधार पर किया जाता है. यदि इसे दूसरे शब्दों में कहा जाय तो आपका मेहनत तबतक बेकार है जबतक आप बेहतर नतीजे नहीं देते हैं.
सच कहिये तो लोगों को आपकी मेहनत, संघर्ष, कोशिशों, मुश्किलों से कोई मतलब नहीं होता उन्हें सिर्फ आपके काम से मतलब होता है. जबतक आप उनके लिए अच्छे काम करते रहेंगे आप उनके चहेते बने रहेंगे और आपने जिस दिन उनके काम में किसी तरह की कोताही की, उसी दिन से आप उनकी आँखों में चुभने लगेंगे. ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि हम में से अधिकांश लोग चुनोतियों से डरते हैं, घबराते हैं. परिणामस्वरूप हम कुछ भी नया करने में डरते हैं. यह जब हमारी आदत बन जाती है तो फिर हम लकीर के फ़कीर बन घिसे पिटे मार्ग के अनुगामी मात्र बनकर रह जाते हैं. अब हम उतना ही काम करते हैं जितना हमें करने को कहा जाता है. इससे कुछ भी नया करने की हमारी क्षमता समाप्त हो जाती है.
समय का नियोजन बहुत जरुरी है
खैर यदि आपने कोई लक्ष्य निर्धारित किया है और उसे पाना चाहते हैं तो आपको उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर कदम पर एक योजना बनानी पड़ेगी. साथ ही उस योजना को क्रियान्वित भी करना पड़ेगा. इस कड़ी में समय की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है. यदि आप सचमुच में समय की महत्ता को समझते है तो यह जान लीजिये कि आपका आधा काम हो गया और आप सफलता की पहली सीढ़ी चढ़ चुके हो. अगर आप सफलता के शिखर पर जाना है तो समय को लेकर आपको हमेशा सजग रहना पड़ेगा. आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए जितना अधिक निष्ठावान होंगे, आपका प्रदर्शन उतना ही अच्छा होगा.
हम में से बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जिनको कई क्षेत्रों में अच्छी जानकारी होती है, लेकिन वह हर क्षेत्र जिसमें वे अच्छे हों , उनका लक्ष्य नहीं हो सकता. वास्तव में हमारा लक्ष्य एक होता है. कहने का तात्पर्य यह है कि हो सकता है कि आपको कई क्षेत्रों की अच्छी जानकारी है लेकिन आप अपना लक्ष्य उसी क्षेत्र में बनायें जिसमें आप सबसे अच्छे हों और उसमें आपको सबसे अधिक रूचि हो, जिस काम को दूसरों से बेहतर तरीके से कर पाते हैं.
अपनी प्राथमिकताओं की सूची बनायें
इसके लिए सबसे बेहतर यह होगा कि आप अपनी प्राथमिकताओं की सूची बनायें. अब इस सूची को ध्यान से देखें और अपनी पहली पसंद को चुनकर उसी पर पूर्ण समर्पण के साथ केन्द्रित करें. ऐसा भी हो सकता है कि आरम्भ में आपसे गलतियाँ भी हों, लेकिन इससे हतोत्साहित न होते हुए गलतियों से सीखकर आगे बढ़ने की जरुरत है.
आज दुनिया तेज गति से आगे बढ़ रही है. हमें भी इस गति में चलना ही होगा. इसलिए यह आवश्यक है कि हम न सिर्फ काम करें बल्कि तेज गति से अच्छा काम करें. अच्छे काम द्वारा आप लोगों के सामने एक उदाहरन पेश करते हैं और इसी से आपका आकलन किया जाता है. यदि देखा जाय तो हम सभी अपने लिए काम करते हैं और खुद के लिए ही जीते हैं. हम सभी अपने फायदे को पहली प्राथमिकता देते हैं.
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लेकिन यह सोच भी गलत नहीं है क्योंकि कालांतर में इसका फायदा समाज को और उसके लोगों को मिलता है. आपने यह अनुभव किया होगा कि सभी सफल लोगों में एक बात समान होती है कि वे लोगों और परिस्थितियों के लेकर जजमेंट्स नहीं लेते. वे हर चीज में, हर बात में सिद्धांत नहीं बघारते हैं. वे केवल अपने काम के प्रति समर्पित होते हैं. ऐसे व्यक्ति कठिन से कठिन समस्या का हल आसानी से निकाल लेते हैं.
यद्यपि यह व्यक्ति की अपनी मानसिक और बौद्धिक क्षमता पर भी निर्भर करता है कि वह किस तरह की समस्या पर अपनी कैसी प्रतिक्रिया देता है. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं तो तिल का ताड़ बना देते हैं और कुछ तो विकट समस्या होने पर भी उसे झेल जाते हैं और उफ़ तक नहीं करते. सफल वही होते हैं जो असफलताओं को एक दुस्वप्न समझकर भूल जाते हैं और अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूर्ण निष्ठा और मेहनत के साथ लगे रहते हैं. इस कला को जिसने सीख लिया वह किसी भी तरह की परिस्थिति और चक्रव्यूह से सहज ही निकल सकता है.
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sanjay kumar says
behtarlife.com , very nice blog
kumar says
मैंने महसूस किया है की अक्सर काम के दौरान हम जितनी भी प्रॉब्लम को फेस करते है कुछ को छोड़कर ज्यादातर हमारी खुद की बनाई हुई होती है. काम में लगने वाली देरी, काम में रूचि का अभाव और ऐसा लगना जैसे की हम मुसीबत से घिरे है और इसका कुछ नहीं हो सकता है. ये सबकुछ सिर्फ शांत दिमाग से ही दूर किया जा सकता है और कठिन मेहनत के साथ काम के प्रति समर्पण भाव से हम आगे बढ़ सकते है. धनयवाद लोगो को प्रेरित करने के लिए
Pankaj Kumar says
इतना बढ़िया कमेंट करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद!