मरुभूमि में बढ़ता चला जा रहा था. सूर्य देव को अस्ताचल में छिपता देख सेठ ने कमरुद्दीन को आवाज लगाई – देख सामने सराय है आज यहीं रुक जाते हैं. कमरुद्दीन ने उनचास ऊंटों को जमीन में खूंटियां गाड़कर रस्सियों से बांध दिया. एक ऊंट के लिए रस्सी थी ही नहीं, न ही खूंटा था. काफी खोजा लेकिन इंतजाम न हो सका. उस सराय के बुजुर्ग मालिक ने एक सलाह दी – सुनो तुम ऐसा करो जिससे लगे कि तुम खूंटी गाड़ रहे हो और ऊंट को रस्सी से बांध रहे हो. इसका अहसास ऊंट को करवाओ.
यह सुनकर कमरुद्दीन और उसका मालिक खैरातीचंद हैरानी में पड़ गया, पर दूसरा कोई उपाय था, इसलिए कमरुद्दीन ने वैसा ही किया.
झूठीमुठी खूंटी गाड़ी गई, ताकि उसकी आवाज ऊंट सुन सके. झूठ मुठ की रस्सी बांधी गयी ताकि ऊंट को लगे कि उसे बांधा जा चुका है. ऊंट ने आवाज सुनीं और समझ लिया कि वह बंध चुका है. वह भी अन्य ऊँटों कि तरह बैठ गया और जुगाली करने लगा.
सुबह उनचास ऊंटों की खूटियां उखाड़ीं गयी और रस्सियां खोलीं गयी. सारे ऊंट उठ गए और चलने लगे. लेकिन एक ऊंट बैठा ही रहा. कमरुद्दीन को आश्चर्य हुआ – अरे, इसे तो बाँधा भी नहीं है, फिर भी यह उठ क्यों नहीं रहा है?
फिर उस सराय के बुजुर्ग मालिक ने समझाया – तुम यह देख रहे हो कि ऊंट बंधा नहीं है लेकिन ऊंट स्वयं को बंधन में महसूस कर रहा है. जैसे रात को तुमने झूठ मुठ का खूंटी गाड़ने और बाँधने का एहसास कराया वैसे ही अभी उसे उखाड़ने और रस्सी खोलने का एहसास कराओ तभी यह ऊंट उठेगा.
कमरुद्दीन ने खूंटी उखाड़ने और रस्सी खोलने का नाटक किया और ऊंट उठकर चल पड़ा.
बंधन हिंदी कहानी
कमरुद्दीन और उसका मालिक खैरातीचंद 50 ऊटों का काफिला लिए
यही हम सबके साथ भी होता है हम भी ऐसी ही काल्पनिक खूंटियों और रस्सियों के बंधन में जकड़े होते हैं. और वह है हमारा नजरिया या गलत दृष्टिकोण, गलत सोच, नकारत्मक विचार. किसी भी काम के प्रति जैसा हमारा दृष्टिकोण होगा, हमारी सफलता भी उसी पर निर्भर करेगी. इसलिए हम चिंतन करें और अपने विचार या दृष्टिकोण पर अवश्य विचार करें.
Websopp says
Nice story